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गरीबी, पलायन व उग्रवाद है पहचान
दुजर्य/सुरेश गुमला : सिसई विधानसभा 1951 में बना था. तब से अब तक इस क्षेत्र की जनता ने 14 विधायक चुने. उरांव जाति के विधायकों का यहां कब्जा रहा, परंतु किसी ने क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया. नतीजा: आज भी सिसई विस क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले भरनो, बसिया, सिसई व कामडारा प्रखंड […]
दुजर्य/सुरेश
गुमला : सिसई विधानसभा 1951 में बना था. तब से अब तक इस क्षेत्र की जनता ने 14 विधायक चुने. उरांव जाति के विधायकों का यहां कब्जा रहा, परंतु किसी ने क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया. नतीजा: आज भी सिसई विस क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले भरनो, बसिया, सिसई व कामडारा प्रखंड की जनता गरीबी, पलायन व उग्रवाद से जूझ रही है. अब तो इस क्षेत्र की यही पहचान भी बन गयी है.
यहां की जनता के हाथ में काम और उद्योग नहीं है. मजबूरन लोग पलायन कर रहे हैं. विकास के लिए यहां की जनता हर पांच साल में लोक लुभावन वादों में आकर अपने पसंद से विधायक चुनती है, परंतु हर बार जनता ठगी गयी. इस बार यहां की जनता सजग है, इसलिए उम्मीदवारों को इस बार वोट लेने के लिए जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा. हालांकि सिसई सीट पर सबसे ज्यादा कांग्रेस व भाजपा विधायक रहे हैं. यहां कांग्रेस के छह व भाजपा के चार बार विधायक रहे हैं.
कांग्रेस के बंदी उरांव व भाजपा के ललित उरांव तीन-तीन बार विधायक चुने गये. 2000 में दिनेश उरांव व 2005 में समीर उरांव को भाजपा के टिकट से जीत मिली, परंतु इनके कार्यो से नाराज जनता ने 2009 में तीन बार विधायक रहे बंदी उरांव की बहू गीताश्री उरांव को मौका दिया. जनता की उम्मीद थी कि गरीबी, पलायन व उग्रवाद पर अंकुश लगेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. इस क्षेत्र में उग्रवाद चरम पर है. इसका उदाहरण तीन नवंबर को कामडारा प्रखंड के मुरगाकोना में सिसई विस क्षेत्र की सबसे बड़ी नरसंहार की घटना है. यहां पीएलएफआइ ने सात लोगों की हत्या कर दी.
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि
जनहित में काम किया है : गीताश्री उरांव
सिसई विस सीट से कांग्रेस की विधायक गीताश्री उरांव ने कहा कि मैंने सिसई विस क्षेत्र के लिए काफी काम किया है. गांवों में सोलर प्लेट लगवाया. सड़क, चबूतरा, अखड़ा, पुल, पानी, पॉलिटेक्निक कॉलेज, आइटीआइ कॉलेज खोलने की स्वीकृति दिलायी. शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी काम किया. पेयजल के लिए जलमीनार बनवाये.
गीताश्री विकास करने में नाकाम: समीर उरांव
2009 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के समीर उरांव ने कहा कि गीताश्री उरांव जनता की जरूरतों को पूरा करने व विकास करने में नाकाम साबित हुई हैं. काम के प्रति लगन नहीं होने के कारण वह विफल हो गयी. राज्य में मंत्री होने के बाद भी सिसई की जनता शिक्षा, खेल व विकास में पिछड़ गयी. यहां तक की अधूरे कस्तूरबा स्कूल को भी वह नहीं बनवा पायीं.
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