पटना में 27 अक्तूबर, 2013 को नरेंद्र मोदी की ‘हुंकार रैली’ के दौरान हुए सीरियल बम ब्लास्ट की जांच कर रही जांच एजेंसी एनआइए ने पटना स्थित विशेष अदालत में दूसरा चार्जशीट दाखिल कर दिया है. इस चार्जशीट में कुल दस आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किये गये हैं. विशेष अदालत को सौंपे गये चार्जशीट में 301 गवाहों की सूची के साथ ही 234 कागजी दस्तावेज और 65 सामान के नमूने भी पेश किये गये हैं. रिपोर्ट के अनुसार आतंक के सामान चार राज्यों उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार से जुटाये गये थे. एनआइए के इस दूसरे चार्जशीट में किये गये खुलासे पर प्रभात खबर की विस्तृत रिपोर्ट.
राजीव रंजन
पटना:पटना में हुंकार रैली के दौरान नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी ने उमेर सिद्दीकी के साथ मिल कर रची थी. हैदर अली और उसके अन्य पांच आतंकी साथियों ने भाजपा की हुंकार रैली स्थल यानी गांधी मैदान के चारों तरफ मौत की चादर बिछाने का काम किया था. जबकि उसके साथियों इम्तियाज अंसारी और तारिक आजम को पटना जंकशन और घनी आबादी वाले इलाके जक्कनपुर थाना के बीच किसी ऐसे स्थान पर विस्फोट लगाने की जिम्मवेारी सौंपी गयी थी, जिसमें अधिक-से-अधिक लोगों को शिकार बनाया जा सके. हैदर और उसके साथियों ने अपने साथ लाये विस्फोटकों को गांधी मैदान के दक्षिणी छोर पर स्थित सुलभ शौचालय में ‘एक्टीवेट’ किया था. इसका खुलासा पटना ब्लास्ट की जांच कर रही जांच एजेंसी एनआइए ने पटना स्थित विशेष अदालत में दायर दूसरे चार्जशीट में किया है.
आतंकी संगठन ‘सिमी’ का बिहार व झारखंड में संचालन करने वाला हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी 26 अक्तूबर, 2013 की देर शाम रांची के खादगढ़ा बस अड्डे से अपने पांच अन्य आतंकी साथियों के साथ आदित्य विजय बस सर्विस की बस से पटना पहुंचा था. हैदर के साथ उस बस में इम्तियाज अंसारी, तारिक आजम (अब मृत), नुमान अंसारी, तौफिक अंसारी और मुजिबुल्लाह अंसारी भी थे. हैदर ने अपने छह आतंकियों के इस ग्रुप को दो-दो आतंकियों के तीन ग्रुप में विभक्त कर दिया था. सभी ग्रुप को विस्फोटकों की जाल बिछाने के लिए अलग-अलग जिम्मेवारी सौंपी गयी थी.
पहले दस्ते में पटना जंकशन पर पकड़ा गया इम्तियाज अंसारी और प्लेटफार्म नंबर-10 स्थित सुलभ शौचालय में विस्फोटक की जद में आकर ढेर हुआ तारिक आजम शामिल था. इन दोनों को जिम्मेवारी दी गयी थी कि वे पटना जंकशन और जक्कनपुर थाना के बीच घनी आबादी वाले भीड़-भाड़ वाले इलाके में विस्फोटकों को प्लांट करें. इनका उद्देश्य किसी घनी आबादी वाले इलाके में अधिक-से-अधिक मासूम लोगों को शिकार बनाना था, लेकिन पटना जंकशन पर सुलभ शौचालय में विस्फोटकों को एक्टीवेट करने के दौरान हुए विस्फोट में तारिक आजम बुरी तरह घायल हो गया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.
दरअसल, इन दोनों आतंकियों की दाढ़ी होने के कारण उन्हें गांधी मैदान नहीं जाने दिया गया था ताकि किसी को कोई शक नहीं हो. दूसरे दस्ते में खुद हैदर और तौफिक अंसारी गांधी मैदान के दक्षिणी छोर पर एक्जीबिशन रोड की तरफ बम प्लांट करने की जिम्मेवारी ली थी. उन्होंने सुलभ शौचालय में विस्फोटकों को एक्टीवेट करने के बाद दक्षिणी छोर पर रैली के डायस से लेकर गांधी मैदान के बीचो-बीच अवस्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थल तक करीब आधा दर्जन विस्फोटकों को प्लांट किया था. जबकि गांधी मैदान के उत्तरी छोर पर विस्फोटकों को प्लांट करने का काम नुमान अंसारी और मुजिबुल्लाह अंसारी ने की थी. इन आतंकियों ने हमले के लिए तैयार किये गये विस्फोटकों को एक प्लास्टिक की थैली में लपेटकर अपने हाथ में ले रखा था. एनआइए ने अपने चार्जशीट में दावा किया है कि ये आतंकी रांची से पटना पहुंचने के बाइपास के समीप पटना सेंट्रल स्कूल के पास ही बस को छोड़ दी थी और वहां से ये पटना जंकशन स्थित जामा मसजिद पहुंचे थे.
