खैरा . प्रखंड क्षेत्र के बिहार व झारखंड की सीमा पर बसे आदिवासी बाहुल्य लखारी गांव आज भी विकास की किरण से कोसों दूर है. केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ यहां के लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. मूलभूत सुविधा से वंचित यहां के ग्रामीण को पीने का पानी हेतु चापाकल एवं पक्की सड़क, बिजली तक नसीब नहीं हो पाया है. इस गांव के बच्चों को शिक्षित होने के लिए प्राथमिक विद्यालय भी नहीं है . ग्रामीण बतातें हैं कि आसपास के गांव में विद्यालय तो हैं पर उसमें भी शिक्षक नियमित नहीं आते हैं. जिससे इस क्षेत्र के कई गांव के बच्चे प्राथमिक शिक्षा से भी वंचित हो रहे हैं . जंगल के किनारे बसे यहां के ग्रामीणों को राशन कार्ड,इंदिरा आवास व वृद्धा पेंशन आदि भी नसीब नहीं हो पाया है. यहां के अधिकतर ग्रामीण जंगल से लकड़ी काट कर एवं उसे बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि केवल चुनाव के वक्त नेता यहां वोट लेने के लिए आते हैं एवं चुनाव जीत जाने के बाद वे हमारी समस्याओं की ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझते हैं. इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी स्नेहिल आनंद से पूछे जाने पर इसकी जानकारी शीघ्र पंचायत के मुखिया से ले कर यथाशीघ्र ग्रामीणों की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जायेगा.
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मौलिक सुविधा से वंचित हैं लखारी गांव के लोग
खैरा . प्रखंड क्षेत्र के बिहार व झारखंड की सीमा पर बसे आदिवासी बाहुल्य लखारी गांव आज भी विकास की किरण से कोसों दूर है. केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ यहां के लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. मूलभूत सुविधा से वंचित यहां के ग्रामीण को […]
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