प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर थम नहीं रहे. दिल्ली के अंदर तो ठीक, दिल्ली के बाहर भी जाने की उनकी फ्रिक्वेंसी काफी अधिक है. बतौर पीएम मनमोहन सिंह के दस साल के दौरों से मोदी की तुलना की जाये, तो मोदी अपने पूर्ववर्ती की तुलना में सुपरफास्ट नजर आयेंगे.
मनमोहन कभी-कभार दिल्ली से बाहर निकलते थे, मोदी दिल्ली से बाहर निकलने का कोई मौका नहीं छोड़ते. इसी मंगलवार को वो अहमदाबाद पहुंचे, बुधवार को अहमदाबाद में चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की जम कर मेजबानी की और फिर उसी रात दिल्ली लौट कर गुरुवार को जिंगपिंग के साथ शीर्ष वार्ता करते नजर आये. ये सिलसिला 26 मई को शपथ ग्रहण के बाद से ही जारी है.
मोदी को दौरों से परहेज नहीं. गुजरात के सीएम के तौर पर भी वो लगातार गांधीनगर से बाहर खूब जाया करते थे. जब बीजेपी के पीएम उम्मीदवार बने, तो भी करीब छह महीने तक देश के तमाम हिस्सों का धुंआधार दौरा किया. पीएम बनने के बाद भी वो दिल्ली में शांत नहीं बैठे. दिल्ली से बाहर उनका दौरा नियमित अंतराल पर चल रहा है, लेह से लेकर मुंबई और रांची से लेकर कोल्हापुर तक. जम्मू-कश्मीर में बाढ़ आयी, तो फटाफट श्रीनगर और जम्मू का दौरा कर आये.
देश तो ठीक, विदेश भी खूब जा रहे हैं मोदी. मई के आखिरी हफ्ते में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद वो हर महीने विदेश का चक्कर लगा कर आये हैं. जून में भूटान गये, तो जुलाई में ब्राजील. अगस्त में जापान गये, तो अब सितंबर में उस दौरे पर निकलने वाले हैं, जिस पर दुनिया की निगाह लगी है. जी हां, अमेरिका का दौरा. मोदी 25 सितंबर को अमेरिका के लिए निकलेंगे और दो अक्तूबर तक दिल्ली लौट आयेंगे. इसी दौरान 27 सितंबर को न्यूयॉर्कमें जहां संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में अपना भाषण देंगे, तो 29 सितंबर को वाशिंगटन जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलेंगे.
सवाल उठता है कि खूब प्रवास करनेवाले पीएम मोदी की रूटीन कैसी है, कितनी अलग है गुजरात का सीएम रहते हुए उनकी दिनचर्या से. दरअसल प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे मोदी को अब चार महीने होने जा रहे हैं. ‘आवजो गुजरात’ कह कर 22 मई, 2014 की शाम पांच बजे के अहमदाबाद एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे नरेंद्र मोदी. एक दिन पहले उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी थी, जिस कुर्सी पर पहली बार वो सात अक्तूबर 2001 के दिन बैठे थे.
अगर देखा जाये, तो सीएम मोदी की जगह पीएम मोदी की दिनचर्या में जो एकमात्र बड़ा फर्क आया है, वो है जगह का. गुजरात के मुख्यमंत्री की भूमिका में मोदी गांधीनगर के मंत्रिमंडलीय आवास के बंगला नंबर 26 में तेरह वर्षो तक रहे, तो अब प्रधानमंत्री की भूमिका में वो दिल्ली के लुटिएंस जोन के रेस कोर्स रोड के बंगला नंबर पांच में रहते हैं.
हालांकि, प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले तीन दिन तो मोदी दिल्ली के गुजरात भवन में ही रहे, बाद में शिफ्ट हुए आरसीआर कैंपस में. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के तौर पर बंगला नंबर तीन में रहते थे. मोदी बंगला नंबर पांच में रहते हैं, जो मनमोहन के समय में उनका गेस्टहाउस हुआ करता था. बंगला नंबर तीन के रिनोवेशन का काम पूरा हो चुका है और माना ये जा रहा है कि मोदी दशहरे के समय शायद बंगला नंबर तीन में शिफ्ट हो जायें.
