लहलहा रही मकई की फसलफोटो : 09 जाम 02 लहलहाता मकई का फसलप्रतिनिधि, नारायणपुर शुकदेव राय ने अपने मेहनत से करीब तीन एकड़ पहाड़ी एवं बंजर भूमि को हरा-भरा बना दिया है. आज वहां टमाटर, मकई, झींगा, कद्दू, खीरा के पौधे लहलहा रहे हैं. नावाटांड़ के शुकदेव बिजली मिस्त्री का कार्य करता था.कैसे मिली प्रेरणा : स्वतंत्र ख्याल का होने के कारण जब दूसरे के यहां काम करता तो उनकी बातों को दुख होता था. बाद में कृषि करने का मन बनाया. लेकिन बाबू जी को विरासत में मिली जमीन बंजर थी. खेती करने के लिये चट्टान व पानी समस्या बनी. इरादा पक्का कर काम में जुट गया. फसल को पानी देने के लिये खुद कच्चा मेढ़ बनाया. पिताजी के पुराने पंप को नदी में लगा कर खेती आरंभ की. उन्होंने कहा कि सभी अपने खेतों में कार्य करें. अपने जमीन पर फसल का उत्पादन कर देश सेवा करें.
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ओके.. तीन एकड़ बंजर व पथरीली जमीन हुई हरी-भरी
लहलहा रही मकई की फसलफोटो : 09 जाम 02 लहलहाता मकई का फसलप्रतिनिधि, नारायणपुर शुकदेव राय ने अपने मेहनत से करीब तीन एकड़ पहाड़ी एवं बंजर भूमि को हरा-भरा बना दिया है. आज वहां टमाटर, मकई, झींगा, कद्दू, खीरा के पौधे लहलहा रहे हैं. नावाटांड़ के शुकदेव बिजली मिस्त्री का कार्य करता था.कैसे मिली प्रेरणा […]
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