हम बात करते हैं महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक गांव माहुर की. यहां के किसानों ने भी जल प्रबंधन से गांव की तसवीर और अपनी तकदीर बदली. यह गांव भीषण अकालग्रस्त था. इस इलाके में साल भर में 250 से 400 मिमी वर्षा होती थी.
किसान साल भर में 50 किलो ज्वार-बाजरा उपजा लेते थे, तो खुद को खुशकिस्मत समझते थे. साल भर में खेती से उनकी कमाई तीन-चार हजार रुपये थी. उन्होंने वर्षा के जल का प्रबंधन और भूगर्भ जल के पुनर्भरण का अभियान शुरू किया. आज वही किसान उतनी ही जोत में हर साल 10 हजार से एक लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. जो किसान कल तक दाने-दाने को मोहताज थे, वे अब खेतीहर मजदूर बहाल कर रहे हैं. वे आलू, प्याज, सब्जी, गेहूं, फूल सब कुछ उपजा रहे हैं. यह बदलाव जल प्रबंधन से आया.
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