केजीवीके की प्रयोगशाला में मशरूम के बीजों का उत्पादन प्रारंभ किया गया है. मशरूम की बढ़ती मांग और अनुपात में गुणवत्ता वाले मशरूम का बाजार में नहीं होना आज एक बड़ी समस्या है. झारखंड में कुपोषण के बढ़ते मामले और गर्भावस्था के समय गर्भवती महिलाओं में कुपोषण के मामले के पीछे एनीमिया एक बड़ा कारण है. महिलाओं के साथ यह समस्या इसलिए होती है, क्योंकि उनके आहार में पोषक तत्व की कमी होती है.
मशरूम के अंदर दुर्लभ अमीनो एसिड 6 प्रोटीन 8 पाया जाता है. इसके गुणों को देखते हुए ही केजीवीके के कृषि विभाग ने मशरूम को एग्री अलाइड के तौर पर जोड़ते हुए इसके बीजों का उत्पादन प्रारंभ किया है. मशरूम उत्पादन में लगी महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध करा कर उनकी आजीविका में वृद्धि करना बीज उत्पादन का मुख्या लक्ष्य है.
केजीवीके अपने यहां समय-समय पर इससे जुड़े प्रशिक्षण को आयोजित करके किसानों, महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों से जुड़े लोगों को इसके उत्पादन व इसके माध्यम से आजीविका संचालन का प्रशिक्षण देता रहा है. केजीवीके में सीनियर ऑफिसर एग्रीकल्चर नंदलाल कुमार कहते हैं कि इस प्रयोगशाला के जरिये ओइस्टर मशरूम के बीजों का उत्पादन किया जा रहा है, इन बीजों को प्रयोगशाला में एक महीने में तैयार कर लिया जाता है. वर्तमान में एक हजार किलोग्राम प्रति महीने मशरूम स्पोन के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इससे अब साल के सात महीने मशरूम बाजार में उपलब्ध रहेगा.
केजीवीके ने 400 ग्राम के एक मशरूम बीज पैकेट की कीमत 28 रुपये रखी है. बाजार में उपयोग में आने वाले मशरूम की कीमत 60-70 रुपए प्रति किलोग्राम है. अगर कोई मशरूम उत्पादक 20 रु पये के एक मशरूम बंडल को खरीद कर उत्पादन शुरू करता है तो उत्पादक प्रति किलोग्राम 50 रुपए का शुद्ध लाभ प्रति दो महीने में प्राप्त करेगा. मशरूम के उत्पादन से जुड़े इच्छुक व्यक्ति, समितियांव समूह केजीवीके, रुक्का, रांची आकार मशरूम बीज प्राप्त कर सकते हैं या इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं – 9386806460.
(प्रशांत जयवर्धन की रिपोर्ट)