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विडंबना : रहते हैं झारखंड में और पानी पीते हैं बंगाल का
राजन सिंह चाकुलिया : चाकुलिया का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित और पश्चिम बंगाल की सीमा से बिल्कुल ही सटे माटियाबांधी पंचायत के पाकुड़ियाशोल के ग्रामीण रहते तो झारखंड में हैं, परंतु विडंबना है कि वे पश्चिम बंगाल का पानी पीते हैं. यह दंश जन प्रतिनिधियों और पेयजल तथा स्वच्छता विभाग की उपेक्षा के कारण सहना पड़ […]
राजन सिंह
चाकुलिया : चाकुलिया का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित और पश्चिम बंगाल की सीमा से बिल्कुल ही सटे माटियाबांधी पंचायत के पाकुड़ियाशोल के ग्रामीण रहते तो झारखंड में हैं, परंतु विडंबना है कि वे पश्चिम बंगाल का पानी पीते हैं. यह दंश जन प्रतिनिधियों और पेयजल तथा स्वच्छता विभाग की उपेक्षा के कारण सहना पड़ रहा है.
अंतिम छोर पर बसे इस गांव में नौकरशाहों के पांव नहीं पड़ते हैं. वहीं जन प्रतिनिधि यदा-कदा ही जाते हैं. लिहाजा यहां के ग्रामीण उपेक्षा का दंश ङोल रहे हैं. बंगाल के जमाइमारी और पाकुड़ियाशोल में सिर्फ दस फूट की सड़क का फासला है. बेलपहाड़ी जाने वाली सड़क के इस पार पाकुड़ियाशोल है और उस पार जमाइमारी. पाकुड़ियाशोल गांव में तीन टोला हैं, जिनमें 75 परिवार निवास करते हैं.
तीन टोलों में एक-एक चापानल हैं. परंतु तीनों चापानल कई माह से खराब पड़े हैं. इनकी मरम्मत करने वाला कोई नहीं है. गांव में एक भी कुआं नहीं है. ऐसे में यहां के ग्रामीण जमाइमारी प्राथमिक स्कूल में लगे चापानल से पेयजल प्राप्त करते हैं. एक टोला के ग्रामीण झरना का पानी पीते हैं.
ग्रम प्रधान बाजुन हांसदा ने बताया कि उनके घर के पास एक चापानल है. वह खराब है. दो अन्य टोलों के चापानल भी खराब हैं. ऐसे में यहां के ग्रामीण बंगाल के जमाइमारी से पेयजल लेते हैं. ग्राम प्रधान ने कहा कि तत्कालीन विधायक विद्युत वरण महतो के प्रयास से गांव तक पक्की सड़क बन गयी है. गांव में बिजली भी आ गयी है. परंतु पेयजल की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन विधायक विद्युत वरण महतो ने वर्ष 2011 में डीप बोरिंग का शिलान्यास किया था, परंतु योजना धरातल पर नहीं उतरी.
भीतरआमदा पिकेट में पेयजल का संकट
डुमरिया : भीतरआमदा पिकेट के जवानों को पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है. पिकेट में जिला बल के जवान तैनात हैं. यहां के जवान मलेरिया से पीड़ित हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करने नहीं आती है. हवलदार मंगरा मुंडा ने बताया कि एक जवान व हवलदार अब भी मलेरिया से पीड़ित हैं. उनका इलाज ग्रामीण चिकि त्सकों से कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिकेट परिसर में दो चापानल हैं. परंतु किसी का पानी पीने लायक नहीं. जवान बाहर से पानी लाते हैं. उन्होंने कहा कि पिकेट में मोटर है. परंतु बिजली की समस्या है. यहां के सभी शौचालय गंदे हो गये हैं, इसलिए वे इसका उपयोग नहीं करते हैं.
बिदु चांदान विद्यालय में पेयजल की समस्या
डुमरिया : डुमरिया के भागाबांधी बाजार स्थित बिदु चांदान आवासीय विद्यालय में पेयजल की घोर समस्या है. विद्यालय के 180 बच्चों के बीच दो चापाकल हैं. प्रधानाध्यापक सीमाल माझी ने बताया कि चापाकलों से प्र्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. बच्चे इसी पानी से नहाते हैं और इसी पानी से मध्याह्न् भोजन बनाया जाता है, इसलिए पेयजल की असुविधा होती है. श्री माझी ने बताया कि गरमी के समय में परेशानी और बढ़ जायेगी.
बच्चों को नहाने लिए दूर जाना पड़ता है, इसलिए शिक्षकों को बच्चों की देखभाल के लिए जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक से चापाकल देने की मांग की गयी, परंतु आश्ववासन ही मिला.
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