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खुशी की तलाश में खुश होना न भूल जायें

।। दक्षा वैदकर ।।कई किताबों के लेखक हिमिश मदान ने एक बहुत अच्छी बात कही है. आप भी सुनें. वे कहते हैं, अगर आपको दिल्ली से श्रीनगर सड़क के रास्ते जाना है, तो क्या आप सारा रास्ता इसी टेंशन में बिता देंगे कि श्रीनगर जाना है.. कब आयेगा? कब आयेगा? या आप घर से निकलते […]

।। दक्षा वैदकर ।।
कई किताबों के लेखक हिमिश मदान ने एक बहुत अच्छी बात कही है. आप भी सुनें. वे कहते हैं, अगर आपको दिल्ली से श्रीनगर सड़क के रास्ते जाना है, तो क्या आप सारा रास्ता इसी टेंशन में बिता देंगे कि श्रीनगर जाना है.. कब आयेगा? कब आयेगा? या आप घर से निकलते ही गाड़ी में बैठ कर ड्राइवर से कहोगे कि मैं तो गोली खा कर सो रहा हूं, श्रीनगर आयेगा तो उठा देना. नहीं. आपका जवाब होगा, ‘मैं इन्जॉय करते हुए जाऊंगा.’

आप ढाबे में खाना खाओगे. गाने सुनोगे, गुनगुनाओगे. बीच-बीच में चाय पियोगे, वादियों को देखोगे. उसके बाद अपनी मंजिल श्रीनगर पहुंचोगे. इसी तरह से हमारी लाइफ होती है. बहुत सारे लोग लक्ष्य पर इतना ज्यादा फोकस करते हैं कि सफलता नाम के इस सफर का मजा ही नहीं ले पाते. वे जब लक्ष्य तक पहुंचते हैं और पीछे मुड़ कर देखते हैं, तब उन्हें यह एहसास होता है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने बहुत कुछ खो दिया.

एक पुरानी याद फिर से आ गयी, एक पुराना ख्वाब फिर से रो दिया. चल दिया जो लोग पीछे छोड़ के, चंद टुकड़े पा लिये और सब खो दिया.. मैं यह नहीं कह रही हूं कि बड़े सपने नहीं देखने चाहिए, लक्ष्य पर ध्यान नहीं देना चाहिए, लेकिन मैं यह जरूर कह रही हूं कि खुशी की तलाश में खुश होना न भूल जायें. ‘क्या करना है’ की सूची तो चलती ही रहेगी, ये बकाया काम हमेशा साथ रहेंगे.

जब आप अंतिम सांस ले रहे होंगे, तब भी आपका कोई न कोई काम या लक्ष्य बाकी ही होगा. ये तो जिंदगी भर का सिलसिला है. लेकिन लक्ष्य को पाने का मजा तभी आयेगा, जब ‘अपने’ साथ होंगे. उस महंगी गाड़ी को चलाने का मजा तभी आयेगा, जब पासवाली सीट पर कोई अपना बैठा होगा. उस गोल्फ क्लब का मजा तभी आयेगा, जब आपकी सेहत अच्छी होगी और आप गोल्फ खेल सकेंगे.

उस महंगे मोबाइल का मजा तभी आयेगा, जब उसके जरिये बात करने के लिए आपके पास दोस्त व रिश्तेदार होंगे. उस घर का मजा भी तभी आयेगा, जब उसमें आपके साथ कोई रहेगा, जो आपके साथ हंसेगा, खिलखिलायेगा, खाना खायेगा.. तो दोस्तो! हंसते हुए अपनों के साथ समय बिताते हुए सफलता के इस सफर को तय करें.

– बात पते की
* मन लगा कर काम करें, लेकिन छुट्टी भी लें. रविवार को परिवार के साथ आनंद मनायें. फिल्म देखें, गाने सुनें. खुद की हॉबी के लिए वक्त निकालें.
* दफ्तर के कामों के लिए अपनों का जन्मदिन, शादी की सालगिरह, बच्चों का वार्षिकोत्सव, पैरेंट-टीचर मीटिंग आदि न छोड़ें. ये चीजें दोबारा नहीं आयेंगी.

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