वर्ष 2014 समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. इस वर्ष कई ऐसे आविष्कार सामने आये हैं, जिन्होंने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. प्रतिष्ठित ‘टाइम’ मैगजीन ने 2014 के दुनियाभर के 25 प्रमुख आविष्कारों में भारत के ‘मंगलयान’ को भी शामिल किया है. इन्हीं 25 में से 11 बहुचर्चित आविष्कारों के बारे में अहम जानकारियां दे रहा है आज का नॉलेज. ऐसे ही कुछ और आविष्कारों के बारे में पढ़ें कल के नॉलेज में.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा मंगल ग्रह की थाह लेने के मकसद से भेजे गये ‘मंगलयान’ ने इस वर्ष के नवीन आविष्कारों की सूची में एक नया आयाम जोड़ दिया है. अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘टाइम’ ने भारत के ‘मंगलयान’ मिशन को इस वर्ष के दुनियाभर के 25 बेहतरीन आविष्कारों की सूची में शामिल किया है. इस पत्रिका ने मंगलयान के बारे में लिखा है कि मिशन की यह सफलता भारत को आनेवाले समय में अंतरिक्ष की दुनिया में आगे रखेगी. दरअसल, अब तक कोई भी देश पहले प्रयास में मंगल पर पहुंचने में कामयाब नहीं हो सका है. न ही अमेरिका, न रूस और न ही कोई यूरोपीय देश. 24 सितंबर, 2014 को भारत ने इसे मुमकिन कर दिखाया. इस पत्रिका ने लिखा कि जैसे ही मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हुआ, उसी समय भारत अपने प्रतिद्वंद्वी एशियाई देशों से आगे निकल गया. ‘टाइम मैगजीन’ ने मंगलयान को ‘सुपरमार्ट स्पेसक्राफ्ट’ की संज्ञा दी है. नये आविष्कारों की वैश्विक सूची की शुरुआत में ‘टाइम’ ने लिखा है- ‘मेकिंग द वल्र्ड बेटर, स्मार्टर एंड इन सम केसेस- अ लिटल मोर फन’ है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा विकसित किये गये मंगलयान पर 450 करोड़ रुपये का खर्च आया था. मंगलयान के मिशन से जुड़ा पूरा खर्च ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाली हॉलीवुड मूवी ‘ग्रैविटी’ से भी काफी कम है. पत्रिका के मुताबिक, महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे भारत को अंतरग्रहीय अभियान में पैर पसारने में मदद मिलेगी, जो देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम और विशेष तौर पर विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि होगी.
जादुई कालीन की तरह उड़ेगा ‘होवरबोर्ड’
बचपन में कहानियों में आपने ‘जादुई कालीन’ के बारे में पढ़ा होगा. भले ही उस समय जादुई कालीन पर चढ़ने का आपका सपना साकार न हुआ हो, लेकिन भविष्य में यह सपना साकार हो सकता है. इस वर्ष इसी से कुछ मिलती-जुलती एक तकनीक का इजाद किया गया है, जिसे होवरबोर्ड के नाम दिया गया है. अमेरिका में कैलिफोर्निया की एक तकनीकी फर्म ‘हेंडो’ ने इनसान के जादुई कालीन पर उड़ने जैसे सपने को हकीकत में बदल दिया है. हालांकि, दुनियाभर में अब तक कई फिल्म निर्माताओं ने जमीन की सतह से सट कर तेजी से उड़ने के इस तरह के कई स्टंट सीन फिल्माये हैं, लेकिन अब तक इन्हें महज कोरी कल्पना ही बतायी जाती रही है. लेकिन होवरबोर्ड महज कोरी कल्पना नहीं है और आनेवाले समय में आप भी ऐसा कर सकते हैं.
दरअसल, होवरबोर्ड एक प्रकार का स्टेकबोर्ड है, जो मैजिक कारपेट (जादुइ कालीन) की भांति लेविटेट करता है यानी सतह से करीब एक इंच ऊपर उठ कर उड़ता है. इसमें तांबा और एल्युमिनियम जैसे सुचालक पदार्थो का इस्तेमाल किया गया है. ‘हेंडो’ कंपनी द्वारा बनाये गये इस होवरबोर्ड की बैटरी 15 मिनट तक काम करती है, जो किसी मुश्किल वक्त में किसी खास स्थान से दूर निकलने के लिए काफी है. हेंडो के संस्थापक जिल और ग्रेग हैंडरसन की योजना ‘मैग्नेटिक होवरिंग’ तकनीक से भूकंपरोधी मकानों के निर्माण की भी है. बताया गया है कि इस तकनीक को विकसित करते हुए उसे इमारतों में इंस्टॉल किया जा सकता है, ताकि भूकंप आने पर उसका असर बेहद कम हो. हालांकि, कंपनी की ओर से यह भी बताया गया है कि इस दिशा में यह तकनीक अभी अपने पहले चरण में है, लेकिन सफलता हासिल होने पर यह बेहद उपयोगी साबित हो सकती है.
