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मॉड्यूल चेंज: पीआइएलएफ की जंगल से शहर में तबाही की तैयारी!

पटना: जंगल में बंकर, विस्फोटक छुपाने के ठिकाने व धमाका कराने जैसी गतिविधियों में शामिल पीएलएफआइ का मॉडय़ूल बदलाव की राह पर दिख रहा है. संगठन अब जंगल के बाद शहरी को टारगेट कर रहा है. बरही (झारखंड) में आजसु नेता की शहर में हत्या और पटना में विस्फोटक फैक्टरी स्थापित करने के प्रयास से […]

पटना: जंगल में बंकर, विस्फोटक छुपाने के ठिकाने व धमाका कराने जैसी गतिविधियों में शामिल पीएलएफआइ का मॉडय़ूल बदलाव की राह पर दिख रहा है. संगठन अब जंगल के बाद शहरी को टारगेट कर रहा है. बरही (झारखंड) में आजसु नेता की शहर में हत्या और पटना में विस्फोटक फैक्टरी स्थापित करने के प्रयास से यह साफ है कि शहरी धनपति अब इस संगठन के निशाने पर हैं. अगर पटना की घटना में पीएलएफआइ के हाथ होने की पुष्टि होती है, तो यह कहा जा सकता है संगठन अब बड़े बदलाव के साथ शहरों में पांव जमा रहा है.
तीन बिंदुओं पर काम करता रहा है संगठन : अब तक यह संगठन जंगल व बीहड़ों में शरण लेकर शहर की सूचनाओं को संकलित करता था. नक्सली व आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से तैयार होनेवाली प्लानिंग की रिपोर्ट नक्सली कमांडर तक पहुंचाना, जंगल में नक्सली गतिविधियों में जुड़े लोगों को कपड़ा, दवा सहित अन्य सामान पहुंचाना, हथियार व विस्फोटक ले जाने में मदद करना, तीसरा बिंदु संगठन के पक्ष में आबादी के बीच भावनात्मक लगाव पैदा करना, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा करना, धरना-प्रदर्शन करना सहित अन्य कार्य यह संगठन करता रहा है. लेकिन, अब यह बड़ा रूप ले रहा है. अगर 32 बम लाने की बात सही है, तो यह साफ है पटना के पॉश इलाके में संगठन की बड़े विस्फोट की साजिश थी.
गुर्गो के रास्ते मास्टरमाइंड तक पहुंचने की जुगत
पटना. बम ब्लास्ट का असली राज अब तभी खुल सकेगा, जब सोनू पुलिस के हत्थे चढ़ेगा. उसे दबोचने के लिए पुलिस की छापेमारी जारी है. पुलिस को एक सॉफ्ट कॉर्नर मिला है, जहां से पूरे गैंग को एक साथ उठा लेने की तैयारी है. कुछ संदिग्ध चिह्न्ति भी हो चुके हैं, जिन पर पुलिस की निगाह जमी हुई है. इनकी गतिविधियों के सहारे पुलिस इस खेल के मास्टर माइंड तक पहुंचने की जुगत में है. हालांकि रिमांड पर लिये गये कुंदन और विक्की से पूछताछ में पुलिस को निराशा ही हाथ लगी है, अब तक दोनों ने अलग-अलग बयान दिया है. पटना पुलिस के अलावा अन्य जांच एजेंसी भी दोनों से पूछताछ कर रही है.
बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के फ्लैट में हुए बम ब्लास्ट मामले में अब यह समझा जा रहा है कि चंडी का रहने वाला सोनू ही पूरी प्लानिंग का राज दार है. उसके साथ छोटू और अमित पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं तो पीएलएफआइ के साजिश में शामिल होने की सच्चई भी सामने आ सकती है.

घटना के बाद पुलिस कोई ऐसा सुराग नहीं मिला है, जिससे पूरी तरह से कहा जा सके कि इसके पीछे पीएलएफआइ या अन्य किसी नक्सली संगठन का हाथ है. लेकिन बम रांची से लाये जाने की बात सामने आने के कारण झारखंड में सबसे ज्यादा सक्रिय चल रहे इस संगठन का नाम आ रहा है. फिलहाल पुलिस सोनू की पूर्व की गतिविधियों को खंगाल रही है. उसका पूरा नेटवर्क पुलिस के जांच के दायरे में है. इसके अलावा 29 अन्य बम के झारखंड से लाये जाने की बात प्रकाश में आने के बाद पुलिस इसकी भी तहकीकात कर रही है.

विध्वंसक मंजर बनाने की साजिश तो नहीं
दरअसल पटना की बहादुरपुर हॉउसिंग कॉलोनी में एक फ्लैट में हुए विस्फोट के बाद पूरे मामले को पीएलएफआइ संगठन से जोड़ कर देखा जा रहा है. घटना के बाद दिल्ली से आयी एनआइए की टीम पटना में डेरा डाली हुई है. इसके अलावा पटना पुलिस, आइबी, स्पेशल ब्रांच, बिहार एटीएस मामले की जांच में जुटी हुई है. झारखंड से बम लाये जाने की बात सामने आने के बाद पुलिस का अनुसंधान पीएलएफआइ की तरफ है. पुलिस सूत्रों के अनुसार अगर यह हकीकत है तो साफ है कि पीएलएफआइ का मॉडय़ूल चेंज हो गया है.
पीएलएफआइ प्रमुख दिनेश की तलाश : खूंटी के लापा गांव का रहनेवाले दिनेश गोप की तलाश झारखंड पुलिस पहले से कर रही है. पीएलएफआइ के प्रमुख दिनेश गोप ने तब संगठन की कमान संभाली थी, जब उसके भाई सुरेश गोप को पुलिस ने काउंटर कर मार दिया था. बता दें कि रनिया के गरई में स्कूल संचालित करनेवाला दिनेश गोप वर्तमान समय में झारखंड पुलिस का सिर दर्द बना हुआ है. गौरतलब है कि झारखंड लिबरेशन टाइगर के नाम से संचालित यह संगठन वर्ष 2007 में पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया का रूप ले लिया. संगठन पहले माओवादी संगठन के खिलाफ पुलिस का समर्थन करता था, पर खूंटी में लैंड माइंस के जरिये पुलिस की गाड़ी उड़ा देने के बाद उसकी मंशा क्या है, यह पुलिस जान गयी.
झारखंड पुलिस नहीं कर सकी पूछताछ
रांची. पटना के बहादुरपुर में हुए बम ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तार कुंदन से पूछताछ करने के लिए झारखंड पुलिस की टीम पटना पहुंच गयी है. उल्लेखनीय है कि कुंदन के संबंध रांची, खूंटी, गुमला व चाईबासा में सक्रिय उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ से होने की बात सामने आयी है. यह भी पता चला है कि पीएलएफआइ ने ही बम बनाने की सामग्री और रासायनिक पदार्थ कुंदन व उसके सहयोगियों से को उपलब्ध कराया था. कुंदन के बारे में हजारीबाग पुलिस को भी सूचना मिली कि मार्च 2014 में बरही में हुई आजसू नेता की हत्या के मामले से भी वह जुड़ा हुआ था. इसे पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने अंजाम दिया था. तिलेश्वर साहू की हत्या के बाद से ही यह संदेह व्यक्त किया जा रहा था कि घटना को पीएलएफआइ के कहने पर दूसरे शूटरों ने अंजाम दिया.

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