मेरी एक दोस्त है, जो क्लास 10 में पढ़ती है. एक दिन वह हेडफोन को कान में लगाये बड़ी तल्लीनता से कोई गाना सुन रही थी. मैंने पूछा, तो उसने गीत के बोल बताते हुए कहा, ‘दीदी, ये गाना ऑसम है.
इसे सुन कर मुङो सुकून मिलता है और प्रेरणा भी. आप भी सुनो.’ मैंने वह गाना सुना, तो मुङो बड़ा अजीब लगा. एक ही लाइन को बार-बार चिल्लाने के अलावा उसमें मुङो कुछ खास नहीं लगा. मैंने कहा, ‘तुमने राज कपूर की फिल्म अनाड़ी का गाना सुना है?’ वह बोली, ‘ये कौन है?’ मुङो पहले तो बड़ा आश्चर्य हुआ, फिर लगा कि आज की जनरेशन कहां से सुनेगी ये गाने. मैंने मोबाइल में यू-ट्यूब पर उसे वह गीत सुनाया, जिसके संगीतकार हैं शंकर-जयकिशन. गायक हैं मुकेश और इस बेहतरीन गाने को लिखा है शैलेंद्र ने. इसकी हर लाइन लाजवाब है. आपने भले ही यह गीत सुनी हो, लेकिन इसे दोबारा पढ़ें और हो सके तो इस गीत को देखें. राज कपूर साहब के हावभाव और उनके एक्शंस ने जीवन जीने का जो तरीका इस गीत के जरिये सिखाया है, वह आज कोई बॉलीवुड का गाना नहीं सीखा सकता.
‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके, तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है. माना अपनी जेब से फकीर हैं, फिर भी यारों दिल के हम अमीर हैं. मिटे जो प्यार के लिये वो जिंदगी, जले बहार के लिये वो जिंदगी, किसी को हो न हो हमें तो ऐतबार, जीना इसी का नाम है. रिश्ता दिल से दिल के ऐतबार का, जिंदा है हमीं से नाम प्यार का. के मर के भी किसी को याद आयेंगे, किसी के आंसुओं में मुस्कुरायेंगे. कहेगा फूल हर कली से बार-बार, जीना इसी का नाम है..’
यह गीत जब उस बच्ची ने सुना और इसका पिक्चराइजेशन देखा, तो उसने कहा, ‘वाओ.. कितना प्यारा गाना है. मैं अभी इसे डाउनलोड करती हूं. ये मूवी भी देखती हूं.’ इस बात को करीब तीन दिन हो गये हैं और अब यह गाना उस बच्चे के फोन की रिंगटोन बन चुका है.
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