* सैकड़ों गरीब बच्चों की जिंदगी संवारी
* आज कई हैं ऊंचे ओहदे पर
चरही : मेरी बैचमैन एक ऐसी शख्सीयत हैं, जो चुरचू प्रखंड के चरही, तापिन और आसपास के बच्चों को गुणात्मक शिक्षा दे रही हैं. उनकी इस कोशिश का ही परिणाम है कि इन इलाकों के अब तब सैकड़ों बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर, दारोगा सहित कई ऊंचे ओहदे पर पहुंच कर देश सेवा कर रहे हैं. महंगी पढ़ाई को देखते हुए 11 जनवरी 1993 में मेरी बैचमैन ने अपने बलबूते पर चरही में संत मेरी स्कूल खोला. 26 छात्र-छात्राओं के साथ विद्यालय का शुभारंभ किया, आज यहां एक हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.
सन 1977 में संत थॉमस स्कूल में चार वर्ष, 1981 से 1984 तक टैनी टॉर्च स्कूल में बच्चों को शिक्षा दी तथा 1985 से 1992 तक लगातार नौ वर्षो तक हॉलीक्रॉस स्कूल, घाटो में अध्ययन कार्य किया. इसके बाद 1993 में चरही में संत मेरी स्कूल की स्थापना की.
समाज के लिए प्रेरणास्नेत
मेरी बैचमैन 55 वर्ष की होने के बावजूद स्वयं शिक्षा का अलख जगा रही हैं. अभी संत मेरी स्कूल से हर वर्ष मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में बच्चे उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं. मेरी कहती हैं कि हर जाति, वर्ग के गरीब बच्चों को शिक्षा देना उद्देश्य है, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके.
पूरी जिंदगी सेवा से समर्पित की
मेरी बैचमैन का जन्म दो जून 1958 में रांची के वर्धमान कंपाउंड में मध्यम परिवार में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा कार्मेल माउंट स्कूल, भागलपुर से पूरी की. वहीं स्नातक संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से पूरा किया. मैरी छह भाई और तीन बहन में सबसे बड़ी हैं. शिक्षा के क्षेत्र में वह इतना रम गयीं कि इन्होंने विवाह तक नहीं किया. अभिभावकों को महंगे निजी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पाने का दर्द इन्होंने महसूस किया व स्वयं चरही व तापिन में इंगलिश