प्रधानमंत्री बनने के साथ ही मोदी के काम करने की जगह भी बदली है. मोदी गांधीनगर में आम तौर पर हफ्ते के पहले तीन दिन यानी सोमवार से लेकर बुधवार तक सचिवालय के स्वर्णिम संकुल-1 की तीसरी मंजिल पर मौजूद मुख्यमंत्री के चैंबर से काम करते थे. और हफ्ते के बाकी दिन मंत्री आवासीय कैंपस में मौजूद बंगला नंबर एक से. दिल्ली में प्रधानमंत्री की भूमिका में मोदी साउथ ब्लॉक के प्रधानमंत्री कार्यालय की पहली मंजिल पर मौजूद अपने चैंबर से काम करते हैं. यहां भी वो हफ्ते के शुरुआती दो-तीन दिन काम करते हैं, हफ्ते के बाकी दिनों में अपने आवासीय कार्यालय सेवन आरसीआर से ही काम करते हैं.
घर और काम करने की जगह तो बदल गयी है, लेकिन मोदी की दिनचर्या में कोई खास फर्क नहीं आया है. गांधीनगर में भी मोदी सुबह के पांच बजे उठते थे और दिल्ली में भी उनकी यही रूटीन है. पांच बजे उठने के बाद प्रधानमंत्री मोदी सुबह की चाय पीते हैं और फिर सरसरी निगाह अपने मिनी कंप्यूटर पर डालते हैं. कभी कोई आवश्यक मेल हुआ तो तुरंत जवाब भी दे देते हैं. उसके बाद शुरू होता है योग और प्राणायाम का सिलसिला. मोदी की दिनचर्या का ये वो हिस्सा है, जिसे वो आम तौर पर मिस नहीं करते. घंटे भर तक योग और प्राणायाम के अलावा हल्की मशीनी एक्सरसाइज भी करते हैं, मसनल क्र ॉस ट्रेनर का इस्तेमाल.
सुबह की कसरत के बाद मोदी के नहाने-धोने और नाश्ता करने का वक्त होता है. साढ़े सात तक प्रधानमंत्री मोदी तैयार हो जाते हैं. नाश्ता भी हल्का, कभी पौवा, तो कभी खाखरा, तो कभी भाखरी. गांधीनगर से मोदी दिल्ली गये, तो अपने खास रसोइए बद्री को ले जाना नहीं भूले. बद्री उनके लिए सुबह का नाश्ता तैयार करता है. नाश्ता करने के दौरान ही मोदी देश-दुनिया की खबरों पर निगाह डालते हैं. कंप्टूयर पर खुद तो सर्फकरते ही हैं, उनके लिए तमाम अखबारों में छपी खबरें भी कंपाइल कर निजी टीम भेज देती है. इस पर भी निगाह डाल लेते हैं मोदी.
अखबारों पर निगाह डालने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के फोन का सिलसिला शुरू हो जाता है. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी खुद उन लोगों को फोन करने से नहीं हिचकते, जिनसे उन्हें कोई जरूरी जानकारी लेनी होती है या फिर सीधा निर्देश देना होता है. सुबह की फोन कॉल्स के इस सिलसिले को खत्म करने के बाद करीब नौ बजे तक मोदी या तो साउथ ब्लॉक के अपने दफ्तर के लिए निकल जाते हैं या फिर सेवेन आरसीआर के अपने आवासीय कार्यालय में पहुंच जाते हैं. यहां उनके पहुंचने के पहले ही उनका निजी स्टाफ पहुंच चुका होता है. जारी
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
ब्रजेश कुमार सिंह संपादक-गुजरात एबीपी न्यूज