रूस में पिकोर-बायो नाम से एक नया यंत्र बनाया गया है. शुरू में यह यंत्र खदानों में दुर्घटना होने पर मलबे में दबे खनिकों की खोज के लिए बनाया गया था. बहुत से सुधार करके अब इसे नये तरीके से बनाया गया है, जो कई अलग-अलग मकसदों के लिए इस्तेमाल हो सकता है. इसकी खासियत यह है कि यह अलग-अलग हिस्सों से पैदा हुई बाधाओं (जैसे कि खान में शिलाखंडों) के आर-पार जीवितों को देख सकता है.
साथ ही यह बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के बाद वहां राहत-कार्य में अत्यधिक उपयोगी होगा. ‘रेडियो रूस’ के मुताबिक, देखने में यह यंत्र प्लास्टिक के ब्रीफकेस जैसा लगता है, जिसमें राडार और कंप्यूटर टेबलेट लगे हुए हैं. लोगों को खोजते हुए राहत कर्मी राडार को खोज-क्षेत्र पर लक्षित करता है और उससे मिली तस्वीर को टेबलेट पर देखता है. रेत या हिम की परत तले या कंक्रीट की दीवार के पीछे मुसीबत में फंसा व्यक्ति यदि सांस ले रहा है तो यह यंत्र उसे दिखा देगा.
साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है कि उस व्यक्ति तक कितनी दूरी है और यह भी समझा जा सकता है कि वे हिल-डुल रहे हैं या नहीं. इंसान का पता लगा पाने के लिए इतना ही काफी है कि उसका दिल धड़क रहा हो और सांस चल रही हो. इसकी इस खूबी को देखते हुए यह सेना, पुलिस या राहतकर्मी सभी के काम आ सकता है. यह यंत्र शून्य से 40 डिग्री नीचे से लेकर शून्य से 50 डिग्री सेंटीग्रेड ऊपर तक के तापमान पर काम करता है.