–सरावाक रिपोर्ट, रेडियो फ्री सरावाक से सरकार को घेरा
पिछले कुछ दशकों में मलयेशिया की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी है. पर अफसोसजनक यह है कि एशिया के सर्वाधिक घने जंगलों को नष्ट कर विकास की राह बनायी गयी है.
इसके खिलाफ क्लेअर रिकैशल ब्राउन ने जबरदस्त मुहिम छेड़ी है. ब्राउन साहस की पत्रकारिता की प्रतीक बन कर उभरी हैं. वह बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के लिए भी काम कर चुकी हैं.
– मलयेशिया के बोर्नियो में एशिया के सबसे घने जंगल
– बोर्नियो, जावा, सुमात्र के जंगलों को काटने से पर्यावरण को गंभीर खतरा
– बोर्नियो के सरावाक में पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाती क्लेअर ब्राउन
– सरावाक के प्रधानमंत्री अब्दुल तैब और उनके परिवार के घोटालों का पर्दाफाश
दक्षिण पूर्वी एशिया के देश मलयेशिया की अर्थव्यवस्था उफान पर है. राजधानी कुआलालांपुर और पेट्रोनॉस टावर्स की भव्यता देखते ही बनती है. पर यह तेजी और चकाचौंध पर्यावरण की कीमत पर है. बड़े पैमाने पर जंगलों का सफाया हो रहा है. बोर्नियो द्वीप के घने जंगलों से उद्योगों की जरूरतों को पूरा किया जाता है.
बोर्नियो का ही राज्य है सरावाक, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन विकास के नाम पर सरकार यहां भी जंगलों को नष्ट कर रही है. इन सबके बीच सरावाक की रहने वाली क्लेअर रिकैशल ब्राउन जंगलों को कटने से बचाने के लिए संघर्षरत रही हैं. वह अभी लंदन में हैं और उन्हें मलयेशिया में प्रवेश करने से रोक दिया गया है. यह सब उद्योगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है.
– सोशल मीडिया का इस्तेमाल
ब्राउन सोशल मीडिया के जरिये अपने संदेश फैला रही हैं. इंटरनेट पर पोस्ट कर पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता फैलाने और सही मायनों में एक राय बनाने में वह कामयाब रही हैं. यही नहीं ‘सरावाक रिपोर्ट’ नाम से उनकी एक वेबसाइट भी है, जिस पर मलयेशिया की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर बेबाक तरीके से लिखा जाता है.
इसी से जुड़ा हुआ एक एप्लीकेशन है ‘रेडियो फ्री सरावाक’, जिस पर इन्हीं मुद्दों से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं. मलयेशिया जहां आर्थिक संपन्नता बड़ी तेजी से बढ़ रही है और बड़ी संख्या में नव धनाढय़ वर्गो में वृद्धि हुई है, वहां लोकतांत्रिक मूल्यों का भी धीरे–धीरे क्षरण हो रहा है. ब्राउन इन्हीं मूल्यों को संजोने में जुटी हैं.
सरावाक ने ध्यान खींचा
ब्राउन की उम्र अभी 54 वर्ष है. जब वह आठ वर्ष की थीं, तो उन्हें बोर्डिग स्कूल भेज दिया गया. आगे की पढ़ाई उन्होंने लंदन में की. फिर पत्रकारिता में कैरियर बनाया. वह बीबीसी वर्ल्ड सर्विस, आइटीवी न्यूज और स्काई टेलीविजन के लिए काम कर चुकी हैं. जब वह सरावाक में पर्यावरण पर आयोजित एक सम्मेलन में आयीं, तो वह नष्ट होतीं जंगलों को देख कर दंग कर रह गयीं.
ब्राउन ने तय किया, वह ऐसा नहीं होने देंगी. ब्राउन ने ब्रूनो मंसेर फंड (इस फंड की शुरुआत एक स्विस पर्यावरणविद के नाम पर की गयी थी, जो मलयेशिया में काम कर रहे थे, पर 2000 में वे गायब हो गये और फिर उनका अता–पता नहीं चला) की सहायता से 2010 में ‘सरावाक रिपोर्ट’ की शुरुआत की. यह वेबसाइट मलयेशिया के ज्वलंत मुद्दों पर ऑनलाइन परिचर्चा का प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है.
साथ ही वेबसाइट पर कई खोजपरक रिपोर्ट भी दी जाती हैं. यह सारा संचालन कहां से किया जाता है, इसका पता सुरक्षा कारणों से गुप्त रखा गया है. इसी तरह रेडियोफ्री सरावाक पर प्रसारण किये जाते हैं, जिसे स्थानीय चर्च और विरोधी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है.
