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हृदय रोग एवं योग

श्री स्वामी सत्यानंद सरस्वती चाहते थे कि योग को एक वैज्ञानिक भूमिका मिले, यह विज्ञान के रूप में स्थापित हो. इसी संदर्भ में उन्होंने हृदय रोग के ऊपर शोध कार्य किया और यह बतलाना चाहा कि योग के नियमित अभ्यास से कैसे हृदय रोग से ग्रसित लोगों को आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त हो सकता है. प्रथम […]

श्री स्वामी सत्यानंद सरस्वती चाहते थे कि योग को एक वैज्ञानिक भूमिका मिले, यह विज्ञान के रूप में स्थापित हो. इसी संदर्भ में उन्होंने हृदय रोग के ऊपर शोध कार्य किया और यह बतलाना चाहा कि योग के नियमित अभ्यास से कैसे हृदय रोग से ग्रसित लोगों को आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त हो सकता है.

प्रथम सफल हृदय प्रत्यारोपण करनेवाले विश्व विख्यात हृदय शल्य चिकित्सक ‘डॉक्टर क्रिश्चियन बर्नाड’ का कहना है कि ‘सिद्धासन’ का अभ्यास प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए, जिससे उसे हृदय रोग न हो. चूंकि हृदय रोग उत्पन्न करने में भावनाओं की भूमिका आधारभूत है, अत: रोग में सुधार हेतु सिर्फ वसा रहित भोजन लेने से काम नहीं चलेगा. योग विज्ञान के अनुसार लोगों को अपने भावनात्मक ढांचे की संरचना तथा हृदय व मन पर पड़नेवाले उसके प्रभावों को पहचानना भी आवश्यक है. यौगिक शिथिलीकरण के अभ्यासों, जैसे योग निद्रा एवं ध्यान से यह बोधगम्यता सहज ही प्राप्त हो सकती है.

यौगिक कार्यक्रम
एक थके हुए हृदय की प्राथमिक आवश्यकता है- आराम, क्योंकि इससे खोई हुई शक्ति का संचय होगा. साथ ही सादगीपूर्ण जीवनचर्या, कुछ घूमना-फिरना तथा आसन-प्राणायाम इत्यादि करने होंगे, तभी पूर्ण लाभ होगा. आहार- विहार, विचार और व्यवहार, इन सभी का संतुलन ही स्वास्थ्य की कुंजी है.

कौन-से उपयोगी आसन
पवनमुक्तासन भाग-एक से प्रारंभ करें. पहले प्रतिदिन प्रात: स्नान करना चाहिए. फिर अभ्यास करें. यदि कहीं कठिनाई या थकावट हो, तो श्वासन करें. योगाभ्यास आराम व शांति से करना चाहिए. इन आसनों का अभ्यास दैनिक रूप से दो महीनों तक करना चाहिए. निमAलिखित मुख्य आसनों का अभ्यास अनुसंशित है- वज्रासन, शशांकासन (इसमें कुछ मिनटों के लिए शिथिलीकरण) सर्पासन, योग मुद्रा आसन, भू-नमनासन, गोमुखासन, सेतु आसन, पाद हस्तासन, त्रिकोणासन, वक्रासन, भुंजगासन, शलभासन, मेरूदंडासन, उत्तानपादासन एवं धीमी गति से सूर्य नमस्कार करें. इस एक घंटे में मिली शांति की कलावधि धीरे-धीरे बढ़ती जायेगी और संपूर्ण जीवन को रूपांतरित कर देगी.

प्राणायाम : हृदय के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राणायम है नाड़ी-शोधन तथा उज्जायी. श्वास सामान्य से थोड़ी अधिक गहरी होनी चाहिए. अभ्यास से कुम्भक वर्जित है. इससे फौरन तनाव एवं चिंता से मुक्ति की अनुभूति होती है. नाड़ी शोधन के 10 चक्र तथा 10 मिनट तक उज्जायी प्राणायाम अनुशंसित है. ऑक्सीकरण की प्रक्रिया अधिक सुचारू होने से हृदय को बहुत लाभ पहुंचता है.

योग निद्रा : आसन कार्यक्रम के दौरान बीच-बीच में शिथिलीकरण करते रहना चाहिए. श्वासन, मत्स्य क्रीड़ासन या अद्वासन में से किसी भी आसन का प्रयोग कर सकते हैं. इसका पूर्ण अभ्यास दिन में एक बार कभी भी अवश्य करना चाहिए.

ध्यान : ध्यान नियमबद्ध अभ्यास के रूप में नहीं वरन् एक आनंददायी कार्यकलाप के रूप में सीखना चाहिए. ध्यान की अनेक उपयोगी तकनीक हैं. उपयुक्त अभ्यास अजपा-जप तथा अंतमरैन हैं.

षट्क्रियाएं : हृदय रोगियों के लिए जल नेति आदर्श अभ्यास है किंतु इसके पश्चात भस्त्रिका न ही करें, न ही नासिका को सुखाने के लिए श्वास पर जोर डालें. नेति प्रतिदिन प्रात: करें. कुंजल तथा शंख प्रक्षालन हृदय रोगियों को कुछ महीनों तक नहीं करना चाहिए.