यहीं से ये तीन ग्रुप में बंट गये. हैदर ने पूछताछ में गवाह के समक्ष यह स्वीकार किया है कि उसने गांधी मैदान में हमला करने से पहले खुद गांधी मैदान समेत भीड़-भाड़ वाले राजधानी के कई अन्य इलाकों की भी रेकी की थी.
दर्जन भर नामों से जाना जाता था हैदर अली
पटना:आतंकी हैदर अली अपने साथ एक-दो नहीं बल्कि कई-कई पहचान पत्र रखता था. जांच के क्रम में एनआइए को हैदर के पास से कई नामों के पहचान पत्र मिले हैं. जब 21 मई, 2014 को एनआइए की टीम ने हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी को रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड पर दबोचा, तो उसने अपना नाम विवेक सिन्हा बताया था. जब एनआइए की टीम ने मौके पर ही उसकी जांच की तो उसकी जेब से दो मतदाता पहचान पत्र मिले. दोनों में हैदर की तस्वीर तो थी, लेकिन एक में उसका नाम विवेक सिन्हा लिखा था, जबकि दूसरे में आलोक टिर्की. एनआइए ने अपने चार्जशीट में हैदर के कई नामों का भी खुलासा किया है. इसमें हैदर अली, अब्दुल्लाह, ब्लैक ब्यूटी, विवेक सिन्हा, आलोक टिर्की और मीर अली जैसे कई छद्म नाम रख रखे थे.
जब उसने मिर्जापुर के फखरुद्दीन को रांची स्थित कैनरा बैंक से 25 हजार रुपये ट्रांसफर किये थे, तब उसने यह रकम मीर अली के नाम से जमा कराये थे और स्लीप पर उसने मुजिबुल्लाह का मोबाइल नंबर 9572140985 दर्ज किया था. बाद में जांच के क्रम में एनआइए ने पाया कि यह मोबाइल फोन मुजिबुल्लाह का है.
मिर्जापुर, इलाहाबाद से जुटाया था मौत का सामान
उत्तर प्रदेश
पटना. पटना में ब्लास्ट के लिए हैदर अली ने मौत का सामान मिर्जापुर और इलाहाबाद से जुटाये थे. पटना में भाजपा की रैली के दौरान नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए हैदर अली ने अपने अन्य आतंकी सहयोगियों के साथ मिर्जापुर और इलाहाबाद से विस्फोटक, जिलेटिन की छडें़, एलबो पाइप, बैटरी, लोटस का टेबल क्लॉक और बिजली के तार आदि की खरीद की थी. एनआइए ने दूसरे चार्जशीट में हैदर अली और उसके साथियों द्वारा मौत के सामान एकत्रित करने के संबंध में विस्तार से चर्चा की है. चार्जशीट में बताया गया है कि पिछले साल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर व वर्ष 2001-02 में गुजरात दंगों के बाद से ही हैदर अली बदले की आग में झुलसने लगा था.
उसने मिर्जापुर में अपने अनुयायियों और दोस्तों के बीच जाकर मुजफ्फरनगर दंगों की कुछ वीडियो रिकॉर्डिग दिखायी थी. मिर्जापुर में हैदर अहमद हुसैन नामक शख्स के काफी करीब था. वह मिर्जापुर में फखरुद्दीन को भी करीब एक साल से जानता था. हैदर ने फखरुद्दीन को मिर्जापुर में जिलेटिन की छड़ों का इंतजाम करने को कहा था. इसके लिए हैदर ने फखरुद्दीन को रांची में धुरवा स्थित केनरा बैंक से जिलेटिन की छड़ खरीदने के लिए 25 हजार रुपये भी 19 सितंबर, 2013 को ट्रांसफर किये थे. अहमद हुसैन और फखरुद्दीन ने मिलकर हैदर को जिलेटिन की छडें उपलब्ध करायी थी.
विस्फोट के लिए हैदर ने इलाहाबाद का भी दौरा किया था, तब अहमद हुसैन भी उसके साथ था. इलाहाबाद के जॉनसनगंज से हैदर और अहमद हुसैन ने ढाई ईंच के एक दर्जन एलबो पाइप मिश्र पाइप नामक एक दुकान से खरीदी थी. यहां उसने बैटरी, बिजली के तार, खरीदकर अहमद हुसैन के घर में रखी थी. यहां उसने हुसैन के घर में ही एलबो पाइप को जोड़कर तीन-चार बम बनाये थे. फखरुद्दीन ने इन ढाई ईंच के आकार वाले एलबो पाइप में एक स्थानीय लेथ की दुकान से छेद भी कराये थे ताकि उसमें टाइमर लगाये जा सकें. इसके बाद हैदर अली व उसके साथियों ने रांची से भी विस्फोटक के कई सामान खरीदे थे.
