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24 क्षेत्रों में चलती है उग्रवादियों की मरजी, मतदाताओं की जान रहती है सांसत में
रांची : राज्य के 81 में से 24 विधानसभा क्षेत्र का 80 प्रतिशत हिस्सा नक्सली-उग्रवादियों के प्रभाव क्षेत्र में है. ये विधानसभा क्षेत्र 13 जिलों में पड़ते हैं. इन इलाकों को नक्सलियों और उग्रवादियों का लिबरेटेड जोन माना जाता है. वहां चुनाव में नक्सलियों-उग्रवादियों की मरजी ही चलती है. कई प्रत्याशी इन नक्सली-उग्रवादी संगठनों से […]
रांची : राज्य के 81 में से 24 विधानसभा क्षेत्र का 80 प्रतिशत हिस्सा नक्सली-उग्रवादियों के प्रभाव क्षेत्र में है. ये विधानसभा क्षेत्र 13 जिलों में पड़ते हैं. इन इलाकों को नक्सलियों और उग्रवादियों का लिबरेटेड जोन माना जाता है. वहां चुनाव में नक्सलियों-उग्रवादियों की मरजी ही चलती है. कई प्रत्याशी इन नक्सली-उग्रवादी संगठनों से चुनाव में मदद लेते हैं. इस कारण मतदाताओं की जान सांसत में रहती है.
कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां नक्सलियों के साथ-साथ टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी) के उग्रवादी भी चुनावों में अपनी पसंद के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने के लिए ग्रामीणों में भय पैदा करते रहे हैं. इसमें चतरा, सिमरिया, लातेहार, मनिका व पांकी, बड़कागांव क्षेत्र और लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र शामिल है. इन इलाकों में भाकपा माओवादी से बड़ा व मजबूत संगठन टीपीसी हो गया है. खूंटी के तोरपा व कोलेबिरा क्षेत्र में पीएलएफआइ की चलती है. गत लोकसभा चुनाव में पीएलएफआइ ने झारखंड पार्टी को छोड़ किसी दूसरे पार्टी को क्षेत्र में प्रचार करने नहीं दिया था.
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