कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने का कानून और सख्त
नयी दिल्ली : कार्यस्थल पर किसी भी महिला से गलत व्यवहार करना बहुत भारी पड़ सकता है. सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रीड्रेसल एक्ट) को पहले से ज्यादा सख्त बना दिया गया है. ऑफिस में किसी भी महिला पर शारीरिक उत्पीड़न के लिए दोषी पाये जाने पर हर माह तनख्वाह की दस फीसदी कटौती और प्रमोशन से हाथ धोना पड़ सकता है. यही नहीं पर्क्स और प्रिविलेजेस छिनने के साथ ही नौकरी से भी निकाला जा सकता है.
यह नये नियम अब सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल) कानून का हिस्सा हैं और इन्हें संसद ने हरी झंडी दे दी है.
बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध
नये नियमों के तहत शिकायत कमेटियों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे किसी बाहरी दोषी व्यक्ति का ऑफिस में प्रवेश निषेध कर सकती है. यही नहीं पैनल दोषी पर पांच सौ रुपये का जुर्माना भी लगा सकती है. वहीं अगर कोई महिला किसी पुरुष पर झूठा आरोप लगाये, तो उस महिला की तनख्वाह में से हर माह पांच फीसदी कटौती करने का प्रावधान है. यह प्रावधान नये नियमों में जोड़े गये हैं. गौरतलब है कि मिनिस्ट्री ऑफ वुमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट ने यह नियम लॉ मिनिस्ट्री के पास सुझाव के लिए भेजे हैं. अगस्त माह के अंत तक इन प्रावधानों पर मुहर लगने की उम्मीद है.
कमेटी को होगा यह अधिकार
कानून के तहत बनायी गयी शिकायत कमेटी को यह अधिकार होगा कि वह दोषी से लिखित में माफीनामा, सेंशर, प्रमोशन, इंक्रीमेंट्स, इंटाइटलमेंट्स व प्रिविलेजेज आदि रोक सकती है. इसके अलावा शिकायत कमेटी सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस में दोषी को नौकरी से भी निकाल सकती है. कमेटी दोषी का लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर सकती है. वहीं अगर जुर्म किसी बाहर के व्यक्ति ने किया है या किसी विजिटर ने किया है, तो कमेटी उसके ऑफिस परिसर में प्रवेश पर रोक लगा सकती है और चाहे तो कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है.