
बदायूं के कटरा सआदतगंज में दो बहनों की हत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है. अब दोनों के परिजनों ने लाशों को निकालकर एक बार फिर पोस्टमार्टम करवाने की मांग की है.
परिजनों ने यह मांग ऐसे समय की है जब हैदराबाद स्थित लैब द्वारा किए गए डीएनए परीक्षण में युवतियों के साथ बलात्कार की पुष्टि नहीं हो पाई है. हालांकि हत्या के बाद स्थानीय डाक्टरों द्वारा किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में बलात्कार की बात कही गई थी.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बलात्कार के बाद ज़िंदा रहते हुए ही युवतियों को पेड़ से लटकाया गया था.
पढें सलमान रावी की पूरी रिपोर्ट
चार्जशीट से इनकार
मामले की जांच केंद्रीय अनुसंधान ब्यूरो यानी ‘सीबीआई’ कर रही है जिसने ‘डीएनए’ की रिपोर्ट के बाद अब आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र यानी ‘चार्जशीट’ दाख़िल करने से इनकार कर दिया है.
सीबीआई ने पोस्टमार्टम करने वाले स्थानीय डाक्टरों से भी उनकी रिपोर्ट और जांच के बारे में पूछताछ की है. एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि वह पोस्ट मार्टम की पहली रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं.
युवतियों के परिजन भी दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग कर रहे थे. सीबीआई ने एक नए ‘मेडिकल बोर्ड’ की देखरेख में फिर पोस्टमार्टम कराने की पेशकश की थी.

मगर जब दोबारा पोस्टमार्टम करने की नौबत आई तो लाशों को निकालना मुमकिन नहीं हो पाया. जिस जगह दोनों बहनों को घटना के बाद दफ़नाया गया है वहां गंगा नदी अभी उफ़ान पर है और उनकी क़ब्रें कई फुट पानी के नीचे हैं.
जांच की मुश्किल
गंगा का जलस्तर अब घट रहा है लेकिन शवों के इतने दिनों तक पानी के नीचे रहने के बाद जांच में और भी मुश्किलें सामने आ सकती हैं.
ज़िले के पुलिस अधिकारी मामले में कुछ भी बोलने से इसलिए इनकार कर रहे हैं क्योंकि जांच सीबीआई कर रही है मगर स्थानीय पुलिस के सूत्रों ने संकेत दिया है कि गंगा का जलस्तर घटते ही लाशों को निकालने का काम किया जाएगा.
सीबीआई की प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने डीएनए की रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं होने की बात स्वीकार तो की है मगर उनका कहना है कि जांच एजेंसी ने किसी को आरोप मुक्त नहीं किया है और हत्या की पड़ताल जारी है.
सीबीआई को इस मामले में आरोप पत्र 25 अगस्त तक दाख़िल करना था. चूँकि एजेंसी ने ऐसा नहीं किया है इसलिए मामले में अभियुक्त बनाए गए पांच लोगों के ज़मानत पर बाहर आने का रास्ता साफ़ हो गया है. इस मामले में पुलिस को 90 दिनों के अन्दर ही आरोप पत्र दाख़िल करना था.
निराश हैं परिजन
युवतियों के परिजनों को ‘डीएनए’ की रिपोर्ट से काफ़ी निराशा हुई है. इनमें से एक के पिता सोहन लाल ने बीबीसी से बात करते हुए एजेंसी की कार्यशैली पर ही सवाल खड़ा किया है.

उनका कहना है, "जो कपड़े जांच के लिए भेजे गए थे वो उनकी बेटियों के ही थे या नहीं? इस पर अब शक हो रहा है."
जिन दो बहनों की हत्या हुई थी उनमें से एक सोहन लाल के छोटे भाई की बेटी भी थी. उनके छोटे भाई का आरोप है कि सीबीआई के जांच अधिकारियों ने लाशों के दोबारा पोस्टमार्टम कराने में काफ़ी देर कर दी जबकि उनका परिवार इसकी मांग पहले से ही कर रहा था.
वो कहते हैं, "देर करने की वजह से ही गंगा का पानी चढ़ गया और क़ब्रें पानी में डूब गईं. अब लाशों में कुछ बचा भी नहीं होगा. सबकुछ गल गया होगा."
बलात्कार पर सवाल
सोहन लाल और उनके परिजनों का कहना है कि घटना के बाद जब अभियुक्तों को पकड़ा गया था तो उन्होंने बलात्कार करने की बात सबके सामने स्वीकार की थी.

वो कहते हैं, "अभियुक्तों में से एक पप्पू ने सबके सामने स्वीकार किया था कि वो बलात्कार में शामिल था मगर उसने हत्या करने से इनकार किया था. अब डीएनए रिपोर्ट पर कैसे भरोसा किया जाए जब अभियुक्त ने ख़ुद बलात्कार की बात स्वीकार कर ली थी."
इस मामले में कुल मिलाकर पांच अभियुक्त बनाए गए हैं जिनमें तीन सगे भाई पप्पू, अवधेश और उर्वेश शामिल हैं जबकि दो पुलिसवालों को भी इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है जिनकी पहचान छत्रपाल और सर्वेश के रूप में की गई है.
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