गुजरात में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को लोग दो तरह से बयां करते हैं. मानो चार्ल्स डिकेंस की टेल ऑफ़ टू सिटीज़ की बात हो रही हो.
"वह समय सबसे अच्छा था, वह समय सबसे बुरा था, वह ज्ञान का युग था, वह मूर्खता का युग था, वह विश्वास का युग था, वह अविश्वास का युग था."
मोदी के गुजरात से केंद्र में जाने के पांच महीने बाद अब अहमदाबाद पुलिस सांप्रदायिक दंगे रोकने के लिए एक फिल्म बना रही है.
फिल्म के दो मुख्य किरदार 1946 में दंगो में मारे गए हिंदू और मुसलमान दोस्त हैं जो लोगों की जान बचाते हुए मारे गए थे.
ये अलग बात है कि साल 2002 के गुजरात दंगों पर बनी कुछ फिल्मों को सरकार या भाजपा से जुड़ी संस्थाओं ने गुजरात में रिलीज़ नहीं होने दिया.
अंकुर जैन की पूरी रिपोर्ट:

गुजरात क्राइम ब्रांच की फ़िल्म ने कई लोगों को अचम्भे में डाल दिया है. वो पूछ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री आनंदीबेन ने ही इसकी मंजूरी दी है या मोदी से भी पूछा गया है?
या यह मोदी के बाद के गुजरात की नई तस्वीर है?
नरेंद्र मोदी ने भले ही गुजरात में उनके कार्यकाल में 2002 के बाद दंगे न होने का दावा किया हो, पर गुजरात के कई इलाकों में आज भी सड़क हादसों या पड़ोसियों में लड़ाई को लेकर या सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को लेकर सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो जाती है.
ख़ासकर गुजरात के दो सबसे बड़े शहरों अहमदाबाद और वडोदरा में सांप्रदायिक दंगे और पुलिस-जनता के बीच की झड़पें पिछले कुछ दिनों में बढ़ी हैं.
कर्फ़्यू और झड़पें

इन दंगों की वजह से गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की चिंता बढ़ गई है.
पिछले महीने वडोदरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा में शहर में कई जगह नवरात्री के दौरान कर्फ्यू लगा हुआ था और पुलिस पर अल्पसंख्यकों के प्रति अत्याचार के आरोप भी लगे थे.
दंगे सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट के बाद भड़के थे. वडोदरा के बाद अहमदाबाद में बकरीद के वक़्त पुलिस और लोगों के बीच झड़पें हुई थीं.
इन हादसों के आलावा भावनगर, सूरत और कई इलाको में पिछले पांच महीनों में पुलिस और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के बीच झड़पें हुई हैं.
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच लोगों में जागृति लाने और भाईचारे की भावना बढ़ाने का मकसद बताते हुए फिल्म बना रही है.
दो दोस्तों की कहानी

यह वही क्राइम ब्रांच है जिसके मुखिया डीजी वंज़ारा, अभय चुड़ासमा और जीएल सिंघल फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामलों में गिरफ़्तार हो चुके हैं.
उन पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोप लग चुके हैं.
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस हिमांशु शुक्ल ने बताया, "फिल्म अहमदाबाद के दो दोस्त वसंत राव और रजब लखानी की कहानी बताकर लोगों को मिलजुल कर रहने और सांप्रदायिक हिंसा से दूर रहने के लिए प्रेरित करेगी."
वे कहते हैं, "हम शहर के हर बड़े दिन, रथ यात्रा, ईद और दिवाली जैसे दिनों पर इसे दिखाएंगे."
स्वतंत्रता सेनानी और सेवा दल के सदस्य वसंत और रजब एक जुलाई, 1946 को रथयात्रा के वक़्त हुए दंगो में लोगों की जान बचाते मारे गए थे.
उनकी मौत पर गांधी जी ने भी अगले दिन पुणे में बयान दिया था. अहमदाबाद में पिछले कई सालों से एक जुलाई को सांप्रदायिक एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
गैलरी का निर्माण

वसंत और रजब पर बन रही ये फिल्म सांप्रदायिक भाईचारे का संदेश देगी.
अहमदाबाद शहर के बीच में वसंत और रजब के नाम पर एक चौक भी बना हुआ है लेकिन बीजेपी की किसी भी सरकार ने इनकी कभी कोई खबर नहीं ली है.
फिल्म के साथ साथ क्राइम ब्रांच सांप्रदायिक भाईचारे के लिए एक वसंत-रजब गैलरी का भी निर्माण करा रहा है.
यह गैलरी अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के दफ्तर गायकवाड़ हवेली में बनेगी.
शुक्ल कहते हैं, "फिल्म के साथ हम 200 साल पुरानी गायकवाड़ हवेली के संरक्षण पर भी काम कर रहे हैं. इसी हवेली में हम गुजरात पुलिस का म्यूज़ियम बनाएंगे और सांप्रदायिक एकता का संदेश देने के लिए एक गैलरी पर भी काम होगा."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)