सावधानी : आसनाभ्यास अति महत्वपूर्ण है मगर सामथ्र्य से अधिक न करें. यदि लगे कि हृदय पर जोर पड़ रहा हो या थोड़ा भी दर्द हो, तो आसन तुरंत बंद कर शिथिलीकरण का अभ्यास करें.

कैसी हो जीवनशैली

हृदय रोग उन्हीं लोगों में अधिकतर उत्पन्न होता है, जिनकी मन:स्थिति राजसिक, क्रियाशील एवं प्रतिस्पर्धात्मक है. कई लोग रिलैक्स होने के लिए ध्रूमपान, मदिरापान, तेज संगीत, देर रात पार्टियां आदि करते हैं, जो विश्रम के बदले उत्तेजना तथा थकावट उत्पन्न करती है. अत: इन सबसे दूर कुछ समय प्रकृति के बीच बिताना चाहिए. आश्रम में रहना उत्तम है. भोजन हल्का लेना चाहिए. मांस तथा अधिक प्रोटीन युक्त आहार, जैसे दूध तथा दूध से बनी चीजें, तेल अथवा मसालेदार भोज्य पदार्थ वजिर्त हैं. अन्न, दालें, फल तथा ताजी सब्जियां लेना उचित है. इनसे मोटापा कम होगा और हृदय पर भार कम होगा. संध्या का भोजन सात बजे से पहले लें. कब्ज से बचना जरूरी है, क्योंकि शौच के समय ज्यादा जोर लगाने से हृदय पर जोर पड़ता है. मद्यपान, धूम्रपान, तंबाकू सेवन इत्यादि हृदय रोगियों के लिए जहर हैं. इनका सेवन तुरत त्याग देना चाहिए.

धर्मेद्र सिंह

एमए योग मनोविज्ञान, बिहार योग विद्यालय-मुंगेर

गुरु दर्शन योग केंद्र-रांची

योग मित्र मंडल-रांची

हार्ट स्ट्रोक से बचाता है केला
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जो बुजुर्ग महिलाएं पोटैशियम का सेवन अधिक करती हैं, उनमें स्ट्रोक का खतरा कम होता है. इस रिसर्च में मुख्य भूमिका निभानेवाली प्रोफेसर सिल्विया के अनुसार बुजुर्ग महिलाओं को फल एवं सब्जियां अधिक खानी चाहिए, क्योंकि ये पोटैशियम के अच्छे स्नेत हैं. केले में भी यह भरपूर मात्र में पाया जाता है. यह न सिर्फ स्ट्रोक के खतरे को कम करता है, बल्कि आकस्मिक मृत्यु से भी बचाता है. इस रिसर्च में 90 हजार रजोनिवृत्त महिलाओं को शामिल किया गया था. इनकी उम्र 50 से 79 के बीच थी और यह अध्ययन 11 वर्षो तक चला. इसमें उनके द्वारा ग्रहण किये गये पोटैशियम की मात्र, स्ट्रोक की संख्या और इस कारण होनेवाली मृत्यु को शामिल किया गया. इसमें पाया गया कि जो महिलाएं स्ट्रोक मुक्त रहीं, उन्होंने प्रतिदिन 2611 मिलिग्राम पोटैशियम का सेवन किया. इसमें अच्छी बात यह थी कि उन्होंने इसके लिए किसी सप्लीमेंट का सहारा नहीं लिया. इसका सेवन उन्होंने भोजन में शामिल फलों और सब्जियों के जरिये किया. इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि त्न जिन्होंने पोटैशियम का सेवन अधिक किया उनमें सामान्य की तुलना में स्ट्रोक का खतरा 12} तक कम था.

त्न कम पोटैशियम का सेवन करनेवाली महिलाओं की तुलना में मृत्यु का खतरा 10} तक कम हुआ. त्न हाइपरटेंशन से ग्रस्त महिलाओं में मृत्यु के खतरे को कम करता है, लेकिन स्ट्रोक के खतरे को कम नहीं करता है.डब्ल्यूएचओ के अनुसार महिलाओं को प्रतिदिन 3510 ग्राम पोटैशियम का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए.

घरेलू नुस्खे

हृदय मजबूत होता है शहद खाने से

वर्तमान में जीवनशैली में परिवर्तन और अनियमित खान-पान के कारण हृदय रोगों की समस्या बढ़ गयी है. कुछ आसान घरेलू उपायों से हृदय स्वस्थ रख सकते हैं.

छोटी इलायची और पीपरामूल का चूर्ण घी के साथ खाने से फायदा होता है.

एक चम्मच शहद रोज खाने से हृदय मजबूत होता है.

सुबह में अंगूर खाली पेट खाने से मधुमेह और बीपी की समस्या दूर होती है.

गुड़ व घी मिला कर खाने से हृदय मजबूत होता है.

अलसी के पत्ते और सूखे धनिये का क्वाथ पीने से हृदय की दुर्बलता मिटती है.

निम्न रक्तचाप में गाजर के रस में शहद मिला कर पीएं.

उच्च रक्तचाप में सिर्फ गाजर का रस पीने से रक्तचाप संतुलित हो जाता है.

सर्पगंधा को कूट कर रख लें. सुबह-शाम 2-2 ग्राम खाने से बढ़ा हुआ रक्तचाप सामान्य हो जाता है.

प्रतिदिन लहसुन की कच्ची कली खाने से रक्तचाप सामान्य रहता है.

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