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एशियाई प्रशांत देश फिजी को जानें

कई देशों की यात्रा पर गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आखिरी पड़ाव फिजी था. भारत की विदेशनीति में फिजी एक विशेष स्थान रखता है. 19वीं सदी के आखिर में गन्ने की खेती कराने के लिए अंगरेज यहां पर बड़ी संख्या में भारतीयों को लेकर आये थे. और फिर हालत यह हो गयी कि 20वीं सदी […]

कई देशों की यात्रा पर गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आखिरी पड़ाव फिजी था. भारत की विदेशनीति में फिजी एक विशेष स्थान रखता है. 19वीं सदी के आखिर में गन्ने की खेती कराने के लिए अंगरेज यहां पर बड़ी संख्या में भारतीयों को लेकर आये थे.

और फिर हालत यह हो गयी कि 20वीं सदी के आठवें और नौवें दशक में फिजी में भारतीयों की संख्या फिजी के स्थानीय नागरिकों से भी ज्यादा हो गयी. भारतीयों की सामाजिक स्थिति भी तब तक फिजी में काफी ऊंची हो गयी थी.

फिजी का ज्यादातर व्यापार भी भारतीयों के हाथ में ही केंद्रित हो गया था. 1999 में फिजी के संसद में भारतीय सांसद बहुमत में आ गये और महेंद्र चौधरी फिजी के प्रधानमंत्री बन गये. हालांकि, स्थानीय लोग फिजी की सेना में प्रमुख पदों पर काबिज थे. इसलिए देश में अनेक बार सत्ता-पलट हुए. वर्ष 2000 में सत्ता-पलट के समय फिजी में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी को उनके पद से हटा दिया गया.

पिछली सदी के नौवें दशक से फिजी में रहने वाले भारतीयों ने फिजी से पलायन शुरू कर दिया और बहुत बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग फिजी छोड़ कर चले गये. आज फिजी की कुल जनसंख्या में भारतीय मूल के लोग 40 प्रतिशत हैं. 1987 में राष्ट्रमंडल में फिजी की सदस्यता अस्थायी रूप से रोक दी गयी और भारत के साथ तो फिजी के रिश्ते इंदिरा गांधी की फिजी यात्र के बाद ही इतने खराब हो गये थे कि भारत ने फिजी के साथ सरकारी स्तर पर संबंध तोड़ लिये थे. इसके बाद अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिजी की यात्रा की है.

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