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बहादुर हाउसिंग कॉलोनी में हुए बम ब्लास्ट की जांच शुरू, हुंकार रैली से चार गुना शक्तिशाली बम

पटना: पटना के भूतनाथ रोड के एमआइजी फ्लैट में हुए बम विस्फोट के तार आतंकियों से जुड़े हैं. यह फिलहाल पटना पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के अनुसंधान में सामने आया है. यहां सोमवार की रात एक बम फटा था और दो अन्य टाइमर बम बरामद किये गये थे. जिस तरह के बम बरामद किये गये […]

पटना: पटना के भूतनाथ रोड के एमआइजी फ्लैट में हुए बम विस्फोट के तार आतंकियों से जुड़े हैं. यह फिलहाल पटना पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के अनुसंधान में सामने आया है. यहां सोमवार की रात एक बम फटा था और दो अन्य टाइमर बम बरामद किये गये थे. जिस तरह के बम बरामद किये गये हैं, इस तरह के बम आतंकी संगठन ही बना सकते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं.

नक्सली व अपराधियों द्वारा इस तरह के बम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. नक्सली आमतौर पर बारूदी सुरंग बना कर विस्फोट कराते है या फिर प्रेशर बम आदि का इस्तेमाल करते है. जबकि अपराधियों को टाइमर बम की आवश्यकता ही नहीं है.

अभी तक ऐसा कभी मामला सामने नहीं आया है, जब नक्सलियों व अपराधी गिरोहों ने टाइमर बम का उपयोग किया हो. ऐसे बम का इस्तेमाल आतंकी ही करते है और वह भी किसी भीड़भाड़ वाले जगह में. आतंकी किसी भी सभा में आम आदमी की तरह प्रवेश कर जाते है और उन टाइमर बम को वहां झोला आदि में बांध कर छोड़ देते है और फिर वहां से निकल जाते हैं. इन तमाम कारणों के कारण पुलिस व सुरक्षा एजेंसी यह मान कर चल रही है कि तीनों ही बम किसी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए रखे थे. लेकिन यह किस आतंकी वारदात के लिए रखे गये थे, यह कुंदन, अशोक व हेमंत के पकड़े जाने के बाद ही खुलासा हो सकता है.

आतंकियों का कुरियर तो नहीं है कुंदन?

जिस तरह के बमों को बरामद किया गया है, उससे यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि खुद कुंदन व उसके अन्य साथी इस तरह के बम को नहीं बना सकते हैं. इसके कारण यह आशंका जतायी जा रही है कि कुंदन किसी आतंकी संगठन का कुरियर भी हो सकता है और बिहार के बाहर से वह बम पटना में लाया गया था. अगर यह अपने आप विस्फोट नहीं करता, तो शायद बम जिस उद्देश्य से लाये गये थे, उसे आसानी से अंजाम दे दिया जाता. हालांकि, कुंदन, अशोक व हेमंत के पकड़े जाने के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सकती है.

सात किलो का है एक बम

एक बम सात किलो का था. उसमें लोटस कंपनी की घड़ी लगी थी, जिसका इस्तेमाल पूर्व में भी गांधी मैदान में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में किया जा चुका है. एक बम में करीब साढ़े छह किलो विस्फोटक सामग्री भरे थे. फिलहाल बम में भरे विस्फोटक में अमोनियम नाइट्रेट, केरोसिन, डेटोनेटर आदि होने की संभावना गयी है. एनआइए की टीम ने उन विस्फोटकों के नमूने को अपने साथ लिया है. जांच के बाद पूरी तरह से स्पष्ट हो जायेगा कि बम बनाने में किस तरह के विस्फोटक व तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.

