सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दुष्कर्म के मामलों में समझौता नहीं हो सकता और न ही इन्हें क्षमा किया जा सकता है फिर चाहे पीड़ित ने ही क्यों न अपराध के आरोपी को माफ कर दिया हो. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सतशिवम की अध्यक्षतावाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यदि इस तरह के मामलों में समझौते होते हैं,तो वे अवैध हैं और निचली अदालतों द्वारा असाधारण मामलों में जघन्य अपराधों के लिए सजा कम करने के प्रावधानों का लापरवाही से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि हाल के समय में दुष्कर्म के मामले बढ़ने के बावजूद निचली अदालतों में दुष्कर्मी व पीड़ित के बीच समझौते के आधार पर इस तरह के अपराधों के लिए समझौतों की इजाजत देने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है.