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पाकिस्तान के एकमात्र पूर्व हिंदू मुख्य न्यायाधीश का निधन
कराची : पाकिस्तान के पूर्व कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राणा भगवानदास का निधन हो गया. वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. भगवानदास देश के शीर्ष न्यायिक पद पर अपनी सेवा देने वाले एकमात्र हिंदू थे.भगवानदास का यहां एक निजी अस्पताल में दिल की बीमारी का इलाज चल रहा था. उनका कल निधन हो […]
कराची : पाकिस्तान के पूर्व कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राणा भगवानदास का निधन हो गया. वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. भगवानदास देश के शीर्ष न्यायिक पद पर अपनी सेवा देने वाले एकमात्र हिंदू थे.भगवानदास का यहां एक निजी अस्पताल में दिल की बीमारी का इलाज चल रहा था. उनका कल निधन हो गया. वह 73 वर्ष के थे. भगवानदास पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के तौर पर काम करने वाले पहले हिंदू और दूसरे गैर-मुस्लिम न्यायाधीश थे.
भगवानदास देश की न्यायपालिका के काफी सम्मानित सदस्य थे. वह 2007 में न्यायिक संकट के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कार्यकारी प्रधान न्यायाधीश थे. जब 2005 और 2006 में प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी विदेश के दौरों पर गए थे तब भी भगवानदास ने उनकी जगह प्रधान न्यायाधीश का कार्यभार संभाला था. वह फरवरी 2000 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थे. भगवानदास ने पाकिस्तान के फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया.
सिंध प्रांत में लरकाना जिले के नसीराबाद में दिसंबर 1942 में जन्मे भगवानदास ने इस्लामिक स्टडीज में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी और उन्हें संविधान और कानून का विशेषज्ञ माना जाता था.भगवानदास ने जुलाई 1967 में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किए जाने से पहले करीब दो वर्ष वकालत की थी. उन्हें जून 1994 में सिंध हाई कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था.
सिंध हाई कोर्ट ने 2002 में उस अपील को खारिज कर दिया था जिसने इस आधार पर उच्च न्यायपालिका में उनकी नियुक्ति को चुनौती दी थी कि वह गैर-मुस्लिम हैं.
राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भगवानदास के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किए हैं. प्रधानमंत्री शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर देश की सेवा में न्यायमूर्ति भगवानदास की भूमिका की प्रशंसा की और कहा कि वह कानून व्यवस्था, लोकतंत्र और सिद्धांतों में दृढ विश्वास रखते थे. कैबिनेट ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. कैबिनेट की बैठक की शुरुआत में एक मिनट का मौन रखा गया.
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