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मुश्किल नहीं कुछ भी अगर ठान लीजिए

बेमिसाल कामयाबी का नमूना पेश करने वाले एमडीएच लिमिटेड के चेयरमैन एवं विश्व प्रसिद्ध समाजसेवी 92 वर्षीय महाशय धर्मपाल गुलाटी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. संघर्षपूर्ण गाथा की बदौलत इन्होंने आज पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनायी है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिर्फ पांचवीं तक की शिक्षा हासिल करने वाले धर्मपाल का जीवन […]

बेमिसाल कामयाबी का नमूना पेश करने वाले एमडीएच लिमिटेड के चेयरमैन एवं विश्व प्रसिद्ध समाजसेवी 92 वर्षीय महाशय धर्मपाल गुलाटी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. संघर्षपूर्ण गाथा की बदौलत इन्होंने आज पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनायी है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिर्फ पांचवीं तक की शिक्षा हासिल करने वाले धर्मपाल का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है.

विजय कुमार, देवघर

इंसान दृढ़ संकल्प के साथ संघर्ष के लिए तैयार हो जाये तो ऐसा कोई भी लक्ष्य नहीं जिसे हासिल न किया जा सके. ऐसा मानना है एमडीएच लिमिटेड के चेयरमैन धर्मपाल गुलाटी का. वे शनिवार को देवघर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे.

27 मार्च 1923 में सियालकोट (पाकिस्तान) में जन्मे धर्मपाल गुलाटी ने शुरुआती दौर में अपना व परिवार के भरण-पोषण के लिए दिल्ली की सड़कों पर तांगा चलाने का काम किया. धर्मपाल का पूरा परिवार सियालकोट में रहता था. जब तय हो गया कि सियालकोट पाकिस्तान में रहेगा तो हिंदू समाज में खलबली मच गयी. 20 अगस्त 1947 को पूरा गुलाटी परिवार कैंट क्षेत्र के रिफ्यूजी कैंप में पहुंच गये. वक्त की मार ने पूरे परिवार को शरणार्थी बना दिया. भारत विभाजन के बाद सियालकोट (पाकिस्तान) से भारत आकर दिल्ली की सड़कों पर दो आना की सवारी उठाने वाले महाशय धर्मपाल ने कभी भी किसी काम को छोटा नहीं समझा. बल्कि पूरे लगन, निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ अपना काम करते चले गये. जीवन के शुरुआती दौर संघर्षपूर्ण होने के बाद भी इन्होंने कभी भी हार नहीं मानी.

बल्कि प्रेरणा, सद्बुद्धि एवं अनुभव से जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते चले गये. दिल्ली में महाशय धर्मपाल का ज्यों-ज्यों काम आगे बढ़ता गया. इसके साथ-साथ इनका आर्य समाज की ओर भी झुकाव होता चला गया. वर्ष 1980 में इन्हें आर्य केंद्रीय सभा दिल्ली के प्रधान का उत्तरदायित्व सौंपा गया. ओहदा पर भरोसा नहीं करने वाले धर्मपाल सेवा कार्यो पर ज्यादा विश्वास करते हैं. इसी का नतीजा हुआ कि देश स्तर पर आर्य समाज की केंद्रीय संस्थाओं में इनकी जिम्मेदारियां बढ़ती चली गयी.

अनवरत लगे हैं जन सेवा में : समाजसेवी महाशय धर्मपाल अनवरत समाज सेवा में लगे हुए हैं. इनके द्वारा न सिर्फ शिक्षण संस्थान का संचालन किया जा रहा है. बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में समाज के गरीब, पिछड़े एवं आमजनों के लिए चिकित्सा सेवा, वैदिक सांस्कृतिक प्रशिक्षण केंद्र, गोशाला आदि केंद्रों का सफल संचालन किया जा रहा है.

लंबी उम्र व तंदुरुस्ती का राज : उठ जाग मुसाफिर भोर भयी, अब रैन कहां जो सोवत है, जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है .. सादगी एवं संयम के मामले में यह आज भी पहला सबक नहीं भूलते हैं. सूरज निकलने के पहले बिछावन छोड़ नित्यक्रिया से निवृत्त होकर भ्रमण, मालिश व स्नान के बाद योगाभ्यास करते हैं. दूध, छाछ, फलों के जूस का नियमित सेवन करते हैं. इन्होंने भूख से थोड़ा कम खाया. नतीजा पेट तंदुरुस्त एवं अरुचि, अजीर्ण, खट्टा डकार आदि तकलीफों से दूर रहे. रात 11 बजे तक हर हाल में बिछावन पर चले जाते हैं.

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