रायपुर में छुपे थे हैदर तौफिक और मुजिबुल्लाह
छत्तीसगढ़
पटना में नरेंद्र मोदी पर असफल हमले के तत्काल बाद मौके से फरार होकर हैदर अली, तौफिक अंसारी और मुजिबुल्लाह अंसारी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भाग गये थे. 28 अक्तूबर से 10 नवंबर, 2013 तक ये तीनों आतंकी उमेर सिद्दीकी के घर में ही छुपे हुए थे. बाद में 10 नवंबर को इन तीनों ने अपने साथी आतंकी अजहरुद्दीन कुरैशी के रिश्ते में एक चाचा का रायपुर स्थित एक घर सात हजार रुपये के किराये पर लिया था. किराये की यह रकम हैदर अली ने चुकाया था. एनआइए ने अपने दूसरे चार्जशीट में खुलासा किया है कि उस घर में बिस्तर व रसोईघर के सामान उमेर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन कुरैशी ने उपलब्ध कराये थे.
जब 14 नवंबर को पुलिस ने उमेर सिद्दीकी को हिरासत में ले लिया तो वह अजहरुद्दीन कुरैशी ही था, जिसने हैदर और उसके साथियों को इसकी सूचना दी. अजहरुद्दीन कुरैशी ने ही हैदर और उसके दो अन्य साथियों को रायपुर से भागने में मदद की और उन्हें एक ऑटो पर लेकर रायपुर बस स्टैंड तक पहुंचाया. ये तीनों आतंकी रायपुर बस स्टैंड से अंबिकापुर की बस पकड़कर सीधे अंबिकापुर पहुंचे.
ब्लास्ट के बाद नुमान पहुंचा था बहन के घर रांची
झारखंड
पटना में सीरियल धमाकों के तत्काल बाद इम्तियाज अंसारी और तारिक आजम को छोड़ सभी चार आतंकी अलग-अलग यातायात साधनों से पटना से बाहर निकल चुके थे. उनमें हैदर अली, मुजिबुल्लाह और तौफिक अंसारी छत्तीसगढ़ के लिए तथा नुमान अंसारी एक ट्रेन से रांची के लिए निकला था. छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद उमेर सिद्दीकी ने हैदर और उसके अन्य साथियों के लिए मकान की व्यवस्था की थी, जबकि नुमान रांची के हिंदपीढ़ी स्थित अपनी बहन के घर रात करीब दस बजे पहुंचा था. एनआइए ने अपने चार्जशीट में बताया है कि हिंदपीढ़ी स्थित नुमान की बहन से जब एनआइए की टीम ने पूछताछ की तो उसने सारा सच खोल दिया. नुमान की बहन ने बताया कि जब वह उसके घर आया तब तक पटना में सीरियल ब्लास्ट की जानकारी उन्हें मीडिया से मिल चुकी थी. तब उसने अपनी बहन को बताया था कि वह कोलकाता से आ रहा है. वह 27 अक्तूबर की रात हिंदपीढ़ी में अपनी बहन के घर ही रहा.
लेकिन अगली सुबह जब समाचार पत्रों में रांची के सीठियो गांव की कहानी सामने आयी तो नुमान की बहन और उसके ससुराल वाले नुमान से कई सवाल पूछने लगे और नुमान उनके सवालों का जवाब देने की स्थिति में नहीं था. उनके सवालों से बौखलाये नुमान गुस्से में अपनी बहन के घर से निकल गया लेकिन वह अपने साथ लाये एक काले रंग का बैग अपनी बहन के घर ही छोड़ दिया. बाद में नुमान की बहन ने वह बैग एनआइए के हवाले कर दिया, जिसकी जांच कोलकाता स्थित सीएफएसएल में करायी गयी. इस जांच में पुष्ट हो गया कि पटना में सीरियल ब्लास्ट के क्रम में जिन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था, उसके अंश नुमान के काले बैग में मौजूद थे. एनआइए ने सीएफएसएल की जांच रिपोर्ट को भी अपने चार्जशीट में
शामिल किया है. उधर, हैदर, मुजिबुल्लाह और तौफिक के छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचने के बाद उमेर सिद्दीकी ने उनके लिए सात हजार रुपये के किराये वाले एक मकान का प्रबंध किया, जहां वे कुछ दिनों छुप कर रहे.