
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि क़ैदियों को सेक्स की इजाज़त दी जा सकती है, बशर्ते वो शादीशुदा हों और अपने बच्चे पैदा करना चाहते हों.
मंगलवार को सार्वजनिक अदालत के आदेश में कहा गया कि संतान के जन्म के लिए वैवाहिक संबंध बनाना या कृत्रिम गर्भाधान मूलभूत अधिकार है.
हाईकोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने यह फ़ैसला एक क़ैदी दंपती जसवीर सिंह और सोनिया की याचिका पर दिया.
दोनों फ़िरौती के लिए एक 16 साल के लड़के के अपहरण और हत्या के दोष में पटियाला जेल में बंद है.
‘जेल सुधार समिति’
याचिका में कहा गया था कि जसवीर सिंह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र है, लिहाज़ा उसे बच्चा पैदा करने के लिए वैवाहिक जीवन जीने का अधिकार दिया जाए.

अदालत ने हालांकि दोनों के अपराध की गंभीरता देखते हुए इसकी इजाज़त नहीं दी पर व्यापक जनहित में याचिका का विस्तार कर दिया.
अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार और निजी स्वतंत्रता में अपराधियों और क़ैदियों के वैवाहिक संबंध बनाने के लिए दौरे और विकल्प के रूप में कृत्रिम गर्भाधान भी शामिल है.
हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि यह अधिकार क़ानून के अनुसार ही दिए जाएंगे और यह राज्य सरकार का विशेषाधिकार है.
इसके लिए अदालत ने पंजाब सरकार को आदेश दिया कि वह हाईकोर्ट के एक पूर्व जज की अध्यक्षता में जेल सुधार समिति बनाए.
इसमें एक समाजविज्ञानी, जेल सुधार विशेषज्ञ और जेल प्रबंधन विशेषज्ञ होने चाहिए.
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