दक्षा वैदकर
अनुज बहुत मेहनती युवक था. वह अपना काम बड़ी ईमानदारी के साथ करता था, लेकिन उसका बॉस उसके सारे काम का क्रेडिट खुद ले लेता था, जिसकी वजह से वह सालों से एक ही पोजीशन पर काम कर रहा था. अनुज को एक साथी ने सुझाव दिया कि अपने आइडिया बड़े बॉस को भी बता दिया करो, ताकि उन्हें पता चले कि यह काम तुम करते हो. अनुज ने ऐसा ही किया.
एक मेल अपने बड़े बॉस को भी भेज दिया. बड़े बॉस को आइडिया पसंद आया, लेकिन उन्होंने अनुज की बजाय उसके बॉस को बुला कर चर्चा की. जब अनुज के बॉस को पता चला कि उनको बिना बताये मेल सीधे बड़े बॉस को कर दिया गया था, तो वे गुस्सा हो गये. उन्होंने अनुज की ढेर सारी गलतियों की लिस्ट बना कर बड़े बॉस से कहा कि अब मैं अनुज के साथ काम नहीं कर सकता. उसने ऑफिस के नियम तोड़े हैं. वह सॉरी बोले. अनुज स्वाभिमानी था, उसने सॉरी न कह कर सीधे इस्तीफा दे दिया.
दो-तीन दिन बीत गये. अनुज को यह लगने लगा कि उसने इतने साल ईमानदारी से काम किया, फिर भी यह सब क्यों हुआ. भगवान उसके साथ नाइंसाफी क्यों कर रहा है. उसे उसके सवालों का जवाब नहीं मिला. कुछ दिनों बाद पड़ोस के दो बच्चेउसके पास आये और उन्होंने मैथ्स पढ़ाने की बात कही. अनुज पढ़ाई में बहुत अच्छा था और इन दिनों खाली बैठा था.
उसने हां कर दी. पढ़ाई शुरू हो गयी. देखते ही देखते 10 बच्चे आने लगे. अब बच्चों को दूसरे सब्जेक्ट्स पढ़ने की भी इच्छा थी. अनुज ने अपने कॉलेज के दो-तीन दोस्तों से संपर्क किया, जो अलग-अलग विषयों में एक्सपर्ट थे. इस तरह चार दोस्तों ने मिल कर कोचिंग क्लास खोल ली. कोई मैथ्स पढ़ाता, कोई फिजिक्स, तो कोई केमेस्ट्री. अब उसकी कोचिंग दो बैचेस में चलती है. करीब 200 बच्चे पढ़ने आते हैं.
अनुज को अब रुपयों की कोई कमी नहीं है. न ही उसके ऊपर कोई बॉस है. अब वह अपने पुराने दिनों को याद करता है, तो कहता है ‘अगर भगवान ने उस दिन नौकरी छोड़ने पर मजबूर नहीं किया होता, तो शायद आज मैं अपना खुद का काम शुरू नहीं कर पाता.’
बात पते की..
– हमारे साथ घटी हर घटना की एक वजह होती है. यह वजह हमें तुरंत पता नहीं चलती. इसलिए बुरा होने पर दुखी न हों, ईश्वर पर विश्वास रखें.
– जब भी कुछ बुरा हो जाये, इस बात को दोहराना शुरू करें कि आने वाले दिनों में आपके साथ अच्छा होने वाला है, इसलिए यह घटना घटी है.