फोटो: 7(पानी भरती महिलाऐं)प्रतिनिधि, सिमुलतला चारो तरफ ऊंचे पर्वत एवं घने जंगलों की गोद में बसा डहुआ गांव के लोग आज भी झरने का पानी पीकर अपना जीवन व्यतीत करते है. सरकारी सुविधा इन लोगों के नाम पर महज एक मजाक है. कुल मिलाकर यु कहें कि इस बढ़ते टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस गांव के लोग 14वीं सदी में अपना जीवन बसर कर रहे है. झाझा प्रखंड मुख्यालय से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर बसा इस गांव की आबादी लगभग तीन सौ है. यहां के लोगों के चेहरे पर ना चमक है और ना ही होठों पर मुस्कुराहट . इन्हें देखकर मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जंगल से बाहर की दुनिया से इन्हे कोई मतलब नहीं है. खुरंडा पंचायत के अधिनस्थ आने वाले इस गांव के लोगों का रोजगार गारंटी योजना के तहत सन् 2009 में ही जाब कार्ड निर्गत कराया गया है. लेकिन बीते पांच वषार्े में इन्हें एक भी दिन रोजगार नहीं मिला. पूरे गांव के लोग गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन व्यतीत करते है. बाबजूद इस गांव के एक भी लोगो को इंदिरा आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. पेय जल की स्थिति इतनी गंभीर है कि सालो भर ये लोग पहाड़ की तराई वाले झरने से अपनी प्यास बुझाते हैं. इस संदर्भ में ग्रामीण भीठल पुझार, बैसाखी पुझार, बुढ़ो सोरैन, कविता देवी, मति देवी , मालो बेसरा, बुधरा टुड्डू सुमन्ति देवी, टीपु पुझार, फुलकुमारी देवी आदि दर्जनो लोगो का कहना है कि सिर्फ चुनाव के समय ही नेता लोग यहां आते है और बड़े-बडे़ वादे कर चले जाते है. कोई सरकारी ऑफिसर आज तक यहां नहीं आये .
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आज भी झरने का पानी पीकर जीते है डहुआ गांव के लोग
फोटो: 7(पानी भरती महिलाऐं)प्रतिनिधि, सिमुलतला चारो तरफ ऊंचे पर्वत एवं घने जंगलों की गोद में बसा डहुआ गांव के लोग आज भी झरने का पानी पीकर अपना जीवन व्यतीत करते है. सरकारी सुविधा इन लोगों के नाम पर महज एक मजाक है. कुल मिलाकर यु कहें कि इस बढ़ते टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस गांव […]
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