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केंद्र का गणित बिगड़ा हमारा बजट: विकास को 12000 करोड़ कम मिलेंगे

पटना: केंद्र का बजट पेश होने के बाद बिहार की आर्थिक चिंता बढ़ गयी है. राज्य को इस वर्ष करीब 12 हजार करोड़ रुपये कम मिलेंगे. इसके कारण वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य के योजना आकार में कटौती होने की आशंका है. यदि ऐसा हुआ, तो विकास कार्यो की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. केंद्र […]

पटना: केंद्र का बजट पेश होने के बाद बिहार की आर्थिक चिंता बढ़ गयी है. राज्य को इस वर्ष करीब 12 हजार करोड़ रुपये कम मिलेंगे. इसके कारण वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य के योजना आकार में कटौती होने की आशंका है. यदि ऐसा हुआ, तो विकास कार्यो की रफ्तार धीमी पड़ सकती है.
केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) और केंद्रीय प्लान योजनाओं (सीपीएस) की संख्या में कटौती के साथ-साथ बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) को बंद कर दिया है. हालांकि, केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी 10} बढ़ा कर 42 } कर दी है. इससे राज्य को इस मद में करीब सात हजार करोड़ रुपये ज्यादा मिलेंगे. चालू वित्तीय वर्ष में बिहार को इस मद में 41 हजार करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव है.

ये रुपये 14 किस्तों में मिलते हैं. लेकिन, दूसरी ओर सीएसएस और सीपीएस के तहत मिलनेवाले करीब 34 हजार करोड़ रुपये में बड़ी कटौती की गयी है. वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि सीएसएस और सीपीएस के तहत बिहार को इस बार मौटे तौर पर करीब 16 हजार करोड़ रुपये कम मिलेंगे. हालांकि, इसकी पूरी तसवीर स्टेट बजट एलोकेशन (राज्यवार बजट आवंटन) आने के बाद ही साफ हो पायेगी. इसके अलावा बीआरजीएफ के तहत मिलनेवाले करीब तीन हजार करोड़ रुपये भी बंद हो गये हैं. इस तरह वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य को करीब 12 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा.

इसके कारण राज्य के बजट आकार, खासकर योजना आकार में करीब 15 फीसदी की कटौती होने की आशंका है. इस बार राज्य का बजट एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये का तैयार किया गया था. इसमें करीब 70 हजार करोड़ रुपये योजना आकार था, लेकिन केंद्र से मिलनेवाली राशि में कटौती के मद्देनजर वित्त विभाग बजट प्रस्तावों को संशोधित करने में जुट गया है. कटौती का किस योजना पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर विभागीय अधिकारी मंथन कर रहे हैं. 12 मार्च को राज्य विधानसभा में बजट पेश होना है. इस बार योजना आकार करीब 57-60 हजार करोड़ ही होने की संभावना है. वर्तमान में बिहार का योजना आकार 40 हजार करोड़ का है. इसमें सीएसएस मद के करीब 15 हजार करोड़ रुपये को मिला देने से यह बढ़ कर करीब 55 हजार करोड़ का हो गया था. परंतु सीएसएस और केंद्रीय सहायता में बड़ी कटौती होने से इसका आकार सिकुड़ जायेगा. कई सीएसएस के बंद होने से इसके तहत मिलनेवाले पैसे भी नहीं मिलेंगे. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि राज्य में चलने वाली सीएसएस की संख्या 53 से घट कर कितनी हो गयी है.
इन योजनाओं में केंद्र ने की कटौती
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाइ), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, राष्ट्रीय कृषि विकास उप मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचिंत योजना, राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, एकीकृत बाल विकास सेवा, राष्ट्रीय इ-गवर्नेस कार्ययोजना (एनइजीएपी).
दूसरी तरफ, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, इंदिरा आवास योजना समेत कुछ अन्य योजनाएं ऐसी भी हैं, जिनमें बढ़ोतरी का प्रतिशत काफी कम है. इसके अलावा एससी-एसटी, अल्पसंख्यक कल्याण, आयुष, शहरी पुनरुद्धार मिशन समेत कुछ अन्य योजनाओं में काफी बड़े स्तर पर बढ़ोतरी की गयी है.
ऐसे होगा घाटा
बढ़ोतरी : केंद्रीय करों में हिस्सेदारी में 10} वृद्धि : 7000 करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे
कटौती : सीएसएस व सीपीएस की संख्या में कमी : करीब 16000 करोड़ कम मिलेंगे
बीआरजीएफ बंद : 3000 करोड़ इस साल नहीं मिलेंगे
इस तरह वर्ष 2015-16 में 12000 करोड़ कम मिलेंगे
ये होगा असर
विकास कार्यो के लिए कम राशि उपलब्ध होगी
अधूरी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में आयेगी परेशानी
आधारभूत ढांचे के विकास में आयेगी बाधा
आंतरिक संसाधन बढ़ोतरी करने का दबाव बढ़ेगा
निर्माण कार्यो में सार्वजनिक निवेश घटेगा, विकास दर में आयेगी कमी

14वां वित्त आयोग
तेलंगाना व तमिलनाडु के बाद बिहार की राशि में सबसे कम बढ़ोतरी
राज्य प्रतिशत
छत्तीसगढ़ 93.9
कश्मीर 80.6
पंजाब 75.9
झारखंड 73.9
कर्नाटक 69.2
केरल 65.5
आंध्रा 65.3
महाराष्ट्र 65.1
मध्य प्रदेश 64.7
हरियाणा 60.3
गुजरात 57.7
प बंगाल 56.4
ओडिशा 56.4
राजस्थान 46.0
उत्तर प्रदेश 41.6
बिहार 37.9
तेलंगाना 30.9
तमिलनाडु 25.7

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