हाइड्रोजन नाभिकों के संलयन से मिलेगी ज्यादा बिजली
हाइड्रोजन नाभिकों के संलयन के दौरान अवमुक्त होने वाली ऊर्जा से व्यापक मात्र में पावर जेनरेट किया जाता है. इसका उत्पादन वृहद् स्तर तक किया जा सकता है और यह ऊर्जा अपेक्षाकृत कम हानिकारक है, लेकिन हाइड्रोजन नाभिकों के संलयन की इस प्रक्रिया को बड़े स्तर पर कामयाब नहीं बनाया जा सका है. इसी संदर्भ में पिछले माह लॉकहीड मार्टियन ने उम्मीद जतायी है कि अगले एक दशक में इस तकनीकी मुकाम तक पहुंचा जा सकता है. इससे छोटे आकार के कॉम्पेक्ट फ्यूजन रिएक्टर्स बनाये जा सकते हैं और ये एक ट्रक पर लोड किये जा सकते हैं. इसके रिएक्शन को नियंत्रित करने के लिए ‘मैग्नेटिक मिरर कॉनफाइनमेंट’ डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है. यह किस तरह से कार्य करेगा, इस संबंध में दुनियाभर के वैज्ञानिक उलझन में हैं, लेकिन यदि लॉकहीड इस कार्ययोजना को साकार करने में सक्षम हुए तो ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है.
थ्रीडी पिंट्रिंग सिस्टम
यह ऐसी अनोखी मशीन है, जो किसी भी चीज को पिंट्र कर सकती है. जनरल इलेक्ट्रिक ने इस क्षेत्र में एक नयी क्रांति का सूत्रपात करते हुए पारंपरिक तौर पर निर्मित की जा रही चीजों को बिलकुल बदल दिया है. इस कंपनी ने एक एयरक्राफ्ट इंजन की मरम्मत के लिए फ्यूज नोजल का पिंट्र तैयार करते हुए इसे ठीक किया. पहले इसके लिए धातु की वेल्डिंग की जाती थी. इसमें किसी मेटेरियल को बेहद पतले लेयर में विभाजित करते हुए जरूरी वस्तु बनायी जाती है. थ्रीडी पिंट्रिंग का औद्योगिक संस्करण, जिसे एडीटिव मैन्यूफैक्चरिंग के नाम से जाना जाता है, मेडिकल इंप्लांट्स के कार्यो में भी मददगार साबित हो रहा है. इंजीनियरों और डिजाइनरों के लिए यह प्लास्टिक प्रोटोटाइप का भी उत्पादन कर रहा है. किसी मशीन या उपकरण के पार्ट्स को शीघ्रता से कहीं भी बनाने में इसकी अहम भूमिका देखी जा रही है. पारंपरिक तकनीक से होने वाली निर्माण प्रक्रिया के मुकाबले इस तकनीक से की जाने वाली निर्माण प्रक्रिया में कम सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है. आम लोगों के लिए भी यह तकनीक बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है. इस तकनीक के माध्यम से किसी भी चीज का नमूना बना कर उसका निर्माण करना बेहद आसान हो गया है.
वेरी स्मार्ट वॉच
एप्पल ने एक ऐसा स्मार्ट वॉच बनाया है, जिसमें मोबाइल फोन की भांति अनेक सुविधाएं हैं. फिजिकल बटन और टचस्क्रीन के मिश्रण से ऐसी घड़ी बनायी गयी है, जो आपको कलाई पर कंप्यूटर के होने का एहसास करा सकती है. यह स्मार्ट वॉच अत्यंत स्मार्ट इसलिए है, क्योंकि समय बताने के अलावा यह मैसेज भेजने, दिशानिर्देश देने, फिटनेस ट्रैक करने और वायरलेस भुगतान का काम कर सकती है.
स्मार्टफोन रखेगा निजता कायम
सेलफोन के माध्यम से भेजी जाने वाली सूचनाओं को ज्यादातर लोग सुरक्षित नहीं मानते हैं. ऐसे में सेलफोनधारक अपनी सूचना या आंकड़े को कैसे गुप्त रख सकता है, इस पर दुनियाभर में मंथन जारी है. खासकर एडवर्ड स्नोडेन द्वारा कई देशों से जुड़े अनेक आंकड़े लीक किये जाने के बाद से यह आशंका और गहरा गयी है. इसलिए स्मार्टफोन को ब्लैकफोन में डिजाइन किया गया है. इसमें इनक्रिप्शन (कूटभाषा) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, ताकि उसे कोई अनाधिकृत व्यक्ति नहीं पढ़ सके.
