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पेट की 20 प्रतिशत बीमारियां साधारण दवाइयों से हो सकती हैं ठीक, बेवजह एंटी-बायोटिक से बचें
नयी दिल्ली : प्रतिष्ठित संस्थान संजय गांधी पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस के डाक्टरों का कहना है कि पेट की बीमारियों से ग्रसित करीब 20 प्रतिशत मरीजों को साधारण दवाइयों से ठीक किया जा सकता है लेकिन उन्हें ऐसी दवायें दी जाती हैं जिनसे लंबे समय में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. लखनऊ स्थित संस्थान […]
नयी दिल्ली : प्रतिष्ठित संस्थान संजय गांधी पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस के डाक्टरों का कहना है कि पेट की बीमारियों से ग्रसित करीब 20 प्रतिशत मरीजों को साधारण दवाइयों से ठीक किया जा सकता है लेकिन उन्हें ऐसी दवायें दी जाती हैं जिनसे लंबे समय में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं.
लखनऊ स्थित संस्थान में गैस्ट्रोएंट्रेलोजी विभाग में प्राध्यापक डा. उदय घोषाल ने कहा कि विशेषज्ञ डाक्टरों के पास जाने वाले 40-60 प्रतिशत मरीज आंतों की गडबडी, कब्ज, अपच जैसी छोटी मोटी बीमारियों से ग्रसित होते हैं जो साधारण दवाइयों से ठीक की जा सकती हैं जिसके लिए विस्तृत पूछताछ की जरुरत होती है. लेकिन विशेषज्ञ डाक्टरों के पास समय की कमी होने के कारण ऐसा नहीं हो पाता.
डा. घोषाल ने कहा कि इनमें से 20 प्रतिशत मामलों में पेट के निचले हिस्से में अम्ल रोधी दवायें दे दी जातीं हैं जबकि अधिकतर मामलों में समस्या पेट के ऊपरी हिस्से से जुडी हुई होती है. कई मामले में दी जाने वाली दवाइयों के लंबे समय तक सेवन से कई जटिलताएं सामने आ सकती हैं. इससे हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं.
संस्थान आंतों की बीमारियों के संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर के इलाज के उद्देश्य से विशेषज्ञ डाक्टरों के तीन दिवसीय अंततराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. छह फरवरी से शुरु इस सम्मेलन में विदेशों से करीब 100 प्रतिभागियों के शामिल होने की संभावना है.
अमेरिका, सिंगापुर, चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, जापान, थाइलैंड, इंग्लैंड, इटली, ताइवान, हांगकांग, इस्राइल, फिलीपीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी प्रतिनिधियों के इसमें शामिल होने की संभावना है.
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