Advertisement
जन प्रतिनधियों के इंतजार में एक गांव
यतीश पाठक छतरपुर : छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में नौडीहा प्रखंड की डगरा पंचायत का गांव रतनाग आदिम जनजाति बहुल गांव है. राज्य गठन के बाद विलुप्त हो रहे आदिम जनजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए कई योजना शुरू की गयी थीं, पर ये योजनाएं भी नहीं बदल सकीं इन आदिम जनजातियों की तक दीर […]
यतीश पाठक
छतरपुर : छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में नौडीहा प्रखंड की डगरा पंचायत का गांव रतनाग आदिम जनजाति बहुल गांव है. राज्य गठन के बाद विलुप्त हो रहे आदिम जनजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए कई योजना शुरू की गयी थीं, पर ये योजनाएं भी नहीं बदल सकीं इन आदिम जनजातियों की तक दीर व तसवीर.
1958 में सरकारी योजना के तहत एक कूप का निर्माण हुआ था. उसके बाद राज्य बनने के बाद बिरसा मुंडा आवास योजना के तहत 39 आवास का आवंटन किया गया था, जो आज भी अधूरे हैं. जबकि पैसे की निकासी हो गयी. गांव में बिजली नहीं है, केवल पोल लगे हुए हैं. झारखंड-बिहार की सीमा पर बसे इस गांव में जाने के लिए रास्ता भी नहीं है. शासन-प्रशासन के नाम पर यहां कभी-कभार पुलिस के दर्शन हो जाते हैं, वह भी इसलिए कि इलाका उग्रवाद प्रभावित है. इस गांव को उग्रवादियों की शरणस्थली के रूप में चिह्न्ति किया गया है. इसके अलावा न तो विकास से जुड़े अधिकारी कभी गांव आते हैं और न ही कभी विधायक और सांसद के चरण इस गांव में पड़े.
गांव के ठेगु परहिया, गुलेटन परहिया का कहना है कि वोट के दिन कुछ लोग आ जाते हैं. गाड़ी में बैठा कर मतदान केंद्र तक ले जाते हैं और उसके बाद वापस पहुंचा देते हैं. फिर कोई उनलोगों का हाल देखने नहीं आता. स्थिति यह है कि योजना का राशन लेने के लिए भी 25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement