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डोमचांच : सरकारी योजना का जनता को लाभ नहीं

यह तसवीर कोडरमा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत डोमचांच में करोड़ों की लागत से तैयार जलापूर्ति योजना का हाल बयां कर रही है. दो दिसंबर 1983 को करोड़ों रुपये की लागत से डोमचांच में पेयजल आपूर्ति के लिए काम शुरू हुआ था. इसका उद्घाटन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने […]

यह तसवीर कोडरमा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत डोमचांच में करोड़ों की लागत से तैयार जलापूर्ति योजना का हाल बयां कर रही है. दो दिसंबर 1983 को करोड़ों रुपये की लागत से डोमचांच में पेयजल आपूर्ति के लिए काम शुरू हुआ था. इसका उद्घाटन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने किया था. यह योजना सिर्फ तीन साल तक चालू रही. इसके बाद यहां से जलापूर्ति बंद हो गयी. ऐसे में यहां के 40 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं. करोड़ों के उपकरण खराब हो चुके हैं. मशीनें जंग खा चुकी हैं. जलापूर्ति के लिए लगायी गयी आठ किलोमीटर तक पाइप लाइन सड़ गयी है. वहीं विभाग के कार्यालय क्षतिग्रस्त व जलमीनार की स्थिति जजर्र हो चुकी है. इतना कुछ होने के बावजूद किसी ने इसकी सुधि नहीं ली.

शहरी क्षेत्र की स्थिति है बदतर

गौतम राणा

कोडरमा : कोडरमा जिला मुख्यालय से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नगर पंचायत का वार्ड संख्या एक. यह इलाका शहरी क्षेत्र में आता है. यहां के लोग समस्याओं के बीच जिंदगी बसर कर रहे हैं. लोगों का हाल ग्रामीण इलाकों से भी बदतर है. इस इलाके पर जनप्रतिनिधि का कभी ध्यान नहीं गया. गांव की आबादी लगभग 400 है, लेकिन आजादी के इतने वर्षो बाद भी बिजली नहीं पहुंच पायी है शिक्षा के नाम पर एक विद्यालय है, पर शिक्षकों का आनेजाने का कोई समय निर्धारित नहीं है. बीमार पड़ने पर भगवान ही मालिक. मरीज को खटिया से पंगडंडी के रास्ते होकर अस्पताल तक ले जाया जाता है. रोजगार के अभाव में लोग लकड़ी, पत्ता, दातून व ढिबरा चुन करजीवन यापन करते हैं. वार्ड पार्षद अमित अनुराग की मानें, तो विभागीय उदासीनता और जन प्रतिनिधि की बेरूखी के कारण यहां के लोग सुविधाओं से वंचित हैं. पंचयात भवन भी आधा-अधूरा बना है. वर्ष 2008 में 21 इंदिरा आवास भी आधे-अधूरे बनाये गये थे, जो आज खंडहर में तब्दील है. कुछ लोगों को दो-दो डिसमिल जमीन का पट्टा पूर्व में जिला प्रशासन की ओर से दिया गया था, मगर सरकारी उपेक्षा का दंश फुलवरिया के लोग झेलने को मजबूर हैं.

क्षेत्र का विकास जितना होना चाहिए था, नहीं हो पाया. लोगों की मूलभूत समस्या बिजली, पानी, सड़क पर काम बहुत कम हुआ. पानी जीवन जीने के लिए सबसे जरूरी है. पानी टंकी का उद्घाटन तो हुआ, लेकिन जलापूर्ति नहीं होने से समस्या जस की तस है. हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य का विधायक इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करेंगे. लोगों को समस्याओं से निजात मिल पायेगा. शहर में ओवरब्रिज तो बना, पर ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गयी है. इस पर भी जन प्रतिनिधियों को पहल करने की जरूरत है.
मुन्ना सुल्तानिया झुमरी तिलैया

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