रांची: चाईबासा की चंपाबाग निवासी विमला (बदला हुआ नाम) ने प्राइवेट से मैट्रिक तक की पढ़ाई की. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए घरवालों ने पढ़ाई छुड़वा दी और बाहर जाकर काम करने के लिए दबाव डाला. विमला को अपने भाई के साथ दिल्ली जाना पड़ा.
जिस घर में विमला को काम मिला, वहां उसे काफी प्रताड़ित किया जाता था. लगभग तीन माह तक काम करने के बाद विमला को उस घर से मुक्त कराया गया. उसके नियोक्ता पर मुकदमा किया गया और 31000 रुपये का मुआवजा भी मिला. अब विमला आगे पढ़ाई करना चाहती है.
कुछ करना चाहती है बोकारो की रिया
बोकारो निवासी रिया (15 वर्ष) को नवंबर में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भटकते हुए पुलिस ने पकड़ा था, जिसके बाद भारतीय किसान संघ व अन्य संस्था के सहयोग से उसे रांची लाया गया. रिया ने कहा कि मम्मी पापा उसे पीटते थे. जीजाजी भी अक्सर पिटाई करते थे. मारपीट से तंग आकर वह घर से भाग गयी और दिल्ली वाली ट्रेन में बैठ गयी. रिया अपने घर वापस नहीं जाना चाहती है. वह कहती है पढ़ लिखकर कोई काम सीख लेंगे. अपनी जिंदगी अब अपने दम पर ही बीतानी है.
झारखंड की लड़कियां हर साल ट्रैफिकिंग की शिकार होती हैं. दलाल इन्हें नौकरी व बेहतर जिंदगी का ख्वाब दिखा कर महानगरों में भेज देते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी है. दलाल इसी का फायदा उठाते हैं.