बिजली से चलने वाली कार
बिजली से चलने वाली कार भले ही पिछले कई वर्षो से सड़कों पर दौड़ रही है. लेकिन धीमी गति और ज्यादा खर्चीला होने समेत अन्य कई कारणों से यह अब तक लोकप्रिय नहीं हो पायी है. बीएमडब्ल्यू ने ‘बीएमडब्ल्यू आइ’ कार लॉन्च की है, जो एक बार में तीन घंटे चार्ज करने पर 113 से 177 किमी तक की यात्र करने में सक्षम है. इसे बेहतर तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसमें एक्सीलरेटर और ब्रेक के तौर पर सिंगल पैडल का इस्तेमाल किया गया है. नतीजन इससे ज्यादा ऊर्जा-सक्षम ड्राइविंग मुमकिन है. लंबी यात्र के दौरान बैट्री डिस्चार्ज होने की दशा में इसमें वैकल्पिक इंतजाम भी किया गया है. साथ ही इसमें बैकअप के तौर पर गैस मोटर भी लगाया गया है, जिससे बैट्री को कुछ हद तक रिचार्ज किया जा सकता है.
हीमोप्यूरीफायर : इबोला से लड़ने वाला फिल्टर
इबोला बीमारी के संबंध में सबसे डराने वाली चीज है इसके वायरस का तेजी से फैलना. इसकी बढ़ोतरी दर बहुत ज्यादा है और महज एक दिन में यह इतना प्रभावी हो जाता है कि इनसान के पूरे इम्यून सिस्टम को अपने नियंत्रण में कर लेता है. लेकिन मेडिकल विशेषज्ञों ने ‘हीमोप्यूरीफायर’ के नाम से एक ऐसे उपकरण का इजाद किया है, जिसे डायलिसिस मशीन के साथ जोड़ कर इनसान के इम्यून सिस्टम को बरकरार रखा जा सकता है. इसमें लगा हुआ लैक्टिन फिल्टर रक्त में इधर-उधर घूमने वाले इबोला वायरसों को अपनी ओर खींच लेता है. हालांकि, अब तक इसका प्रयोग जर्मनी में ही किया गया है और मरीज पर एक ही बार इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इबोला के संक्रमण से निबटने में इसे काफी हद तक सफलता मिली है. डॉक्टरों को उम्मीद है कि इस तकनीक को भविष्य में और भी ज्यादा विकसित करते हुए इसे बेहद कारगर बनाया जा सकता है.
पार्टी कूलर
‘कूलेस्ट कूलर’ के नाम से एक ऐसा कूलर बनाया गया है, जिसे आप ‘ट्रॉली बैग’ की तरह खींच कर अपने साथ बाहर (पिकनिक आदि में) लेकर जा सकते हैं. इतना ही नहीं, इसमें ज्यादा खाद्य और पेय पदार्थ रखने के लिए ज्यादा जगह रखी गयी है. बताया गया है कि इसके पहले प्रोटोटाइप को विकसित करने के लिए करीब 63,000 बेकरों ने मिल कर 13.3 मिलियन डॉलर की राशि का योगदान किया है.
लूमो लिफ्ट : पीठ दर्द से बचाने वाला चिप्स
आपने शायद यह अनुमान लगाया होगा कि गलत तरीके से बैठने की दशा में कैसे इंसान पीठ दर्द से परेशान हो जाता है. दरअसल, हम काम करते समय यह भूल जाते हैं कि बैठने का सही तरीका क्या है. लूमो बॉडी टेक ने इसी मकसद से ‘लूमो लिफ्ट’ नाम से क्लिप की तरह अंगूठे के आकार का ऐसा गैजेट बनाया है, जो हमारे शर्ट पर फिट हो जायेगा और गलत तरीके से बैठने पर हमें सूचित करेगा. इसे इजाद करने में खास भूमिका निभाने वाली मोनिका पारेख का कहना है कि कुर्सी पर बैठ कर काम करने के दौरान गर्दन और पीठ की स्थिति प्रतिकूल दशा में होने पर (बैठने की आदर्श स्थिति में बदलाव) यह तुरंत हरकत में आता है और वाइब्रेट करता है. माना जा रहा है कि ऑफिस में कार्य करने वालों के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकती है. फिलहाल इसकी कीमत करीब सौ डॉलर बतायी गयी है.
लैपटॉप की जगह लेगा हाइब्रिड टैबलेट
कंप्यूटर सेक्टर की अग्रणी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एक लेटेस्ट ‘हाइब्रिड’ टैबलेट लॉन्च किया है, जिसमें डेस्कटॉप पर चलाये जाने वाले ज्यादातर एप्लीकेशन (एम एस वर्ड, एक्सेल, पावर प्वाइंट आदि) पर काम किया जा सकता है. इसका डिजाइन बेहद स्लिम है और इसमें कीबोर्ड कवर भी शामिल है, जिसे जरूरत पड़ने पर अलग किया जा सकता है. इसमें बिल्ट-इन स्टैंड भी है, जिसके सहारे इसे डेस्क पर रख कर ज्यादा देर तक आसानी से काम किया जा सकता है. डॉक्टर और बिजनेस प्रोफेशनल्स जैसे लोगों के लिए इसे ज्यादा सुटेबल बताया गया है. ‘माइक्रोसॉफ्ट सरफेस प्रो 3’ नामक इस टैबलेट की कीमत 799 डॉलर बतायी गयी है.