22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारत पर अमरीकी मुर्गी की जीत

ब्रजेश उपाध्याय बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन से अमरीकी मुर्गी, अंडों और जीवित सूअरों के आयात पर बर्ड फ़्लू की आशंका जताकर भारत की तरफ़ से लगाई गई रोक को विश्व व्यापार संगठन ने ग़ैरकानूनी करार दिया है. अंदाज़ा है कि विश्व व्यापार संगठन के इस फ़ैसले से अमरीकी मुर्गी पालन उद्योग के लिए भारत में तीस […]

Undefined
भारत पर अमरीकी मुर्गी की जीत 5

अमरीकी मुर्गी, अंडों और जीवित सूअरों के आयात पर बर्ड फ़्लू की आशंका जताकर भारत की तरफ़ से लगाई गई रोक को विश्व व्यापार संगठन ने ग़ैरकानूनी करार दिया है.

अंदाज़ा है कि विश्व व्यापार संगठन के इस फ़ैसले से अमरीकी मुर्गी पालन उद्योग के लिए भारत में तीस करोड़ डॉलर तक के निर्यात का बाज़ार खुल जाएगा.

भारत इस फ़ैसले के खिलाफ़ अगले 60 दिनों के अंतर अपील कर सकता है. अमरीकी वाणिज्य प्रतिनिधि माइकल फ्रोमैन ने इसे अमरीका के लिए एक बड़ी जीत करार दिया है.

उनका कहना था, "अमरीकी किसानों के लिए ये एक बहुत बड़ी जीत है. हमारे किसान पूरी दुनिया में सबसे सुरक्षित कृषि उत्पाद पैदा करते हैं और डब्ल्यूटीओ का ये फ़ैसला अमरीकी तर्क के हक में है कि भारत की तरफ़ से लगाई गई रोक का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था."

रोक

Undefined
भारत पर अमरीकी मुर्गी की जीत 6

बर्ड फ़्लू की आशंका से भारत ने रोक लगाई थी

भारत ने 2007 में अंतरराष्ट्रीय क़ानून का हवाला देते हुए ये रोक लगाई थी और कहा था कि अमरीकी उत्पाद से बर्ड फ़्लू फैलने का ख़तरा है. अमरीका 2012 में इस मामले को विश्व व्यापार संगठन में लेकर गया था.

अमरीकी मुर्गी पालन उद्योग ने बयान जारी करते हुए कहा है कि भारत ने वैज्ञानिक तर्कों का सहारा लेकर अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षण देने की कोशिश की थी और उसे एक राजनीतिक मोलतोल के हथियार की तरह इस्तेमाल किया था.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क़ानून की जानकार और भारत के हक़ में दलील रखनेवाली प्रोफ़ेसर श्रीविद्या राघवन ने कहा है कि ये फ़ैसला भारत के लिए एक छोटा सा झटका तो है लेकिन इससे विश्व व्यापार संगठन में कृषि सब्सिडी पर जो बड़ी बहस चल रही है उस पर कोई आंच नहीं आएगी.

उनका कहना था, “अगर अमरीकी उद्योग इस फ़ैसले के बाद काफ़ी सस्ती कीमत पर अपने सामान भारत में बेचने की कोशिश करता है तो उस पर भी एंटी-डंपिंग कानून के तहत रोक लगाई जा सकती है.”

भारत में भोजन में मुर्गी और अंडों के इस्तेमाल में तेज़ी आई है और अंदाज़ा है कि 2014 के आख़िर तक ये 37 लाख टन तक पहुंच जाएगा, जो 2010 के मुकाबले 40 प्रतिशत की वृद्धि है. पूरी दुनिया में इसे एक बढ़ते हुए बाज़ार की तरह देखा जा रहा है.

भारत पर दबाव

Undefined
भारत पर अमरीकी मुर्गी की जीत 7

ग़ौरतलब है कि ये फ़ैसला ऐसे वक्त पर आया है जब अमरीकी वाणिज्य विभाग ने भारत में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी नियमों की नए सिरे से समीक्षा का आदेश दिया है.

अगर ये समीक्षा भारत के ख़िलाफ़ जाती है तो अमरीका भारत को प्रायरिटी फॉरेन कंट्री या ऐसे देशों की सूची में शामिल कर सकता है जिनके ख़िलाफ़ वो व्यापार प्रतिबंध लगा सकता है.

प्रोफ़ेसर राघवन का कहना है रिव्यू का ये फ़ैसला काफ़ी असाधारण है ख़ासतौर से उस देश के ख़िलाफ़ जिसके साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश हो रही हो.

उनका कहना था, “ये नई सरकार पर एक तरह से दबाव बनाने की कोशिश है और इसमें अमरीकी दवा कंपनियों की ख़ासी भूमिका है.”

अमरीकी दवा कंपनियों की शिकायत रही है कि वो शोध और तकनीक में करोड़ों डॉलर खर्च करती हैं लेकिन भारतीय क़ानून उसे नज़रअंदाज़ करते हुए उन दवाओं को सस्ते में बनाकर बेचने की इजाज़त दे देता है.

Undefined
भारत पर अमरीकी मुर्गी की जीत 8

भारत की दलील रही है कि ऐसा सिर्फ़ जीवनरक्षक दवाओं के मामले में होता है और वो भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार क़ानून के नियमों के तहत.

प्रोफ़ेसर राघवन का कहना था, “ये एकतरफ़ा जांच और प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के ख़िलाफ़ है और भारत इस मामले पर अमरीका को डब्लयूटीओ में घसीट सकता है.”

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान भी दोनों पक्षों ने एलान किया था कि जो भी व्यापारिक मतभेद हैं उन्हें द्विपक्षीय मंच पर हल किया जाएगा.

प्रोफ़ेसर राघवन का कहना था, “अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि का ये फ़ैसला उस साझा बयान के भी ख़िलाफ़ जाता है जो राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाक़ात के बाद जारी हुआ था.”

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें