
भारत में चुनाव लड़ने के लिए कई शर्तें हैं, लेकिन गुजरात में इसके लिए एक और शर्त जोड़ी गई है और यह ख़ासी दिलचस्प है.
गुजरात में स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को यह साबित करना होगा कि उसके घर में शौचालय है.
शपथ पत्र देना होगा
सोमवार को गुजरात विधानसभा ने सर्वसम्मति से गुजरात स्थानीय प्राधिकरण क़ानून (संशोधन) विधेयक 2014 को पारित कर दिया.
नए संशोधन के बाद अब ज़िला, तालुका, गांव, पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को शपथ पत्र देना होगा कि उनके घर में शौचालय की सुविधा है.
राज्य के सड़क और भवन निर्माण मंत्री नितिन पटेल ने विधानसभा में कहा, "निगमों, नगर पालिकाओं और पंचायतों सहित स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को शपथ पत्र में बताना पड़ेगा कि उनके निवास पर शौचालय है, वरना वह चुनाव नहीं लड़ सकते."
पटेल ने कहा कि जो निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, उन्हें भी छह महीने के भीतर प्रमाण पत्र देना होगा कि उनके घर में शौचालय है.

ग़ैर सरकारी संगठनों के अनुसार गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में 25 हज़ार नए सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने की ज़रूरत है.
‘रोज़ इतना ख़र्च कैसे करें’
सामाजिक कार्यकर्ता नौशाद सोलंकी कहते हैं, "सरकार ने जो शौचालय बनाए थे, वहां तीन रुपये चुकाने पड़ते हैं. ऐसे में अगर सात-आठ लोगों का परिवार है तो रोज़ इतने रुपये ख़र्च करना नामुमकिन है."

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ़ के मुताबिक भारत में आज भी 59 करोड़ 70 लाख़ लोग खुले में शौच करते हैं.
हालाँकि, सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि इस तरह के बिल से समाज में एक संदेश ज़रूर जाएगा, लेकिन सरकार को और भी लोगों को मुफ़्त में शौचालय की सुविधा मुहैया करवानी चाहिए.
बिल में दो और संशोधन हुए हैं, जिसमें नगर पालिकाओं की सीट खाली होने पर छह महीने के भीतर उपचुनाव अनिवार्य कर दिया गया है.
साथ ही मौजूदा 15,000 की तुलना में 25,000 की न्यूनतम आबादी वाले इलाक़े को गाँव घोषित किया जाएगा.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)