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मौजूद हैं उल्कापात से पैदा धूलकण

इस वर्ष फरवरी में रूस में हुए भयावह उल्कापात के बाद से पैदा हुई ब्रहृमांडीय धूल अब भी वातावरण में फैल रही है. ‘नासा’ की सुओमी एनपीपी मौसम सेटेलाइट के मुताबिक, इस उल्कापात से वातावरण में सैकड़ों टन सूक्ष्म मलबा फैल गया है. मालूम हो कि इसी वर्ष 15 फरवरी को रूस के चेलियाबिंस्क शहर […]

इस वर्ष फरवरी में रूस में हुए भयावह उल्कापात के बाद से पैदा हुई ब्रहृमांडीय धूल अब भी वातावरण में फैल रही है. ‘नासा’ की सुओमी एनपीपी मौसम सेटेलाइट के मुताबिक, इस उल्कापात से वातावरण में सैकड़ों टन सूक्ष्म मलबा फैल गया है. मालूम हो कि इसी वर्ष 15 फरवरी को रूस के चेलियाबिंस्क शहर से 15 मील दूर उल्कापात हुआ था, जिसमें 12,000 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे. ‘डेली मेल’ की एक खबर में बताया गया है कि नासा ने सेटेलाइट ओजोन मैपिंग और प्रोफाइलर सूट का इस्तेमाल करते हुए इससे पैदा हुए मलबे और धूलकणों का वीडियो जारी किया है. इसमें यह दिखाया गया है कि इस घटना के बाद से किस तरह से इसका मलबा पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है.

यह उल्कापिंड तकरीबन 46,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हुए धरती पर गिरा था. उस इलाके में 900 स्कूल और हॉस्पीटल समेत तकरीबन एक लाख घरों को इससे नुकसान पहुंचा था. उल्कापिंड के गिरने के तकरीबन साढ़े तीन घंटे बाद आरंभिक माप में यह पता चला था कि वायुमंडल में इसके धूलकण 25 मील तक ऊपर गये हैं और पूरब दिशा की ओर 190 मील प्रति घंटे की तेजी से बढ़ रहे हैं.

साढ़े ग्यारह लाख की आबादी वाले इसके नजदीकी औद्योगिक शहर में व्यापक पैमाने पर क्षति हुई थी और यहां के आसमान में मलबे से निकले हुए धूलकण पूरी तरह से छा गये थे. ‘नासा’ ने जो तसवीरें जारी की हैं उनमें यह दिखाया गया है कि ये धूलकण धरती के वायुमंडल में अब भी मौजूद हैं, जो हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.

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