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मैं मां हूं
आज ‘मदर्स डे’ है. यानी प्यारी मम्मा को विश करने का दिन, उन्हें खुश करने का दिन. मगर तुमने सोचा है कि तुम्हारी मम्मा तुमसे क्या चाहती हैं? जो मां दिन-रात तुम्हारे लिए फिक्र करती है, किचन में पसीना बहा कर तुम्हारे पसंद का खाना बनाती है, तुम्हें थप्पड़ लगा कर खुद रोती है, उसके […]
आज ‘मदर्स डे’ है. यानी प्यारी मम्मा को विश करने का दिन, उन्हें खुश करने का दिन. मगर तुमने सोचा है कि तुम्हारी मम्मा तुमसे क्या चाहती हैं? जो मां दिन-रात तुम्हारे लिए फिक्र करती है, किचन में पसीना बहा कर तुम्हारे पसंद का खाना बनाती है, तुम्हें थप्पड़ लगा कर खुद रोती है, उसके साथ साल के बाकी दिन तुम कैसे पेश आते हो. एक मां बता रही है उन्हें तुमसे क्या गिफ्ट चाहिए.
मैं मां हूं. मां मतलब जननि. जन्म देनेवाली. तुम बच्चों की मां. कल तुम सब बच्चे ‘मदर्स डे’ मनाओगे. मेरे लिए न जाने कितने तरह के गिफ्ट खरीदोगे. मुङो सरप्राइज भी दोगे. ढेर सारा प्यार लुटाओगे. मैं तो अभी से बहुत भावुक हो रही हूं पर साथ ही मुङो बीते वर्ष का ‘मदर्स डे’ याद आ रहा है. तुम लोगों को पता है कितनी आहत हुई थी मैं उस दिन.
वह केवल एक दिन नहीं था जब मैं दुखी हुई थी. तुम बच्चे अक्सर ही अपने व्यवहार से अपनी मां को आहत करते रहते हो. मैंने पिछले ‘मदर्स डे’ की सुबह अपने एक बेटे को उठाया तो वह बहुत गुस्सा हुआ और खीझकर बोला- क्या मम्मा आप भी न! कभी तो चैन से सोने दिया करो. आज तो मेरी क्लास दोपहर में है. नींद खराब कर दी आपने. न खुद सोती हैं और न सोने देती हैं.
मैं चुपचाप, उदास-सी रसोई में चली गयी. निक्कू के लिए पनीर के पराठे जो बनाने थे. पनीर को कद्दूकस ही किया था. सोचा था जब तक वह फ्रेश होगा उसके लिए गरमागरम उसके फेवरेट पराठे बना दूंगी. मेरा निक्कू अपने फेवरेट पराठे देख कर खुश हो जायेगा. फिर जानते हो क्या हुआ? जब वह उठा और मैंने नाश्ते के लिए कहा, तो उसने कहा- मैं आधा पराठा ही खाऊंगा. आज सोनम का बर्थडे है. वह सबको लंच करा रही है. उसके साथ नहीं खाऊंगा तो वह बुरा मान जायेगी. मैं परात में रखे आटे और प्लेट में रखे पनीर को देखती रही. मेरे साथ ये भी अक्सर ही आंसू बहाते हैं.
मेरे बेटे को यह फिक्र नहीं कि मां किस तरह उठ कर अपनी नींद, अपना आराम त्यागकर मेरे लिए नाश्ता बना रही है और उसे मेरी जरा-सी भी चिंता नहीं कि मुङो कितनी ठेस पहुंचेगी. उसे सोनम की फिक्र थी कि वह बुरा मान जायेगी. मां का नाम तो केवल कुर्बानी ही है. भला मुङो बुरा लगने का अधिकार क्यों होगा? मैंने तुम बच्चों को जन्म दिया है, तो मुङो यह सहना ही होगा. आजकल तुम बच्चों को मां के हाथ का नहीं, बाहर के पिज्जा, पास्ता और बर्गर अच्छे लगते हैं. तुम्हें पता है मुङो उस दिन बुखार था? मेरी सांसें बहुत गर्म थीं.
देह तप रहा था. फिर भी अपने बच्चे की पसंद का नाश्ता बना रही थी. दूसरे बेटे को कहा कि बेटा स्कूल में देर तक भूखा रहेगा, टिफिन लेता जा. जानते हो उसने क्या जवाब दिया? रहने दो मम्मा. कैंटीन में इतना मस्त लंच मिलता है, मैं ये सब नहीं ले जाऊंगा. वह बिना टिफिन के चला गया और मेरी बेटी भी मुझसे गुस्सा हो गयी थी.
