दक्षा वैदकर
कर्मचारियों के मुंह से उनके बॉस की बुराई सुनना कोई नयी बात नहीं है. अक्सर बॉस कठोर ही होते हैं, क्योंकि उन्हें कर्मचारियों से काम करवाना होता है. लेकिन कई बार बॉस ऐसे नहीं होते और कर्मचारी उनकी अच्छाई का फायदा उठाते हैं. काम नहीं करते हैं, छुट्टियां मनाते हैं, बॉस की पीठ पीछे बुराई करते हैं, साजिशें रचते हैं और फील्ड वर्क के बहाने पर्सनल काम निपटाते हैं. बॉस उन्हें समझाता रहता है, लेकिन वे उसकी बात को एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देते हैं.
बॉस जब अपने सीनियर्स से इस बात की शिकायत करता है, तो वे रिपोर्ट मांगते हैं. उन्हें लगता है कि यह बहुत छोटी-मोटी बात है. ऐसी स्थिति में टीम के लीडर के पास कोई ठोस सबूत नहीं होता. वह केवल यही कह पाता है कि ‘कर्मचारी अक्सर कामचोरी करते हैं. मेरी बात नहीं सुनते हैं.’ ऐसी स्थिति में कंपनी के बड़ेअधिकारी लीडर की हवा में कही गयी बात पर एक्शन नहीं ले पाते, क्योंकि किसी भी कर्मचारी को निकालना आसान नहीं है. उन्हें चाहिए सबूत.
अगर आप भी किसी कंपनी में लीडर हैं और ऐसी स्थितियों का सामना आपको अक्सर करना पड़ता है, तो आपको खुद को अपडेट रखना होगा. कर्मचारी अच्छा काम करने वाला हो या खराब काम करने वाला, आपको डेली इसकी रिपोर्ट बनानी होगी. आप एक डायरी मेंटेन करें और नोट करें कि कब-कब किस कर्मचारी ने सराहनीय काम किया है और कब-कब खराब. कब उसने छुट्टी ली है और कब बदतमीजी की है. कब ऑफिस लेट आया है और कब ओवर टाइम किया है. कर्मचारी को अगर किसी बात पर डांटना हो, तो उसे लिखित में डांटें. इ-मेल करें और इसकी कॉपी अपने सीनियर्स को भी भेजें. इस तरह आपकी हर चेतावनी सीनियर्स की नजर में रहेगी. अब जब भी आपको लगे कि आपकी सहनशक्ति खत्म हो गयी है और कर्मचारी बिल्कुल भी सुधरने की स्थिति में नहीं है, तो उस कर्मचारी से जुड़ी सारी गलतियों की रिपोर्ट अपनी डायरी देख कर बनाएं और सीनियर्स को सबमिट करें. यह शिकायत करने का बिल्कुल प्रोफेशनल तरीका है. इसे आजमाएं. daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
* प्रोफेशनल तरीका ही बेस्ट तरीका है. जॉब में आप कोई भी बात हवा में नहीं कह सकते. इसलिए बेहतर है कि खुद को अपडेट रखें. सबूत जुटायें.
*हर चीज की रिपोर्ट बनायें. आप जब इस तरह अपडेट रहेंगे, तो कर्मचारी भी आपसे डरेंगे. उन्हें पता होगा कि उनकी हरकतें नोट हो रही हैं.