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गरीबी के चलते बिना कफन ही सुकनी देवी को दफनाया

बंदरा (मुजफ्फरपुर): गरीबी के चलते रामपुरदयाल गांव की रहनेवाली सुकनी देवी को दो गज कफन भी नसीब नहीं हुआ. बिना कफन ही उसे गड्ढा खोद कर दफना दिया गया. कफन के लिए सुकनी की बहू लीला देवी ने उन सभी लोगों का 24 घंटों तक चक्कर लगाया, जिनसे मदद की उम्मीद थी. इनमें पंचायत के […]

बंदरा (मुजफ्फरपुर): गरीबी के चलते रामपुरदयाल गांव की रहनेवाली सुकनी देवी को दो गज कफन भी नसीब नहीं हुआ. बिना कफन ही उसे गड्ढा खोद कर दफना दिया गया. कफन के लिए सुकनी की बहू लीला देवी ने उन सभी लोगों का 24 घंटों तक चक्कर लगाया, जिनसे मदद की उम्मीद थी. इनमें पंचायत के मुखिया फेंकूराम से लेकर बीडीओ पूजा कुमारी तक शामिल हैं.

मुखिया ने ये कहते हुये, कबीर अंत्येष्टि योजना की रकम देने से इनकार कर दिया कि राशि का अभाव है. कफन के अभाव में सुकन का शव 24 घंटे तक उसकी झोपड़ी के बाहर रखा रहा, जब इंतजाम नहीं हुआ, तो शुक्रवार की सुबह बिना कफन के ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.

सुकन देवी व उसकी बहू लीला देवी दूसरों के खेतों में काम करके परिवार का भरण पोषण करती थी. घर में पुरुष के नाम पर लीला देवी का 11 साल का बेटा है, जो विकलांग है. सकुनी देवी के पति खेतन मांझी की काफी पहले मौत हो गयी थी. तब उसका बेटा शिबू मांझी था, जो घर का खर्च चलाने के लिए काम करता था, लेकिन दस साल पहले शिबू मांझी की हत्या कर दी गयी. इसके बाद घर की जिम्मेवारी सुकनी व उसकी बहू लीला पर आ गयी.

परिवार के पास खेती की जमीन नहीं थी, सो दोनों ने गांव के अन्य लोगों के खेतों में काम करना शुरू किया. दूसरे के घरों में काम करके किसी तरह परिवार चलाती रही थीं. ग्यारह साल का विकलांग बेटा जिसे खुद ही सहारे की जरूरत है, वो घर पर रहता था. इसी बीच अचानक गुरुवार को दिन में करीब 11 बजे बोलेरो की टक्कर ने साठ साल की सुकनी देवी गंभीर रूप से घायल हो गयी. ठोकर के बाद चालक बोलेरो को लेकर फरार हो गया. सास के इलाज के लिए लीला ने आसपास के लोगों से मदद की गुहार लगायी. लोग उसे लेकर अस्पताल के लिए चलने लगे, लेकिन उसकी मौत हो गयी.

सुकनी देवी की मौत से लीला देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. घर में इतने पैसे नहीं थे कि वो कफन का इंतजाम कर सके. पैसों के लिए गांव के मुखिया फेंकू राम के पास पहुंची, लेकिन फेंकू राम ने मदद करने से इनकार कर दिया. इसके बाद जहां से मदद का भरोसा था, उन सब लोगों ने लीला देवी ने गुहार लगायी, लेकिन कहीं से भी उसे मदद नहीं मिली. मामला प्रखंड की बीडीओ पूजा कुमारी के पास पहुंचा. उन्होंने मुखिया फेंकू राम से करीब अंतेष्ठि योजना का लाभ लीला देवी को देने का निर्देश दिया. इस पर मुखिया ने कहा, योजना मद में फंक नहीं है. इस वजह से वो मदद नहीं कर सकते हैं, जब फंड आयेगा, तब मदद की जायेगी.

कहीं से भी मदद नहीं मिलती देख लीला देवी ने शुक्रवार की सुबह सास सुकनी देवी के शव को बिना कफन के ही अंतिम संस्कार का फैसला लिया. इसके बाद जमीन में गड्ढा खोद कर बिना कफन के ही सुकनी देवी का अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन पंचायत का कोई भी व्यक्ति मदद के लिए सामने नहीं आया. झोपड़ी में रह कर किसी तरह गुजर-बसर करनेवाली लीला देवी को समझ में नहीं आ रहा है, अब उसका आगे का जीवन कैसे बीतेगा. बेटा विकलांग है, वो उसे देखेगी या फिर घर चलाने के लिए लोगों के खेतों में काम करेगी.

मौत के बाद जिस तरह से सुकनी देवी का शव बिना कफन के दफनाना पड़ा है. उससे सरकारी योजनाओं पर सवाल खड़े हो गये हैं. सरकार का ये निर्देश है कि जरूरतमंद के परिवार को तत्काल कबीर अंतेष्ठि योजना की राशि दी जानी है, लेकिन सुकनी देवी के मामले में ऐसा नहीं हुआ. बीडीओ तक उसकी मदद नहीं करा पाये.

कबीर अंतेष्ठि योजना में फंड नहीं है. पहले से ही 80 आवेदन पड़े हैं. ऐसे में हम मदद नहीं कर सकते हैं. फंड आने पर मदद की जायेगी.

फेंकू राम, मुखिया

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