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धर्म पहले, क्रिकेट बाद में: मोईन अली

अंकुर देसाई बीबीसी एशियन नेटवर्क मोईन अली इंग्लैंड के नए क्रिकेट स्टार हैं. वो अपने खेल ही नहीं बल्कि निजी पहचान के कारण भी ध्यान खींचते हैं. उनके लिए दाढ़ी उनके धर्म का और निजता का सवाल है. लेकिन वह अपनी सफलता को धर्म से जोड़ते हैं. मोईन कहते हैं, ”मेरा धर्म सबसे पहले है […]

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मोईन अली इंग्लैंड के नए क्रिकेट स्टार हैं. वो अपने खेल ही नहीं बल्कि निजी पहचान के कारण भी ध्यान खींचते हैं.

उनके लिए दाढ़ी उनके धर्म का और निजता का सवाल है. लेकिन वह अपनी सफलता को धर्म से जोड़ते हैं.

मोईन कहते हैं, ”मेरा धर्म सबसे पहले है और अपने धर्म के लिए मैं जो कुछ करता हूं. उससे मुझे प्रेम है. कभी-कभी क्रिकेटर सिर्फ़ अपने क्रिकेट में ही मग्न रहते हैं. मगर निजी तौर पर क्रिकेट मेरे लिए दूसरे नंबर पर है और मेरा धर्म पहले नंबर पर. यानी मैं इंसान के बतौर क्या अच्छा कर सकता हूं.”

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तो क्या उन्हें लगता है कि धर्म ने उन्हें एक बेहतरीन क्रिकेटर के रूप में बदलने में मदद की है. मोईन इससे पूरी तरह सहमत हैं.

वो कहते हैं, ”हालांकि मेरा धर्म पहले आता है पर इसकी वजह से मेरे क्रिकेट पर ज़बर्दस्त असर पड़ा है. जब मैं खेलता हूं तो ज़्यादा शांत रह पाता हूं. हर दिन को मैं उसी तरह क़ुबूल करता हूं जैसा वह मुझे मिला है. और मुझे लगता है कि शायद इसीलिए मैं अच्छा क्रिकेट खेल पाता हूं.”

‘बेवजह तूल’

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मोईन एक पाकिस्तानी परिवार में जन्मे हैं और उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट में अपनी जगह बनाई. इस वजह से कई बार उनसे राजनीति पर भी सवाल पूछे जाते हैं.

वह कहते हैं, ”कभी-कभी जब हम इंटरव्यू के लिए जाते हैं तो वो पूछ लेते हैं कि फ़लस्तीन को लेकर आपका क्या ख़्याल है.”

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हालांकि राजनीति की वजह से उन्हें पिछली गर्मियों में लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ा था जब एक टेस्ट मैच के दौरान उनके हाथों में ग़ज़ा के समर्थन वाला रिस्टबैंड नज़र आया था.

मोईन बताते हैं, ”वह मामला बेवजह ही तूल पकड़ गया. ऐसा मैंने कभी नहीं सोचा था. मैं मानवता का हिमायती हूं. ये कोई राजनीतिक बात नहीं थी बल्कि इसके पीछे मानवीय सोच थी.”

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मोईन की दाढ़ी पर भी सवाल उठते रहते हैं.

मोईन का कहना है, ”मैं इस बात की फ़िक्र नहीं करता कि लोग क्या कहते हैं. मेरे ख़्याल से यह पूरी तरह निजी मामला है, एक धार्मिक बात है. और इसकी किसी से भी तुलना करना अजीब बात ही होगी.”

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