धनबाद: पढ़े-लिखे लोग ज्यादा समझदार होते हैं. जिले में यह धारणा गलत है. परिवार नियोजन में क्षेत्र के पढ़े-लिखे लोग अब भी नसबंदी से डरते हैं. यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग को एक-एक पुरुषों को नसबंदी के लिए राजी करने में पसीने छूट जाते हैं. इस कारण राज्य से दिये गये लक्ष्य शायद ही जिले में कभी पूरा हो पाता है.
महिलाएं डर जाती हैं
परिवार नियोजन के लिए लोगों को जागरूक कर रही स्वास्थ्य परियोजना (यूएचआइ) के काउंसेलरों की मानें तो 90 फीसदी पुरुषों में इस बात का डर है कि इससे शारीरिक कमजोरी आ जाती है. दूसरी ओर पुरुषों के इस काम से रोकने में खुद महिला ही आगे आ जाती है. महिला को लगता है कि जो भी कमजोरी होगी हमें ही होगी. पुरुष को कुछ नहीं हो. महिलाएं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.
कॉपरटी लोकप्रिय
यही कारण है कि आधी आबादी नसबंदी करा कर परिवार नियोजन का स्थायी उपाय करने से धीरे-धीरे मुंह मोड़ रही हैं. अस्थायी उपाय कॉपरटी उनके मन को भा रही है.
महिला से काफी कम पुरुष नसबंदी
वर्ष 2011-12
कार्य लक्ष्य उपलब्धि प्रतिशत
बंध्याकरण 18,000 11,147 61.93
नसबंदी 3500 711 20.31
वर्ष 2012-13
बंध्याकरण 13500 10038 74.36
नसबंदी 2000 390 19.59
वर्ष 2013-14
बंध्याकरण 13500 7,631 56.52
नसबंदी 800 284 35.50
वर्ष 2014-15 (जनवरी से नवंबर तक)
बंध्याकरण 13500 1448
नसबंदी 800 27
जिले की जनसंख्या एक नजर
कुल जनसंख्या : 2,684,487
कुल पुरुष : 1,405,956
कुल महिला: 1,278,531
(स्रोत : जनगणना 2011)
साक्षरता दर (प्रतिशत में)
औसत साक्षरता दर : 76.59
पुरुष साक्षरता दर 89.13
महिला साक्षरता दर 62.03
(स्रोत सर्वे 2007)
पुरुषों में नसबंदी के बाद कमजोरी आने की गलतफहमी है. काफी देर काउंसेलिंग करने के बाद उन्हें नसबंदी के लिए तैयार करना पड़ता है. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है. पुरुष के नसबंदी करने से कोई भी कमजोरी नहीं होती है. इसके लिए सरकार लाभुकों को राशि भी देती है.
डॉ एके सिन्हा, सीएस, धनबाद