चुनौतियों को स्वीकारा
क्लेअर रिकैशल ब्राउन की शादी ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन (2007-10) के छोटे भाई एंड्रिव ब्राउन से हुई है. जब गोर्डन ब्राउन प्रधानमंत्री थे, तभी क्लेअर ने ‘सरावाक रिपोर्ट’ की शुरुआत की, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. क्लेअर कहती हैं, वह इसलिए चुप रही क्योंकि ब्राउन प्रधानमंत्री थे. लेकिन उनके प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उनके परिवार के लोगों ने मलयेशिया पर काम करने के लिए प्रेरित किया.
निशाने पर सरावाक के प्रधानमंत्री
बोर्नियो द्वीप स्थित सरावाक राज्य के प्रधानमंत्री अब्दुल तैब और उनका परिवार क्लेअर रिकैशल ब्राउन के निशाने पर है. क्लेअर ब्राउन ने अपने लेखों में सनसनीखेज रूप से बताया है कि कैसे अब्दुल तैब और उसके परिवार ने अरबों रुपये की संपत्ति खड़ी की है और उन्होंने अमेरिका और यूरोप के कई शहरों में रियल स्टेट में पैसे निवेश किये हैं. मलयेशिया में उनका राजनीतिक दबदबा तो है ही, उन्होंने कई बड़े उद्योगों पर भी कब्जा कर रखा है.
स्विस बैंकों में भी उनके परिवार के लोगों के पैसे रखे गये हैं. अब्दुल तैब के खिलाफ मलयेशियन एंटी कंरप्शन कमीशन जांच कर रहा है. हालांकि तैब ने इन सबसे इनकार किया है. जबकि क्लेअर ब्राउन ने तैब पर एक तरह से हल्ला बोला है. इसका प्रमाण तब देखने को मिला, जब क्लेअर ब्राउन को सरावाक के कुचिंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें सिंगापुर भेज दिया गया.
सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस प्रोफेसर और मलयेशियाई मामलों के विद्वान ब्रिज वेल्श के अनुसार, क्लेअर ब्राउन ने सरावाक और मलयेशिया के दूसरे हिस्सों में पर्यावरण क्षति को लेकर राजनीतिक बहस छेड़ी है, जिसका श्रेय उनकी सरावाक रिपोर्ट वेबसाइट और रेडियो फ्री सरावाक को जाता है. ब्राउन की रिपोर्टो का ही असर है कि तैब और उनके परिवार के कारगुजारियों के बारे में लोगों को पता चल चुका है. उनकी छवि खराब हुई है, खास कर चीनी मूल के लोगों में.
पति का मिला साथ
क्लेअर रिकैशल ब्राउन के पति एंडिव ब्राउन भी पत्रकार रहे हैं. अभी वह ऊर्जा उद्योग में सक्रिय हैं. पर क्लेअर के काम में हर तरह से साथ देते हैं. क्लेअर कहती हैं कि उन्हें विरोध की पत्रकारिता चुनने का कोई मलाल नहीं है.
उन्हें इस ओर बढ़ने की प्रेरणा मंसेर से मिली, जिन्होंने सरावाक में कटते जंगलों के खिलाफ आवाज उठायी ती. वह कहती हैं कि अगर वह विरोध की पत्रकारिता न करती, तो वह अपने को कभी माफ नहीं कर पातीं.
बोर्नियो की व्यथा
मलयेशिया की सरकार ‘मलयेशिया ट्रूली एशिया’ नाम से ब्रांडिंग कर रही है, पर सच्चई यह है कि मलयेशिया में बड़े पैमाने पर जंगलों को साफ किया जा रहा है. बोर्नियो के जंगलों में लगी आग इसका उदाहरण है. यही नहीं पड़ोस के इंडोनेशिया में यही हो रहा है. जैसा कि हम जानते हैं कि बोर्नियो एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है.
माना जाता है कि यहां दुनिया के सबसे पुराने और घने वर्षा वन हैं. बोर्नियो द्वीप का 26 प्रतिशत हिस्सा मलयेशिया में आता है, शेष इंडोनेशिया और ब्रुनेई में. यहां मलयेशिया के दो राज्य सबाह और सरावाक हैं और एक केंद्र शासित प्रदेश है. बोर्नियो में आये दिन भयंकर आग लगने की खबरें आती हैं.
1997-98 में आग से लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर लगे जंगल जल गये थे. बोर्नियो में जंगलों में लाखों हेक्टेयर भूमि पीटलैंड (पीट भूमि, जिसे प्राकृतिक भूमि से बना हुआ खाद भी कहा जाता है) है. पर जंगलों को काटे जाने के कारण इन क्षेत्रों में पानी का बहाव तेज हुआ है. ये पीट बड़ी धीमी गति से जलते हैं, पर एक बार आग लग जाने के बाद ये भीतर सुलगते रहते हैं. बोर्नियो के जंगलों में आग लगने का यह एक प्रमुख कारण है.