कोडरमा/सतगावां : भइया यहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं पकड़ता. प्रति दिन यहां से बात नहीं होगी. चिंता मत कीजियेगा. ये आखिरी शब्द थे संतोष के. अपने भाई शिवनंदन प्रसाद से मोबाइल पर बातचीत में उत्तराखंड के केदारनाथ से संतोष कुमार पासवान ने उक्त बातें कही थी.
अब जब वह हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हो गया है, तो शव के इंतजार में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजनों को सांत्वना देने के लिए गुरुवार को उसके घर में लोगों का आना-जाना लगा रहा.
गुरुवार को एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) व आइटीबीपी की टीम गांव पहुंची है. बात संतोष के माता-पिता के ब्लड सेंपल लेने की कही जा रही है, पर समाचार लिखे जाने तक ऐसा नहीं हुआ था. मौके पर अंचल अधिकारी रामगोपाल पांडेय भी पहुंचे. उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी.
मगर परिजनों में इस बात को लेकर रोष है कि अब तक कोई बड़ा अधिकारी नहीं आया. सरकार से राहत की बात भी नहीं कही जा रही है.
विधायक समेत कई लोग पहुंचे : गुरुवार को विधायक अन्नपूर्णा, मुखिया संघ के अध्यक्ष जयशंकर प्रसाद, उपप्रमुख रूबी देवी सहित कई गणमान्य लोग पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. उक्त लोगों ने परिजनों से हिम्मत से काम लेने को कहा.
घर का कमाऊ पूत था संतोष : संतोष अपने घर का कमाऊ पूत था. परिवार के लोगों को उससे काफी उम्मीद थी. संतोष के भाई शिवनंदन ने कहा कि मेरा भाई घर का चिराग था. उसी के दिये पैसे से छोटा भाई पढ़ाई कर रहा था. घर वही चलाता था.
16 को ही हुआ था रवाना : संतोष अपने साले की शादी में शामिल होने के लिए धनबाद आया हुआ था. यहां से वह 16 जून को ही रवाना हुआ था. इसी दिन उत्तराखंड में तबाही आई थी. इसके बाद आइटीबीपी के जवानों में शामिल संतोष राहत व बचाव कार्य में लगा हुआ था.
पिता गमजदा : संतोष के पिता देवनारायण पासवान इतने गमजदा हैं कि वे कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. मां, पत्नी व सास का भी यही हाल है.
– विकास/सुधीर –