आतंकी ही करते हैं ऐसे शक्तिशाली बमों का इस्तेमाल

27 अक्तूबर, 2013 को भाजपा की रैली के दौरान हुए सीरियल बम ब्लास्ट में जिस तरह के बम का उपयोग किये गये थे, उससे यह बम चार गुना शक्तिशाली था. बम की क्षमता कम होने के कारण गांधी मैदान में ज्यादा जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था और उसकी आवाज भी काफी कम थी. गांधी मैदान में हुए ब्लास्ट में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था. इसे जिलेटिन पाइप में भरा गया था. जिलेटिन, आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट व डेटोनेटर का उपयोग कर बम को शक्तिशाली बनाया गया था. जिलेटिन, अमोनियम नाइट्रेट व आरडीएक्स को राजस्थान से लाया गया था. गांधी मैदान में बरामद बम के अंदर रही जिलेटिन पाइप के ऊपर राजस्थान अंकित था. इसी तरह के बम का प्रयोग दक्षिण भारत के एक थाना को उड़ाने में प्रयोग किया गया था. यही नहीं भूतनाथ रोड में मिले बम में भी लोटस कंपनी की घड़ी लगी है. यह घड़ी आमतौर पर कोलकाता से लायी जाती है. पटना में इस कंपनी की घड़ी की डिमांड नहीं होने के कारण यह इक्के-दुक्के जगहों पर ही मिलती है. लेकिन, इस घड़ी की कोलकाता में काफी मांग है. इस तरह की घड़ी लगे बम का यूज इंडियन मुजाहिद्दीन पटना बम ब्लास्ट के दौरान कर चुका है. जिससे यह आशंका जतायी जा रही है कि इस बम को बनाने में भी कोलकाता से ही लोटस घड़ी को लाया गया था.

तीनों बम एक साथ फटते, तो जान-माल की काफी होती क्षति

तीनों बम एक साथ विस्फोट करता, तो काफी जान-माल का नुकसान होता, क्योंकि जिस फ्लैट में कुंदन व अन्य रहते थे, उसके नीचे व ऊपर कई अन्य फ्लैट थे, जिनमें काफी लोग रह रहे थे. बताया जाता है कि जो बम विस्फोट किया, वह भी पूरी तरह से नहीं फटा था. बम फटा, तो केवल आवाज आयी. जबकि बम के विस्फोटक भरे पार्ट सही सलामत थे. अगर बम के विस्फोटक पार्ट भी विस्फोट करता, तो उसके साथ रहे दो अन्य बम भी ब्लास्ट कर जाते. इन तीनों बमों के एक साथ विस्फोट करने के बाद यह निश्चित था कि बिल्डिंग ही गिर जाती.

तो क्या फिर सक्रिय हुआ इंडियन मुजाहिद्दीन?

जिस तरह के बम बरामद हुए है, इससे यह प्रतीत होता है कि इंडियन मुजाहिद्दीन फिर से सक्रिय हो गया है, क्योंकि इस तरह के टाइमर बम का इस्तेमाल इंडियन मुजाहिद्दीन ही करता है. अन्य आतंकी संगठन भी इस तरह के बम का इस्तेमाल नहीं करते है.

तीन मानव बम बनाने की तो तैयारी नहीं!

सूत्रों की मानें तो भूतनाथ रोड स्थित फ्लैट में तीन शक्तिशाली बम रखे थे. इसका अर्थ यह तो नहीं है कि कोई आतंकी संगठन तीन मानव बम की तैयारी कर चुका था. गौरतलब है कि पटना सीरियल बम ब्लास्ट में भी मानव बम बनने के लिए शौचालय में बम को छुपा कर रखा गया था. उस समय एक आतंकी ताहिर उर्फ एनुल मानव बम बनने के चक्कर में ही बम को सही से अपने शरीर से नहीं बांध सका और बम विस्फोट कर गया. जिसके कारण उसकी मौत हो गयी थी.

कुंदन के पिता व भाई से पूछताछ

बिहारशरीफ (नालंदा). तीनों संग्दिधों युवकों के नाम व पतों की जांच को लेकर एटीएस टीम नालंदा पहुंची. इस ब्लास्ट की पूरी जिम्मेवारी झारखंड की प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ ने लिया है. करीब छह माह पूर्व पीएलएफआइ ने जिले के विभिन्न भागों में धमकी भरे परचे फेंके थे. हिलसा के एसडीपीओ ने बताया कि कुंदन एकंगरसराय के बादराबाद गांव का है. उसके पिता शिशुवंत प्रसाद व भाई लक्ष्मण प्रसाद से उसके बारे में जानकारी ली गयी. शेष दो युवक हेमंत कुमार व अशोक कुमार हिलसा के हैं. उनके बारे में जानकारी ली गयी.

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