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इलाज के लिए राशि मिलती तो बच सकती थी जिंदगी

सोनो . टूटे विद्युत तार की चपेट में आकर जख्मी मासूम आठ वर्षीय प्रियंका विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गयी. करंट से गंभीर रूप से जख्मी बच्ची का इलाज पीएमसीएच में चल रहा था. बावजूद इसके रहने-खाने व बाहर की दवाइयों के खर्च को वहन करने में उसके पिता शंकर मांझी सक्षम नहीं था. स्थानीय […]

सोनो . टूटे विद्युत तार की चपेट में आकर जख्मी मासूम आठ वर्षीय प्रियंका विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गयी. करंट से गंभीर रूप से जख्मी बच्ची का इलाज पीएमसीएच में चल रहा था. बावजूद इसके रहने-खाने व बाहर की दवाइयों के खर्च को वहन करने में उसके पिता शंकर मांझी सक्षम नहीं था. स्थानीय विधायक द्वारा विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता को इस संदर्भ में कह कर पीडि़त परिवार को इलाज के लिए राशि मुहैया कराने को कहा था. फौरी तौर पर पांच हजार की राशि देकर विभागीय पदाधिकारियों ने कहा था कि शीघ्र ही पचीस हजार की राशि इलाज के लिए दिया जायेगा. परिजन उक्त राशि की आस लगाये बैठे रहे परंतु पंद्रह दिनों बाद भी विभाग द्वारा पचीस हजार की राशि नहीं भेजी गयी. पैसे-पैसे को मोहताज शंकर अंतत: बीते शुक्रवार को बच्ची के साथ वापस घर सोनो लौट आया,जहां सोमवार को उसकी मृत्यु हो गयी. पड़ोसी तोतो मांझी, पप्पू दास सहित दर्जनों लोगों का मानना है कि विभाग द्वारा इलाज के लिए जो राशि देने की बात कही गयी थी यदि वह समय पर मिल जाती तो संभव है प्रियंका की जिंदगी बच जाती.

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