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कश्मीर: ‘हेल्पलाइन वाले बोले- बार-बार फ़ोन न करें’

फ़ैसल मोहम्मद अली बीबीसी संवाददाता, जम्मू से बाढ़ से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर बचाव और राहत कार्य चल रहा है. भारत के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 76,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है. इस बीच भारत में मरने वालों की संख्या 200 से अधिक हो गई है. वहीं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर […]

बाढ़ से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर बचाव और राहत कार्य चल रहा है. भारत के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 76,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है.

इस बीच भारत में मरने वालों की संख्या 200 से अधिक हो गई है. वहीं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और वहाँ के पंजाब प्रांत में मृतकों की संख्या 250 को पार कर गई है.

सेना के 79 से ज्यादा विमान और हेलीकाप्टर बचाव और राहत कार्यों में लगे हुए हैं.

लेकिन श्रीनगर के कई इलाकों में पानी भरा है.

दूसरी ओर लोग राहत और बचाव कार्यों पर सवाल खड़े कर रहे हैं और साफ कह रहे हैं कि इसमें भी रसूख काम कर रहा है.

हालांकि जम्मू क्षेत्र के डिविजनल कमिशनर शांत मनु ने बीबीसी से कहा कि ये आरोप ग़लत हैं.

कई दिक्कतें संचार माध्यम के ब्रेकडाउन की वजह से भी हैं.

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जम्मू डिविज़नल कमिश्नर के दफ़्तर में बीबीसी की मुलाक़ात कुछ लोगों से हुई जिनमें से कुछ की शिक़ायत थी कि उनके अपने लापता हैं. कई अन्य बचाव कार्यों में कथित कमी को लेकर नाराज़ थे.

वीआईपी को निकाल लिया

जम्मू में रहने वाली गृहणी राधिका महाजन का कहना है कि उनके पति तीन दिन से श्रीनगर में फंसे हुए हैं.

राधिका महाजन ने बताया, "मेरे पति नितिन गुप्ता एक सरकारी कर्मचारी हैं और श्रीनगर में पिछले तीन (रविवार) दिनों से अपने क्वार्टर में फंसे हैं. शनिवार के बाद जो सैलाब का पानी आया तो क्वार्टरों में घुसा गया. हमारी बात भी नहीं हो पा रही थी. सोमवार शाम को उनका फ़ोन आया वो बस इतना ही बोल पाए कि हमें किसी तरह से यहां से निकालो."

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उनका कहना था कि सरकार जिन कर्मचारियों के बल पर चलती है, उनके पास कोई मदद नहीं पहुंची है.

राधिका ने आगे कहा, "सबसे बड़ी बात है हमारा क्वार्टर तुलसी नगर में है और उसके पास ही विधायकों और सूबे के मंत्रियों के भी घर हैं. उन लोगों को वहां से निकाल लिया गया है. अगर वो उन लोगों को निकाल सकते हैं तो हमारे लोगों को क्यों नहीं?"

‘बार-बार फ़ोन क्यों करते हैं?

बीआर शर्मा एक सरकारी कर्मचारी हैं. वे श्रीनगर में काम करते हैं और कुछ दिन पहले ही जम्मू आए थे.

उन्होंने बताया कि उनका घर बख्शी स्टेडियम के पास है और शनिवार को जब वे श्रीनगर से निकले थे तब पानी एक मंज़िल तक पहुंच चुका था.

बीआर शर्मा का कहना था कि वहां 40 औरतें भी फंसी हुई हैं. जब आखिरी बार उनकी अपने एक साथी से बात हुई थी तब उसने कहा था कि अब तो पीने का पानी भी नहीं है औऱ खाना तो खत्म हो ही चुका है.

उन्होंने बताया, "हम पिछले दो दिनों से प्रशासन के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. जो दिल्ली की हेल्पलाइन है वहां फोन करते हैं तो वो कहते हैं कि एक बार आपकी सुन ली, आप बार बार फोन क्यों करते हो. लेकिन जब तक हमें पता नहीं चलेगा कि उन लोगों को निकाला गया या नहीं हम फोन करते रहेंगे. हमें पता चल रहा कि अब पानी पहली मंज़िल से उपर चला गया है."

बीआर शर्मा कहते हैं कि फंसे हुए लोगों को वहां से निकाल कर किसी उंची जगह पर पहुंचा दिया जाए, फिर चाहे बेशक वो उन्हें फौरन जम्मू न लाएं.

दिक्कतें

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जम्मू निवासी सुधीर कुमार का बेटा श्रीनगर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पढ़ता है. वे बताते हैं कि हॉस्टल में सोमवार को पानी पहली मंज़िल तक था और अब पानी दूसरे माले तक पहुंच चुका है.

सुधीर कुमार का आरोप है कि कुछ स्थानीय लोगों ने हॉस्टल की ऊपरी मंज़िलों पर पनाह ले ली है और बच्चे यूनिवर्सिटी के बाहर सड़क पर हैं.

उनका कहना था, "बच्चे बहुत ज़्यादा घबराए हुए हैं. जब मेरी बेटे से मंगलवार बात हुई तो वो कह रहा था कि हम पैदल ही करगिल की तरफ़ निकल रहे हैं. मैंने उनको समझा बुझाकर रोका हुआ है मगर उन्हें वहां से निकालने की ज़रूरत है."

सुधीर कुमार का कहना है, "बचाव कार्य में ये लोगों को जहां थोड़ा अधिक पानी है वहां से लोगों को निकालकर एक या दो फुट जहां पानी है वहां ले जाकर छोड़ दे रहे हैं. कोई ये नहीं सोच रहा कि यहां भी पानी आ सकता है.”

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