19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खत्म करें अपने दिमाग का जहर

दक्षा वैदकर किसी गांव में सुमन नाम की लड़की रहती थी. शादी के बाद वह अपने ससुराल पहुंची. कुछ दिनों तक सब ठीक चला. महीना बीतते-बीतते सुमन और उसकी सास में खटपट होने लगी. महीने बीतते गये, पर सास-बहू के संबंध सुधरने की बजाय और बिगड़ गये. यहां तक कि एक दिन नौबत मार-पीट तक […]

दक्षा वैदकर

किसी गांव में सुमन नाम की लड़की रहती थी. शादी के बाद वह अपने ससुराल पहुंची. कुछ दिनों तक सब ठीक चला. महीना बीतते-बीतते सुमन और उसकी सास में खटपट होने लगी. महीने बीतते गये, पर सास-बहू के संबंध सुधरने की बजाय और बिगड़ गये. यहां तक कि एक दिन नौबत मार-पीट तक पहुंच गयी. सुमन गुस्से में मायके चली गयी. उसने निश्चय किया कि वह अपनी सास से बदला लेकर रहेगी. वह गांव के वैद्य के पास पहुंची और बोली- वैद्यजी, मैं सास से बहुत परेशान हूं, मेरा किया कुछ भी उसे अच्छा नहीं लगता. मुङो किसी भी तरह उससे छुटकारा दिला दीजिए.

वैद्य बोले- बेटी, मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा, पर तुम्हें एक बात का ध्यान रखना होगा. मैं जैसा कहूं ठीक वैसा ही करना. मैं वैसा ही करूंगी, बहू बोली. वैद्य अंदर गये और जड़ी-बूटियों का एक डिब्बा लेकर आये और सुमन को थमाते हुए बोले- तुम अपनी सास को मारने के लिए तेज जहर का प्रयोग नहीं कर सकती. यह डिब्बा लो, इसके अंदर दुर्लभ जड़ी-बूटियां हैं, जिसके सेवन से सात-आठ महीने में इंसान की मौत हो जाती है. अब हर रोज तुम अपनी सास के भोजन में चुपके से इन्हें मिला देना. ध्यान रहे, इस बीच तुम अपनी सास से अच्छी तरह से पेश आना, ताकि मौत के बाद किसी का शक तुम पर न जाये.

सुमन खुशी-खुशी जड़ी-बूटियां लेकर ससुराल लौट गयी. अब उसका व्यवहार बदल चुका था, अब वह सास की हर बात मानने लगी थी. उनके लिए स्वादिष्ट भोजन बनाने लगी थी. छह महीने बीतने पर घर का माहौल बिलकुल बदल गया. जो सास पहले बहू की बुराई करते नहीं थकती थी, वही अब उसकी तारीफ करने लगी. सुमन को भी सास में अपनी मां नजर आने लगी थी. एक दिन वह किसी बहाने से निकली और सीधे वैद्यजी के पास पहुंची. वह बोली, मेरी मदद करिये, मैं अब अपनी सास को नहीं मारना चाहती. वह एकदम बदल गयी हैं. किसी भी तरह से उस जहर का असर खत्म कर दीजिए. वैद्य बोले- बेटी, मैंने तुम्हें कभी जहर दिया ही नहीं था. उस डिब्बे में तो साधारण जड़ी-बूटियां थीं. जहर तो तुम्हारे दिमाग और नजरिये में था.

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

हमें अकसर दूसरों की बुराइयां ही नजर आती हैं, दूसरों का डांटना दिखता है, हम यह सोचते भी नहीं हैं कि शायद हमारे ही व्यवहार में कोई कमी है.

अगर आप सामने वाले को इज्जत देंगे, उससे प्रेमपूर्वक बात करेंगे, बड़ों का सम्मान करेंगे, उनकी मदद करेंगे, तो कोई भी आपसे क्यों नाराज होगा.

फॉलो करें.. फेसबुक पर www.facebook.com/successsidhi

ट्वीटर पर www.twitter.com/successsidhi

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें