पटना की सड़कों पर सरपट ऑटो दौड़ा रहीं महिला चालक
हफ्ते भर पहले पटना की सड़कों पर उतरी महिला ऑटोचालक अपने वाहन सरपट दौड़ा रही हैं. ऑटो चलाते वक्त उन्हें न तो किसी के घूरती नजरों की चिंता होती है और न ही ताने की. एक ही लक्ष्य होता है, सवारी को सुरक्षित व समय पर गंतव्य तक पहुंचाना. बदले में सवारी से मिलनेवाले सकारात्मक बोल इनका हौसला बढ़ाते हैं.
सुमित
पटना : पटना की सड़कों पर आम महिलाओं के सशक्तीकरण का उदाहरण देखने को मिल रहा है. अब तक हमने पुरुषों को स्टीयरिंग संभालते देखा है, पर अब आत्मविश्वास और हौसले से लबरेज महिलाएं फर्राटे से ऑटो ड्राइव कर रही हैं. इन महिला चालकों को ड्राइविंग सीट पर पुरुष यात्री बिठाने से भी गुरेज नहीं है. कॉमर्शियल स्टीयरिंग संभालने के बाद इन्होंने शहर के विभिन्न मुहल्लों का चक्कर लगाया. हर जगह कुतूहल भरी नजरों ने उनका स्वागत किया. कई जगह स्थानीय महिलाओं ने अनुभव पूछ कर उनका उत्साह भी बढ़ाया.
आठवीं तक पढ़ी है शोभा
कदमकुआं की शोभा कुमारी महज आठवीं तक पढ़ी हैं. उनके पति योगेंद्र प्रसाद रिक्शा चलाते हैं. दो बच्चे भी हैं, जो स्थानीय स्कूल में पढ़ते हैं. शोभा सुबह-सुबह घर से ऑटो लेकर जंकशन के प्रीपेड काउंटर पर पहुंच जाती हैं. पूछने पर कहती हैं, सड़क पर उतरने से पहले कड़ा प्रशिक्षण लिया था, इसलिए डर नहीं लगता. कोई कुछ बोलता है, तो अनसुना कर निकल जाती हूं. एक पुरुष चालक ने कहा कि महिलाएं कितने दिन ऑटो चलायेंगी, तो उनसे साफ कहा कि आप इतने दिनों तक चला सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? शोभा कहती हैं, हर दिन 200 से 400 रुपये की कमाई हो जाती है. यह प्राइवेट नौकरी से तो अच्छा ही है.
पत्नी को ऑटो दिलाया
न्यू जक्कनपुर की अनिता देवी के पति राकेश कुमार एक प्राइवेट कंपनी में चपरासी थे. पत्नी को ऑटो चलाने से लेकर लोन दिलाने की दौड़-धूप में उनकी नौकरी छूट गयी. तीन बच्चे हैं, जिनके भरण-पोषण की चिंता लगी रहती है. वह हर दिन चार से पांच राउंड लगा लेती हैं. साप्ताहिक छुट्टी के सवाल पर अनिता कहती हैं कि ऑटो लोन पर है. हर महीने तीन हजार जमा करना होगा, इसलिए छुट्टी की तरफ अभी ध्यान ही नहीं गया. पहली चिंता लोन चुकाने की है. कमेंट के सवाल पर उनका साफ कहना है-जब लोग हमारी चिंता नहीं करते, तो हम उनके कमेंट की चिंता क्यों करें? मुहल्लेवाले से लेकर सड़क पर पुलिसवालों का भी सहयोग मिलता है. कल ही एक पुलिस अधिकारी ने रोक कर पूछा, कोई दिक्कत हो, तो बताना.
अखबार से मिली थी जानकारी
हनुमान नगर साकेतपुरी की रिंकू देवी के पति ठेला चलाते हैं. अखबारों के माध्यम से उनको ऑटो ट्रेनिंग की जानकारी मिली. फिर ऑटो यूनियन के प्रयास से ट्रेनिंग व लोन पर ऑटो लेकर सड़क पर उतरीं. उन्होंने बताया कि महिला यात्री हमेशा हमारी ऑटो पर ही बैठना पसंद करती हैं. मुहल्ले में छोड़ने जाती हूं, तो महिलाएं पूछती हैं- कैसे ज्वाइन किया? क्या हम लोग भी ज्वाइन कर सकते हैं? आज तक सड़क पर कोई परेशानी नहीं हुई. इनके साथ ही फुलवारी की गुड़िया सिंह, मीठापुर की सरिता पांडेय, भूतनाथ रोड की कंचन देवी, पिंकी देवी, प्रियंका कुमारी, विभा कुमारी व कुमारी कोमल भी राजधानी की सड़कों पर फर्राटे से ऑटो दौड़ा रही हैं. बहादुरपुर भूतनाथ रोड की कंचन देवी के पति की चार महीना पहले ही मौत हो चुकी है. वे प्लंबर मिस्त्री थे. कंचन ऑटो के बल पर ही अपने और परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.
आगे भी मिलेंगे लाइसेंस
पटना जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ के महासचिव नवीन कुमार मिश्र ने बताया कि ऑटो ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेनेवाली महिलाओं में से 18 को लर्निग लाइसेंस दिलाया गया. इनमें से 10 अंतिम रूप से ड्राइविंग लाइसेंस लेकर ऑटो चला रही हैं. 14 महिलाओं को बैंक ऑफ बड़ौदा से लोन पर ऑटो दिलाया गया है. नवीन ने बताया कि ट्रेनिंग ले रही 30 नयी महिलाओं को सोमवार को लर्निग लाइसेंस दिलाया जायेगा. उसके बाद वेटनरी कॉलेज में दो से छह सितंबर तक कैंप लगा कर ड्राइविंग के साथ ही मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग पूरी करायी जायेगी. पटना जंकशन के बाद एयरपोर्ट से भी महिला ऑटो का प्रीपेड परिचालन जल्द शुरू कराया जायेगा.
कहां से मिली प्रेरणा
पटना जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ का एक प्रतिनिधिमंडल 14 से 18 अप्रैल तक केरल के कन्नूर जिले में सीटू के अखिल भारतीय कॉन्फ्रेंस में भाग लेने गया था. यहीं पर संघ के नेता राजकुमार झा व नवीन कुमार मिश्र महिलाओं को ऑटो चलाते देख प्रेरित हुए. वहां से लौटने पर नवीन मिश्र ने इच्छुक महिलाओं को एकत्रित कर एक मई से वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में ट्रेनिंग की शुरुआत की. बाद में इन महिलाओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी दी गयी, ताकि सड़क पर चलने में परेशानी न हो. जून में ट्रेनिंग ले चुकी महिलाओं को लर्निग लाइसेंस निर्गत हुआ. उसके बाद लोन पर ऑटो निकाले गये. 16 अगस्त को ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत होने के बाद महिला चालकों ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया.