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अपनों से ही असुरक्षित हैं महिलाएं

इंदौर : देश में महिलाओं की अस्मत को तार-तार करने में कोई गैर नहीं, बल्कि उनके सगे-संबंधी और जान-पहचान के लोग ही आगे हैं. यह चौंकाने वाला तथ्य राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों से सामने आया है. ये आंकड़े समाज को आगाह करते हुए बताते हैं कि वर्ष 2012 में बलात्कार के […]

इंदौर : देश में महिलाओं की अस्मत को तार-तार करने में कोई गैर नहीं, बल्कि उनके सगे-संबंधी और जान-पहचान के लोग ही आगे हैं.

यह चौंकाने वाला तथ्य राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों से सामने आया है. ये आंकड़े समाज को आगाह करते हुए बताते हैं कि वर्ष 2012 में बलात्कार के करीब 98 प्रतिशत पंजीबद्ध मामलों में आरोपी पीडि़त महिलाओं के परिचित थे.

एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट भारत में अपराध 2012 के मुताबिक देश में वर्ष 2012 के दौरान भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार के कुल 24,923 मामले दर्ज किये गये. इनमें से 24,470 मामलों के आरोपी पीडि़त महिलाओं के परिचित थे.

यानी हर 100 मामलों में से 98 में महिलाओं को उनके जानने वालों ने ही हवस का शिकार बनाया. आरोपियों में पीडि़त महिलाओं के परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल हैं. वर्ष 2012 के दौरान मध्यप्रदेश में बलात्कार के 3,425 मामले दर्ज किये गये. इन सभी मामलों में पीडि़त महिला किसी न किसी तरह आरोपी को जानती थी.

राजस्थान में 2,013 प्रकरणों में महिलाएं अपनी जान-पहचान के लोगों के दुष्कृत्य की शिकार हुईं. उत्तर प्रदेश में 1,953 मामलों में महिलाओं की आबरु उनके परिचितों ने ही लूट ली.

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