गंगापुर पशु मेला
इस मेले का आयोजन भिलवाड़ा के पास स्थित गंगापुर गांव में होता है. यहां माता गंगा का मंदिर है इसलिए इस जगह का नाम गंगापुर हो गया. यह मेला यहां के ग्रामीणों की जीविका का मुख्य साधन है. यहां हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते हैं और पशुओं की खरीदारी करते हैं.
कोलायत पशु मेला
कोलायत पशु मेला राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है. इसका आयोजन दिसंबर के महीने में किया जाता है. इसे कपिल मुनि मेला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां पर कपिल मुनि का मंदिर है. यहां 52 घाट हैं. इसे खूबसूरती से सजाया जाता है. इस मेले की रौनक यहां के घाट हैं.
नागपुर का पशु मेला
यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है. इसका आयोजन जनवरी-फरवरी के महीने में होता है. नागपुर को वैसे भी मेले का शहर कहा जाता है. यहां हमेशा कोई-न-कोई मेला लगता ही रहता है. इस मेले में राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों से आनेवाले लोग भाग लेते हैं. यहां खास कर ऊंट और बैल की खरीददारी होती है.
पुष्कर पशु मेला
पुष्कर पशु मेले का आयोजन राजस्थान के प्रसिद्ध शहर पुष्कर में किया जाता है. यह मेला पुष्कर झील के पास लगता है. यह मेला ऊंट के बाजार के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है. यहां भेड़, बकरी का भी बड़ा बाजार लगता है. यहां पर मटका फोड़ और लंबी मूछों की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के कई हिस्सों से लोग भाग लेने आते हैं.
आगरा पशु मेला
आगरा पशु मेले को बटेश्वर मेले के नाम से भी जाना जाता है. आगरा के पास बटेश्वर नाम का छोटा-सा शहर है, इसलिए इस मेले को बटेश्वर मेले के नाम से जाना जाता है. इसका आयोजन भी कार्तिक महीने में होता है. यहां यमुना किनारे 108 हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर हैं. इसलिए भी यह जगह प्रसिद्ध है.
झालावाड़ पशु मेला
झालावाड़ पशु मेले को चंद्रभागा मेले के नाम से भी जाना जाता है. यहां हजारों लोग इस मेले का आनंद उठाते हैं. इस मेले का आयोजन झालापाटन में किया जाता है, जो झालावाड़ से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. इस मेले का आयोजन कार्तिक महीने में होता है. यहां गाय, भैंस, ऊंट और बैल की खरीददारी की जाती है.