ई-मेल, ट्विटर, स्मार्ट फोन और एसएमएस के जमाने में किनारे लगी टेलीग्राम सेवा अब देखने को नहीं मिलेगी. भारत संचार निगम लिमटेड (बीएसएनएल) ने 160 साल पुरानी इस सेवा को 15 जुलाई से बंद करने का निर्णय लिया है.
एक जमाने में तेज और संचार का मुख्य स्नेत मानी जाने वाली यह सेवा स्वाधीनता आंदोलन सहित कई मौके का गवाह रही है. पर आधुनिक तकनीक के जमाने न इसकी रफ्तार बढ़ी और बढ़ाने की कोशिश हुई. हालांकि,वित्तीय संकट से इसे निकालने के लिए मई, 2011 में सरकार ने इस सेवा के मूल्यों का फिर से निर्धारण किया था.
इन्हें सहेज कर रखना होगा : सकरुलर के मुताबिक दूरसंचार कार्यालयों को बुकिंग की तारीख से केवल छह महीने तक लॉग बुक, सेवा संदेश, डिलिवरी स्लिप को रखना होगा. सूत्रों के मुताबिक, बीएसएनएल ने सरकार से इस सेवा की मदद के लिए कहा था क्योंकि व्यावसायिक रूप से यह चलाने योग्य नहीं रही.
इस पर सरकार का जवाब आया कि बीएसएनएल बोर्ड को इस पर फैसला करना चाहिए. हमने डाक विभाग से विचार-विमर्श के बाद इस सेवा को बंद करने का फैसला किया है.
जनता की जान : टेलीग्राम सिर्फ संदेश ही नहीं देती थी, बल्कि कई मौकों पर अदालत में बतौर प्रमाण भी इसका इस्तेमाल हुआ है. सीमा पर तैनात जवानों व ग्रामीण अंचलों के लिए तो यह दूत का काम करता था. नौकरी की नियुक्ति पत्र हो या शोक संदेश या फिर स्थानांतरण की सूचना टेलीग्राम वक्त पर यह सूचना संबंधित को देता था. इसकी लोकप्रियता इस कदर थी कि कई हिंदी फिल्मों में इस केंद्र में रख कर कहानी लिखी गयी.