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डिस्काउंट का काउंटडाउन

त्योहारों का मौसम कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए बड़ा ही लुभावना होता है. ग्राहकों को इंतजार रहता है कि कब फेस्टिवल ऑफर के तहत कंपनियां डिस्काउंट की घोषणा करें और कंपनियां इस इंतजार में रहती हैं कि वे अपने ऑफरों से कब ग्राहकों को किस तरह लुभा पायें. लाभ तो दोनों का है, इसलिए […]

त्योहारों का मौसम कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए बड़ा ही लुभावना होता है. ग्राहकों को इंतजार रहता है कि कब फेस्टिवल ऑफर के तहत कंपनियां डिस्काउंट की घोषणा करें और कंपनियां इस इंतजार में रहती हैं कि वे अपने ऑफरों से कब ग्राहकों को किस तरह लुभा पायें. लाभ तो दोनों का है, इसलिए डिस्काउंट का काउंटडाउन अब शुरू होने वाला है..

कुछ दिनों पहले लगा कि एक जूता खरीद लिया जाये. एक जोड़ी जूते की खरीद पर चिंतन-मनन दो से तीन सप्ताह तक चला. फिर आलस को त्यागते हुए चार-पांच दुकानों में जाकर देखा भी. और उनकी कीमतें देख कर उल्टे पांव वापस आ गया. फिर याद आया कि ऑनलाइन शॉपिंग भी तो कोई चीज होती है, जहां तमाम तरीके की वेबसाइट हर मिनट किसी न किसी तरीके के डिस्काउंट का ऐलान करती रहती हैं. मेल और एसएमएस से हाहाकार मचाये रखती हैं. और उस डिस्काउंट की उम्मीद के साथ मैं पहुंचा ऐसी ही एक वेबसाइट पर. लेकिन वहां नाम मात्र के डिस्काउंट ने दिल तोड़ दिया. कुछ यंग सहकर्मियों से पूछा कि भाई डिस्काउंट वाले जूते कहां से खरीदते हो, तो उन्होंने उन्हीं वेबसाइट के बारे में बता दिया, जो मैं ट्राई कर चुका था. फिर उन्होंने पूछा कि कितने डिस्काउंट की उम्मीद कर रहे हैं आप. मैंने कहा 90 परसेंट.. इतना सुनना था कि मामला वहीं खत्म हो गया.

कहानी जूते से इसलिए शुरू कर रहा था, क्योंकि भारतीय ग्राहक अभी वाकई इसी मूड में लग रहे हैं. उनकी और मेरी उम्मीदों में बहुत फर्क नहीं दिख रहा है. तमाम कार कंपनियां फिलहाल पस्त हैं. ग्राहक आ नहीं रहे, गाड़ियां बिक नहीं रही हैं. सेल्स के आंकड़े नीचे जा रहे हैं. और तो और, जुलाई में तो यूटिलिटी गाड़ियों की बिक्री भी तकरीबन 18 फीसदी के आसपास तक गिर गयी. ये जानकारी वाकई चौंकाने वाली है, क्योंकि स्पोर्ट्स यूटिलिटी गाड़ियां यानी एसयूवी भी तो इसी सेगमेंट की हैं. हम फिलहाल ऐसे वक्त से गुजर रहे हैं, जहां पर लगता है कि हर ग्राहक एसयूवी ही खरीद रहा है. ऐसे में सवाल उठा कि इन गाड़ियों की बिक्री कैसे गिर सकती थी. लेकिन ऐसा हो तो रहा है. कार से लेकर एसयूवी तक सब पस्त हैं. ऐसे में ढेर सारे ऑफर और डिस्काउंट की बारिश हो रही है. और बहुत से ग्राहक जो थोड़ा इंतजार करने के लिए तैयार हैं, वे उम्मीद कर रहे हैं कि फेस्टिवल सीजन में यानी दशहरा, दीपावली के वक्त इतने डिस्काउंट मिलनेवाले हैं कि पूछो मत. यानी उम्मीद कुल मिलाकर मेरी जैसी ही है. वह है 90 परसेंट डिस्काउंट की उम्मीद.

वैसे इसके चांस लग भी रहे हैं. बात भारी डिस्काउंट की हो रही है. वहीं बहुत से एसयूवी प्रेमियों से बात करके पता चला कि उन्होंने अपनी खरीद के लिए अलग ही प्लान बना रखा है. हुआ यह है कि फोर्ड इकोस्पोर्ट ने एसयूवी ही क्या, कार बाजार में भी हलचल मचा दी है. अभी थोड़े दिनों पहले तक सबसे हिट कॉम्पैक्ट एसयूवी डस्टर को देखें, तो उसके मुकाबले इकोस्पोर्ट लगभग ढाई लाख रुपये कम में आ रही है. अब कीमत का ऐसा अंतर है कि ग्राहकों के लिए बाकी मुद्दे तो खत्म ही हो जाते हैं. ऐसे में एक ही मुद्दा है इकोस्पोर्ट के खिलाफ, जो बाकियों खास कर डस्टर के लिए राहत की खबर है. वह है इकोस्पोर्ट के लिए वेटिंग पीरियड. जो भी ग्राहक खरीदने का फैसला कर रहे हैं, वे यह मान कर चल रहे हैं कि फोर्ड इकोस्पोर्ट 6 महीने से पहले तो आयेगी नहीं. खैर एसयूवी प्रेमी अब यह मान कर चल रहे हैं कि अब तो डस्टर की कीमत कम होगी ही. कंपनी को कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा. नहीं तो मामला खराब हो जायेगा. और जब कंपनी ऐसा करेगी तो हम खरीदेंगे. तो ग्राहकों द्वारा ऐसी पंचवर्षीय योजनाएं भी बनायी जा रही हैं. लेकिन इसमें अब एक और ट्विस्ट आ गया है. निसान ने हाल में रिनॉ डस्टर का निसान संस्करण पेश किया है, टेरानो के नाम से. अपनी पार्टनर कंपनी रिनॉ की डस्टर के लुक और कुछ फीचर्स को निसान ने बदला है और उसे नये लुक में पेश कर दिया है. बाजार में आने में उसे सिर्फ एक-दो ही महीना है, लेकिन उस पर से परदा तो हटा ही दिया गया है. अब इस गाड़ी के आने के बाद मामला और भी दिलचस्प हो जायेगा.

दरअसल, हुआ यह है कि निसान इसे डस्टर से थोड़ा प्रीमियम बनाना चाहती है. इसलिए इसके चेहरे-मोहरे को बदला गया है. गाड़ी का फ्रंट, हेडलैंप्स और टेललैंप्स में आपको तब्दीलियां नजर आयेंगी. साथ में अंदर के लुक को भी रिफाइन किया गया है. ऐसे में उम्मीद है कि इसकी कीमत डस्टर से ज्यादा ही रखी जायेगी. और अगर ऐसा हुआ तो फिर सवाल यह उठेगा कि ग्राहक थोड़ी साफ-सुथरी डस्टर के लिए इतने पैसे क्यों देंगे?

खैर, इस पेचीदा सवाल पर हमारी भी नजर है और ग्राहकों की भी. कैसे निसान और रिनॉ लड़ पाते हैं, कैसे तरकीब भिड़ाते हैं फोर्ड की इकोस्पोर्ट की कीमत से लड़ने के लिए, यह देखना हमारे लिए दिलचस्प है. बहुत संभव है कि एसयूवी ग्राहकों के लिए भी यह मामला फायदेमंद हो.

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