उसे कॉलेज के लड़कों के साथ इवनिंग शो नहीं जाने दिया इसलिए. तुम ही बताओ. तुम सब जानते हो न लड़कियों के साथ कैसे-कैसे हादसे हो रहे हैं. दिल्ली-मुंबई, जहां रात कभी सोती नहीं, वहां जब हादसे हो जाते हैं, तो हम तो छोटे-छोटे शहरों में रहते हैं. ऐसी जगह उसे सही रास्ता दिखाना मेरी फर्ज है न? कभी-कभी तो अपने दोस्त भी धोखा दे देते हैं. फिर एक बेटी की मां किसी पर कैसे विश्वास करेगी? कुछ गलत हो गया तो तुम लोग मुङो ही दोष दोगे कि आप तो बड़ी थीं, मां थीं, समझाया क्यों नहीं?
मैं मां हूं. मैं तो हमेशा बच्चों की सलामती के लिए ईश्वर के आगे झोली फैलाये रहती हूं. अपनी उम्र और खुशियां सब तुम लोगों के ही नाम कर दीं. तुम्हारी बलाएं हंसते-हंसते अपने सिर लेती हूं. तुम बच्चों ने बहुत दुख दिया है मुङो.
जानते हो उस शाम क्या हुआ? शाम को जब बच्चे घर आए, तो एक बेटा मेरे लिए पर्स लेकर आया और एक आइसक्रीम. बेटी दिन भर गुस्सा रही, लेकिन शाम को उसने एक कार्ड बनाकर दिया और बोली- ‘हैप्पी मदर्स डे मम्मा’. मैं बहुत खुश हुई, लेकिन बेटी ने कोई बात नहीं की, कार्ड देकर रूम में चली गयी. बेटे ने जबरदस्ती आइसक्रीम खिलाई. मैंने कहा भी कि मेरी तबियत ठीक नहीं है, तो उसने कहा कि एक आइसक्रीम से कुछ नहीं होगा. मैं आपके लिए ही लाया हूं और आप नहीं खाओगी तो मुङो खराब लगेगा.
मैंने बुखार में भी बेटे का मन रखने के लिए आइसक्रीम खा ली. मैं तो केवल एक दिन बुखार की वजह से तुम्हारी लायी हुई आइसक्रीम नहीं खा रही थी तो तुमको कितना बुरा लगा और तुम लोग रोज मेरे साथ यही करते हो. कभी सोचा है कि मां को कितना खराब लगता होगा! निक्कू को तो यह भी ख्याल नहीं रहा कि मां को बुखार है, अगर मां ठंडी चीज खायेगी तो उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ सकती है. फिर भी उसका मन रखने के लिए मैंने आइसक्रीम खायी और पूरे सप्ताह मुङो खांसी आती रही.
तुम लोगों को क्या लगता है मेरे बच्चो, तुम्हारी मां तुम्हारे गिफ्ट से खुश हो जायेगी? तुम उसकी भावनाओं को, उसके प्यार को, उसकी ममता को नहीं समझोगे और उसके बदले मां को एक पर्स देकर अपना प्यार दिखाओगे तो मैं गदगद हो जाऊंगी? तुम रोज मुङो झिड़कियां दोगे. मेरी बात नहीं मानोगे. बात नहीं समझोगे, मेरी फिक्र का मजाक उड़ाओगे, बात-बात पर कहोगे कि हम बच्चे नहीं हैं, आपका जमाना पुराना था, अब नया जमाना है.
आप और आपके ख्याल बूढ़े हो गये हैं, तो क्या मुङो अच्छा लगेगा? किचन में पसीना बहाकर प्यार से, ममता से बनाये गये खाने को छोड़ कर बाहर का खाना खाओगे, जो तुम्हारी सेहत के लिए भी अच्छा नहीं है, तो मां क्या खुश हो जायेगी? मैं तो बस तुम बच्चों का भला चाहती हूं, तुमको हर मुसीबत से बचाना ही मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है. सपने में भी तुम्हें गगन में उड़ता हुआ ही देखती हूं. तुम्हें डांटती हूं तो तुम्हारी भलाई के लिए. कभी दो थप्पड़ लगा देती हूं तो सौ बार दिल रोता है. क्या मेरा रूदन तुम्हें दिखाई नहीं देता? मेरा प्यार तुम्हें समझ नहीं आता? तुम कब समझोगे मां के प्यार को? क्या एक दिन ‘हैप्पी मदर्स डे’ बोलने से मां खुश हो जायेगी? तुम्हारा मेरे प्रति प्यार बस क्या एक दिन का है?
पूरे साल तुम मुझ पर चिल्लाओगे, अपना गुस्सा उतारोगे, मेरा-मेरी भावनाओं, मेरे प्यार का सम्मान नहीं करोगे और एक दिन बस कहने के लिए मां को विश करके अपना कर्तव्य पूरा कर लोगे, तो क्या तुम्हारी मां खुश हो जायेगी? नहीं बच्चों, मां को गिफ्ट नहीं, प्यार चाहिए.
तुम बच्चों का जब जन्मदिन आता है, मैं कितना उत्साहित होती हूं. तुम्हारी पसंद का ख्याल रखती हूं. एक बात सच-सच बताना, क्या पूरे वर्ष मैं तुम्हारा ध्यान नहीं रखती? तुम्हारी हर जरूरत अपने हर खर्च से पहले पूरी करती हूं. मैं खुद अपने कपड़े न खरीदकर तुम्हारे लिए नये-नये कपड़े लाती हूं.
तुम्हारे खाने से लेकर सभी जरूरतों का ख्याल रखती हूं. तुम्हारे कहने से पहले हर चीज तुम्हारे हाथों में होती है. फिर तुम लोगों के जन्मदिन पर तुम्हारी मनपसंद की चीजें बनाना, रेस्तत्रं में खिलाना, उपहार देना, स्कूल में फ्रैंड्स को ट्रीट देना, क्लासमेट के लिए टॉफी, चॉकलेट और गिफ्ट भेजना, सब करती हूं न?
क्या कभी तुम लोगों को लगा कि पूरे वर्ष तो मम्मा हमसे प्यार से बात नहीं करतीं, फिर जन्मदिन पर भी पूरे दिन कड़वी बातें बोलती हैं और शाम को गिफ्ट देकर बोल देती हैं- ‘हैप्पी बर्थ डे बेटा’. अगर मैं रोज तुमसे झिड़क कर, गुस्से से, बद्तमीजी से बात करूं और थप्पड़ लगाऊं, तो तुम बच्चों को क्या अच्छा लगेगा?
बच्चो, कोई भी विशेष दिन इसलिए विशेष होता है कि उस एक दिन को हम खास बना सकें. यदि पूरे वर्ष हम किसी का सम्मान नहीं कर सकते, तो हमें कोई भी विशेष दिन मनाने का अधिकार नहीं. रस्म अदायगी तभी अच्छी लगती है जब हम रस्म का महत्व समङों.
‘मदर्स डे’ या ‘फादर्स डे’ तो वे दिन हैं, जब बच्चे जीवन में माता-पिता का महत्व समझते हुए अपनी मां को, पिता को उनके उस प्यार के लिए सम्मान व प्यार देते हैं, जो वे अपने बच्चों को 24×7 देते हैं. सर्दी, गरमी, बरसात और रात-दिन उनके लिए नि:स्वार्थ जीते हैं. यह दिन मां की पूजा का दिन है. पूजा दीया-बत्ती से नहीं, मन से होती है. क्या पूजा एक दिन ही होनी चाहिए? पूजा रोज होती है. किसी विशेष दिन पर विशेष पूजा होती है. तुम क्यों उसे एक दिन में समेटना चाहते हो.
क्या ‘मदर्स डे’ रोज नहीं हो सकता? तुम बच्चे रोज क्यों नहीं मुङो मदर्स डे का आभास कराते. तुम मुझसे प्यार से बात करोगे, मुङो, मेरी बातों, मेरे एहसासों को समझोगे तो मेरे लिए रोज मदर्स डे है. मुङो तुमसे कोई गिफ्ट नहीं चाहिए. मां तो बस देने का नाम है. कुछ देना ही है, तो अपना प्यार, अपनी मुस्कान दो. बस मेरे सीने से ‘मां’ कह कर लग जाओ, मुङो मेरा गिफ्ट मिल जायेगा. ‘हैप्पी मदर्स डे’.
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